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Baby Born In Auto: ई-ऑटो बना प्रसव कक्ष, महिला ने अस्पताल गेट पर दिया बच्चे को जन्म

Baby Born Outside Hospital: लखनऊ में झलकारी बाई महिला अस्पताल के मुख्य गेट के सामने एक महिला ने ई-रिक्शा में बच्चे को जन्म दिया। ट्रैफिक और देरी के चलते अस्पताल में प्रवेश से पहले ही प्रसव हो गया। इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jun 21, 2025

झलकारी बाई अस्पताल के सामने ई-ऑटो में महिला ने दिया शिशु को जन्म फोटो सोर्स : Social Media

झलकारी बाई अस्पताल के सामने ई-ऑटो में महिला ने दिया शिशु को जन्म फोटो सोर्स : Social Media

Baby Born E Rickshaw Delivery: राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को एक महिला ने झलकारी बाई महिला अस्पताल के मुख्य गेट के सामने खड़े ई-ऑटो में शिशु को जन्म दिया। यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जरूरतमंदों को समय पर चिकित्सा सुविधा मिलना आज भी एक चुनौती बना हुआ है। घटना के बाद क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया, जबकि सोशल मीडिया पर इस अप्रत्याशित प्रसव की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं।

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घटना 

शुक्रवार को फैजुल्लागंज की एक महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। परिजनों ने तुरंत ई-ऑटो किराए पर लिया और महिला को लेकर झलकारी बाई महिला अस्पताल की ओर रवाना हुए। लेकिन रास्ते में ट्रैफिक और लंबी दूरी की वजह से अस्पताल पहुंचने में देरी हो गई। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब महिला अस्पताल परिसर के अंदर पहुंचने से पहले ही मुख्य गेट के सामने ही प्रसव की स्थिति में आ गई। इसी दौरान महिला ने ऑटो में ही बच्चे को जन्म दे दिया। गेट पर मौजूद लोगों ने जब यह दृश्य देखा तो तुरंत अस्पताल स्टाफ को सूचना दी। कुछ ही देर में अस्पताल की वार्ड आया, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मी बाहर पहुंचे। ई-ऑटो को एक चादर से चारों ओर से ढंका गया और यहीं प्रसव प्रक्रिया पूरी की गई।

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अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया

अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि फैजुल्लागंज से ई-ऑटो के जरिए महिला अस्पताल लाई जा रही थी। रास्ते में भीड़ अधिक होने के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाई। उन्होंने बताया कि कैपिटल तिराहे के पास ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया। जब ई-ऑटो अस्पताल के गेट पर पहुंचा तो तत्काल स्टाफ ने प्रसव की प्रक्रिया को पूरा किया और जच्चा-बच्चा दोनों को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। फिलहाल दोनों की हालत सामान्य और स्थिर है।

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नहीं किया 102 या 108 एम्बुलेंस सेवा पर  काल 

घटना के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि परिजनों ने 102 या 108 एम्बुलेंस सेवा को कॉल नहीं किया। जब उनसे पूछा गया कि एम्बुलेंस सेवा का उपयोग क्यों नहीं किया गया, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया। यह सवाल उठता है कि क्या परिजन को एम्बुलेंस सेवा की जानकारी नहीं थी या सेवा समय पर उपलब्ध नहीं हो सकी।

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स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल

इस घटना के बाद एक बार फिर लखनऊ समेत पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। राजधानी में स्थित एक बड़े सरकारी महिला अस्पताल तक अगर कोई गर्भवती महिला समय पर नहीं पहुंच पाती और उसे ई-ऑटो में प्रसव करना पड़ता है, तो यह व्यवस्थाओं की गंभीर विफलता को दर्शाता है। स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही जननी सुरक्षा योजना, 102-108 एम्बुलेंस सेवा जैसी योजनाएं तभी कारगर हो सकती हैं जब जमीनी स्तर पर इनका सही संचालन हो।

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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

घटना का एक वीडियो और कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं, जिसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार अस्पताल के गेट के बाहर ई-ऑटो को चारों ओर से ढक कर प्रसव कराया गया। इस दृश्य को देखकर लोग भावुक भी हुए और स्वास्थ्य विभाग की आलोचना भी करने लगे।

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सरकारी तंत्र को जिम्मेदार ठहराया गया

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को लेकर स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब महिला को अस्पताल के बाहर ही प्रसव कराना पड़ा हो। ऐसी घटनाएं समय-समय पर सामने आती रही हैं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

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सकारात्मक पहलू: स्टाफ की तत्परता

घटना के बावजूद यह जरूर कहा जा सकता है कि अस्पताल का स्टाफ सजग था। सूचना मिलते ही वार्ड आया और अन्य कर्मी तुरंत बाहर पहुंचे और प्रसव की प्रक्रिया को सुरक्षित रूप से पूरा किया। यह स्टाफ की तत्परता को दर्शाता है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में प्री-नेटल केयर और आपातकालीन रिस्पॉन्स सिस्टम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अगर परिजन समय पर 102 या 108 पर कॉल करते तो शायद महिला को अस्पताल के अंदर सुरक्षित प्रसव की सुविधा मिल सकती थी।