
प्रतीकात्मक तस्वीर: PC: AI
Road Motor Bike Accident : दुबग्गा क्षेत्र के जेहटा गांव में गुरूवार की रात वह दर्दनाक खामोशी थी, जिसे सुनकर पत्थर भी पिघल जाए। महज 6 दिन बाद जिस घर से बारात निकलने वाली थी, उसी घर से अब अर्थी उठी। दरवाजे पर टंगे झालर, आंगन में सजी मटकी, घर की दीवारों पर लगी रोशनियों के नीचे अब रोते-बिलखते चेहरों की कतार है। 24 वर्षीय मोहित गौतम जिसकी 13 नवंबर को शादी तय थी, वह गुरूवार शाम अपने तीन दोस्तों के साथ उन्नाव में लगने वाले बनारसी मेले को देखने गया था। पर किसे पता था कि यह सफर उसकी जिंदगी का आखिरी सफर बन जाएगा। सड़क पर हुए दर्दनाक हादसे ने मोहित समेत तीन युवकों की जान ले ली,मोहित गौतम (24), धीरेंद्र यादव (28) और मोनू कश्यप (18)। चौथा साथी शनि गंभीर घायल है और अस्पताल में जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है।
मोहित के घर में पिछले कई दिनों से शादी की तैयारियां चल रही थीं। तीन दिन पहले ही तिलक की रस्म हुई थी,ढोलक बजी थी, महिलाएं गीत गा रही थीं, रिश्तेदारों का तांता लगा था। घर के आंगन में रंगोली बनी थी और इसी शुक्रवार से छटिया की रस्म शुरू होने वाली थी। परिजनों ने बताया कि मोहित ने दो दिन पहले ही अपनी शेरवानी सिलवाकर लाई थी। उसी बैग में अपनी मंगेतर के लिए लाल जोड़ा भी रखा था। नई जूतियां, सेहरा, पगड़ी और बारात के लिए चुने गए कपड़े कमरे में करीने से रखे थे। लेकिन अब वही कमरा सन्नाटा पूछ रहा है कि “क्या यही होना था।
सूत्रों और पुलिस के अनुसार चारों दोस्त दो अलग-अलग बाइकों से उन्नाव की ओर जा रहे थे। मेला ग्राउंड से लगभग 10 किलोमीटर पहले सड़क पर बने गहरे गड्ढे से बाइकें अनियंत्रित हो गईं। अंधेरा था, सड़क पूरी तरह टूटी हुई थी। अचानक सामने आए गड्ढे ने दोनों बाइकों को उछाल दिया। पहिये फिसले और चारों युवक सड़क पर गिर पड़े। रफ्तार अधिक होने और सड़क खराब होने के कारण चोट इतनी भयावह थी कि मोहित, धीरेंद्र और मोनू ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस और एम्बुलेंस को बुलाया। घायल शनि को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां वह अभी भी खतरे से बाहर नहीं है।
घर से निकले समय मोहित की मां ने पूछा था,बेटा, आज मेला ही जाना है? कल भी जा सकते हो। मोहित ने मुस्कुराते हुए कहा कि अरे मां, जल्दी आ जाऊंगा। बस घूमकर लौटता हूं।” लेकिन वह लौटकर आया,कफन में लिपटा हुआ।
जब हादसे की खबर मंगेतर को मिली, तो वह बदहवास होकर अपने परिवार के साथ पहुंची। उसके हाथ में वह तस्वीर थी, जिसमें मोहित द्वारा खरीदी गई वही क्रीम रंग की शेरवानी थी। वह रो-रोकर बस यही कहती रही,छह दिन बाद तुम दूल्हा बनने वाले थे… तुमने कहा था कि शादी के बाद साथ में कहीं घूमने चलेंगे। अब मैं किससे बात करूंगी। उसके आंसू देखकर वहां मौजूद हर इंसान की आंखें नम हो गईं।
मोहित के घर के बाहर जो तंबू मेहमानों के स्वागत के लिए लगाया गया था,अब उसी तंबू के नीचे सफेद कपड़ा बिछा है, चारों तरफ मरघट जैसा सन्नाटा है। महिलाओं का रोना थम नहीं रहा, बुजुर्ग चुपचाप जमीन पर नजरें गड़ाए बैठे हैं। गांव की गलियों में हर कोई यही कहता सुना जा रहा है,जिसे बारात में दूल्हा बनकर जाना था, वो आज कफन में सो गया।
इस हादसे ने केवल मोहित का ही नहीं, तीन परिवारों का सहारा छीन लिया है। धीरेंद्र यादव (28) परिवार में अकेला कमाने वाला था। मोनू कश्यप (18) अभी पढ़ाई कर रहा था और घर में सबसे छोटा था। दोनों घरों में भी वही मातम, वही चीत्कार, वही असहनीय दर्द है।
परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि जिस सड़क पर हादसा हुआ वह बेहद खराब है। वर्षों से गड्ढे ठीक नहीं हुए। लोगों का कहना है कि सरकार के दावे हवा में उड़ते हैं, सड़कें कागज पर बनती हैं। अगर सड़क ठीक होती, तो आज तीन-तीन घर उजड़ने से बच जाते।
पुलिस के अनुसार दोनों बाइकों को कब्जे में ले लिया गया है। हादसे के सही कारणों की जांच की जा रही है। घायल शनि का इलाज जारी है। परिजनों की मांग है कि सड़क निर्माण की जिम्मेदारी तय हो और दोषियों पर कार्रवाई हो।
मोहित बेहद मिलनसार और जिम्मेदार युवक था। पढ़ाई के बाद नौकरी करता था और परिवार को संभालता था। जिस बेटे के लिए पिता ने पूरी जिंदगी मेहनत की,जिसके शादी के कार्ड बांटे गए,जिसकी घुड़चढ़ी की तैयारी हो रही थी,उसकी अर्थी देखकर हर किसी का दिल फट पड़ा।
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Updated on:
07 Nov 2025 08:41 am
Published on:
06 Nov 2025 11:42 pm
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