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Rahul Gandhi : कभी एंग्री यंग मैन तो कभी सौम्य, राहुल गांधी के सामने है चुनौतियों का अम्बार

Rahul Gandhi Birthday Special : राहुल गांधी के पास आज भले ही संगठन में कोई पद नहीं है, लेकिन फ्रंट से वह ही पार्टी की बागड़ोर संभाले नजर आते हैं, यूपीए- 2 में प्रधानमंत्री बनने का था मौका, मंत्री पद तक नहीं लिया

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लखनऊ

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Hariom Dwivedi

Jun 19, 2021

 Birthday Special Rahul Gandhi facing many challenges in politics

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. Rahul Gandhi Birthday Special- 19 जून 1970 को जन्मे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का आज 51वां जन्मदिन है। उत्तर प्रदेश सहित देश भर में कांग्रेसी नेता 'सेवा दिवस' के रूप में उनका जन्मदिन मना रहे हैं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के दूसरे कार्यकाल यानी 2009 में राहुल गांधी के पास प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनने का मौका था, लेकिन उन्होंने मंत्री पद तक स्वीकार नहीं किया। इतना ही नहीं वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। आज भले ही राहुल गांधी के पास संगठन में कोई पद नहीं है, लेकिन फ्रंट से वह ही पार्टी की बागड़ोर संभाले नजर आते हैं और भाजपा का डटकर मुकाबला कर रहे हैं।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस पार्टी (Congress) राजनीति के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। एक के बाद एक कांग्रेस के दिग्गज नेता पार्टी का साथ छोड़कर जा रहे हैं। राहुल की चौकड़ी के नाम से मशहूर युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा के भी तेवर परेशान करने वाले हैं। कांग्रेसियों का एक धड़ा पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहा है। ऐसे अब पार्टी समर्थकों को एक बार फिर गांधी परिवार के सबसे पढ़े-लिखे शख्स राहुल गांधी से उम्मीदे हैं।

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विरासत में मिली है राजनीति
राहुल गांधी ने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज से डेवलपमेंट इकॉनॉमिक्स में एम.फिल किया है। पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ सालों तक एक प्रबंधन कंपनी में काम भी किया और फिर वह भारत लौट आए। उनके पिता स्वर्गीय राजीव गांधी, दादी स्वर्गीय इंदिरा गांधी और परदादा स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू देश की प्रधानमंत्री रह चुके हैं। मां सोनिया गांधी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी बहन प्रियंका गांधी भी पॉलिटिक्स में सक्रिय हैं। खुद राहुल गांधी डेढ़ दशक के अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं। इस दौरान वह कभी एंग्री यंग मैन तो कभी बेहद सरल और परिपक्व नेता के रूप में नजर आये। सड़क से संसद तक वह हर मुद्दे पर भाजपा को घेरते नजर आते हैं। राहुल गांधी को भले ही राजनीति विरासत में मिली है, लेकिन अब उनके सामने पार्टी को फिर से खड़ा करने की मजबूत चुनौती है।

राहुल गांधी का राजनीतिक करियर
पहली बार 2004 में जीते सांसदी
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा और पहली ही बार में रिकॉर्ड तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर संसद पहुं। 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार बनी। उस वक्त हजारों युवा कांग्रेसी राहुल को अहम भूमिका में देखना चाहते थे, लेकिन राहुल ने कोई भी बड़ा पद लेने से मना कर दिया था।

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2013 में कांग्रेस अध्यक्ष बने राहुल गांधी
वर्ष 2009 में तीन लाख से अधिक वोटों से जीतकर राहुल गांधी अमेठी से दोबारा सांसद बने। यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में भले ही उनके पास कोई पद नहीं था, लेकिन वह कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शुमार हो चुके थे। जनवरी 2013 में राहुल गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। 2014 के आम चुनाव में पार्टी की करारी हार हुई, लेकिन राहुल गांधी अमेठी से सांसदी जीतने में सफल रहे।

अमेठी से हारे वायनाड से जीते
दिसंबर 2017 में राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने। लेकिन 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। यहां तक की राहुल गांधी भी अमेठी की अपनी पारम्परिक सीट नहीं बचा पाये, लेकिन वह केरल के वायनाड से चुनाव जीतने में सफल रहे। इसके बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया और अब उनकी मां सोनिया गांधी कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष हैं।

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