
आकाश आनंद का बसपा में बढ़ रहा कद, PC- X
लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने हाल के महीनों में संगठन में कई बड़े बदलाव किए, जिसने पार्टी के सियासी समीकरण को नया मोड़ दे दिया। एक ओर जहां उनके भतीजे आकाश आनंद का कद तेजी से बढ़ रहा है, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम का सियासी रुतबा धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है। आखिर क्या वजह है कि मायावती ने अपने भरोसेमंद नेता रामजी गौतम को हाशिए पर धकेलकर आकाश आनंद को नई जिम्मेदारियां सौंपी हैं?
3 मार्च 2025 को मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। यह फैसला उनके ससुर और पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ के कथित गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण लिया गया था। मायावती ने तब कहा था कि आकाश की 'राजनीतिक परिपक्वता' में कमी है। लेकिन 13 अप्रैल को आकाश ने सोशल मीडिया पर माफी मांगते हुए मायावती को अपना 'राजनीतिक गुरु' बताया और पार्टी में वापसी की गुहार लगाई। मायावती ने उनकी माफी स्वीकार कर ली और 18 मई को उन्हें पार्टी का चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया। यह पद बसपा में पहली बार बनाया गया, जो आकाश के बढ़ते कद का प्रतीक था।
28 अगस्त को मायावती ने एक और बड़ा बदलाव किया। आकाश को राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया, साथ ही उन्हें सभी सेक्टर, केंद्रीय और राज्य कोऑर्डिनेटरों व प्रदेश अध्यक्षों के कामकाज की समीक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। अब वे सीधे मायावती को रिपोर्ट करते हैं, जिसे पार्टी में अघोषित नंबर-2 की स्थिति माना जा रहा है। इसके अलावा, आकाश को बिहार जैसे महत्वपूर्ण चुनावी राज्य में स्टार प्रचारक की भूमिका दी गई, जो 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले उनकी बढ़ती अहमियत को दर्शाता है।
रामजी गौतम, जो बसपा के इकलौते राज्यसभा सांसद और लंबे समय से मायावती के भरोसेमंद रहे हैं, पहले पार्टी में नंबर-2 की हैसियत रखते थे। 5 अगस्त 2025 को उन्हें मायावती के भाई आनंद कुमार के साथ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था। उस समय उनके पास राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु जैसे कई महत्वपूर्ण राज्यों का प्रभार था। लेकिन 28 अगस्त के फेरबदल में उनके पास केवल चार राज्यों की जिम्मेदारी रह गई, और राजस्थान जैसे अहम राज्य की कमान उनसे छीन ली गई।
जानकारों के मुताबिक रामजी गौतम का कद घटने की वजह आकाश आनंद की वापसी और उनके बढ़ते प्रभाव से जुड़ी है। जब आकाश को पार्टी से निकाला गया था, तब चर्चा थी कि रामजी गौतम ने मायावती के कान भरे थे। अब आकाश के सियासी उभार के साथ रामजी का प्रभाव कम हो रहा है। यह सियासी समीकरण बसपा में सत्ता के दो केंद्रों को रोकने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, क्योंकि गुटबाजी किसी भी पार्टी के लिए घातक हो सकती है।
28 अगस्त को मायावती ने नेशनल कोऑर्डिनेटरों की संख्या तीन से बढ़ाकर छह कर दी। रामजी गौतम, रणधीर सिंह बेनीवाल और राजाराम के साथ-साथ डॉ. लालजी मेधांकर, पूर्व एमएलसी अतर सिंह राव और धर्मवीर सिंह अशोक को भी नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। राजाराम को महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे बड़े राज्य दिए गए, जबकि बिहार को तीन हिस्सों में बांटकर रामजी गौतम, आकाश आनंद और स्टेट कमेटी के प्रभारी अनिल चौधरी को जिम्मेदारी सौंपी गई।
इसके अलावा, यूपी और उत्तराखंड का प्रभार मायावती ने अपने पास रखा, जबकि विश्वनाथ पाल को लगातार दूसरी बार यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। यह पहली बार है जब बसपा ने किसी प्रदेश अध्यक्ष को दोबारा मौका दिया है। विश्वनाथ पाल गैर-यादव ओबीसी गड़रिया समाज से आते हैं, जो यूपी में 4-6% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और बसपा का कोर वोट बैंक माना जाता है।
मायावती का विश्वनाथ पाल को दोबारा यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाना एक रणनीतिक कदम है। गड़रिया समाज पूर्वांचल, अवध, बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी में फैला हुआ है। परंपरागत रूप से यह समाज बसपा और सपा से जुड़ा रहा है। 2005 में बसपा ने राजू पाल को प्रयागराज से प्रत्याशी बनाकर अतीक अहमद के गढ़ में सेंध लगाई थी। उनकी हत्या के बाद उनकी पत्नी पूजा पाल को उपचुनाव में उतारा गया, जो बसपा के टिकट पर जीती थीं। हालांकि, 2022 में पूजा पाल सपा के टिकट पर जीतीं, लेकिन अब वे सपा से निष्कासित हो चुकी हैं और उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें हैं।
सपा ने भी गड़रिया समाज के श्यामलाल पाल को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, जिससे इस समाज के वोटों पर सपा और बीजेपी की सेंधमारी की कोशिश साफ दिखती है। ऐसे में मायावती ने विश्वनाथ पाल पर दोबारा भरोसा जताकर अपने कोर वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति अपनाई है।
पिछले 35 सालों में बसपा अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। 2007 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने वाली पार्टी आज लोकसभा में शून्य, विधानसभा में एकमात्र विधायक (उमाशंकर सिंह) और विधान परिषद में बिना किसी सदस्य के सिमट गई है। राज्यसभा में रामजी गौतम पार्टी के इकलौते सांसद हैं। 2024 के यूपी विधानसभा उपचुनाव में भी बसपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। कुंदरकी में उसे मात्र 1,051 वोट मिले, मीरापुर में 3,248 और सीसामऊ में 1,410 वोट मिले। खैर सीट पर 65 हजार वोटों से 13 हजार वोटों पर सिमट गई। यह मिथक भी टूट गया कि जाटव दलित वोट बैंक बसपा के साथ मजबूती से जुड़ा है।
मायावती ने 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए आकाश आनंद को संगठन में अहम भूमिका देकर भविष्य की तैयारी शुरू कर दी है। यूपी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल कहते हैं, 'आकाश आनंद देश भर के युवाओं में लोकप्रिय हैं। उनकी सोच, कार्यशैली और कार्यकर्ताओं के साथ उनकी बॉन्डिंग शानदार है। 29 साल की उम्र में वे युवाओं के लिए आइकॉन बन रहे हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और सभी को साथ लेकर चलने की काबिलियत पार्टी को नई ऊर्जा देगी।'
रामजी गौतम का कद घटने की वजह सिर्फ आकाश का उभार नहीं है। मायावती की रणनीति में गुटबाजी को रोकना और पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत रखना भी शामिल है। 2018 में राजस्थान में बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने और 2023 में केवल दो सीटें जीतने जैसे झटकों के लिए रामजी की जिम्मेदारी तय की गई। बिहार और अन्य राज्यों में भी उनके नेतृत्व में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा।
Updated on:
03 Sept 2025 08:31 pm
Published on:
03 Sept 2025 08:30 pm
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