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मायावती के वाकओवर से भाजपा की राह आसान, विपक्ष को होना होगा एकजुट

गोरखपुर-फूलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के लिए राहें आसान नहीं होंगी क्योंकि मोदी लहर के ग्राफ में गिरावट आई है...

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लखनऊ

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Nitin Srivastva

Feb 20, 2018

BJP SP Congress strategy for Gorakhpur Phulpur loksabha seat

मायावती के वाकओवर से भाजपा की राह आसान, विपक्ष को होना होगा एकजुट

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस तीनों ने कमर कस ली है। तीनों पार्टियों के प्रत्याशी अब चुनावी अखाड़े में दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। जैसे-जैसे तीनों पार्टियों के प्रत्याशियों के नामों का ऐलान होता गया, इस चुनाव में बेहद रोमांचक ट्विस्ट भी आता गया। चाहे वह बीजेपी हो, सपा हो या फिर कांग्रेस सभी पार्टियों ने कैंडिडेट के सेलेक्शन में जातीय समीकरणों पर खास ध्यान रखा है। सभी पार्टियां क्षेत्रीय अति पिछड़ों, पिछड़ों और मुस्लिमों के समीकरण पर माथापच्ची कर रही हैं। बसपा सुप्रीमों मायावती ने उपचुनावों में अपने प्रत्याशी न उतार कर एक तरह से बीजेपी की जीत थोड़ी आसान कर दी है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लड़ने से विपक्ष के मतों का बंटवारा भी होगा। ऐसा राजनीतिक विशलेषकों का कहना है। फिर भी भाजपा के लिए राहें आसान नहीं होंगी क्योंकि न केवल देश में बल्कि प्रदेश में भी मोदी लहर के ग्राफ में गिरावट दर्ज की गई है।

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कमजोर विपक्ष बीजेपी को करेगा मजबूत

हालांकि इन दोनों सीटों पर विपक्ष का एक न होना बीजेपी के लिए सबसे खुशखबरी साबित हो रहा है। जानकार तो यहां तक कह रहे हैं कि दोनों सीटों पर उपचुनाव से पहले ही बीजेपी ने विपक्ष को मनोवैज्ञानिक दबाव में डाल दिया है। क्योंकि विपक्ष की अनेकता के चलते जो समीकरण बनते दिखाई पड़ रहे हैं वे बीजेपी के पक्ष में जा सकते हैं। वहीं कुछ राजनीतिक पंडित यह भी कह रहे हैं कि भले ही बीजेपी ने दोनों सीटों से अपने दावेदार खड़े किए हों लेकिन असल में यह लड़ाई सीएम योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ही लड़ रहे हैं। क्योंकि गोरखपुर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ और फूलपुर सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ही सांसद थे। वहीं मायावती ने भी उपचुनावों में अपने कैंडिडेट न खड़ा करके एक तरह से बीजेपी की जीत थोड़ी आसान कर दी है।

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2019 के सेमीफाइन में जुटे सभी

वहीं दूसरी तरफ सभी राजनीतिक दल इन दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनावों को अपना नाक का सवाल बना चुके हैं। क्योंकि सभी इस उपचुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल की तरह देख रहे हैं। बीजेपी के सामने इन दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने की चुनौती है। वह किसी भी कीमत पर इन दोनों सीटों को जीतकर अपनी साख बचाने में जुटी है तो विपक्षी दल भी इस उपचुनाव में अच्छी फाइट देकर बीजेपी के मुंह से जीत का निवाला छीनने की फिराक में हैं। सपा-बसपा और कांग्रेस तीनों ही पार्टियां 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के घेरने में जुटी हैं। जानकारों की अगर मानें तो वैसे तो बीजेपी के खाते से यह दोनों सीट छीनना दूर कूी कौड़ी जैसा है, लेकिन अगर विपक्षी दल इस जीत को हासिल करने में कामयाब रहते हैं तो निश्चित ही यह बीजेपी के लिए करारा झटका साबित होगा। कुछ जानकार यह भी कह रहे हैं कि अगर इन दोनों सीटों पर विपक्ष एक होकर लड़ता तो बीजेपी के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता था।

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ये हैं बीजेपी, सपा और कांग्रेस के कैंडीडेट

आपको बता दें कि बीजेपी ने गोरखपुर से उपेंद्र शुक्ला और फूलपुर से कौशलेंद्र सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि सपा ने गोरखपुर सीट से प्रवीण निषाद और फूलपुर सीट से नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने डॉक्टर सुरहिता करीम को गोरखपुर से और मनीष मिश्रा को फूलपुर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। इस उपचुनाव के लिए दोनों सीटों पर नामांकन का आज आखिरी दिन है जबकि उपचुनाव 11 मार्च को होना है। 14 मार्च को इन दोनों सीटों के नतीजे भी सामने आ जाएंगे।

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गोरखपुर का गणित

जानकार मान रहे थे कि दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सपा और कांग्रेस गठबंधन करके लड़ेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जिससे विपक्ष अलग-थलग पड़ गया जे बीजेपी के लिए शुभ संकेत साबित हो रहा है। जिसके दोखते हुए बीजेपी ने भी बड़ा दांव मारते हुए गोरखपुर से अपने क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र शुक्ल को मैदान में उतार दिया। बीजेपी उपेंद्र शुक्ला के सहारे ब्राह्मण और दूसरे सवर्ण वोटरों को रिझाने में लगी है। वहीं गोरखपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ की भी सवर्ण के साथ निषाद और दूसरी पिछड़ी जातियों पर अच्छी पकड़ है। वहीं समाजवादी पार्टी ने सीएम योगी के गढ़ में सेंध लगाने के लिए निषाद पार्टी और पीस पार्टी से हाथ मिलाया है और संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को अपने सिंबल पर लड़ा रही है। सपा प्रवीण निषाद के सहारे निषाद, यादव और मुस्लिम वोटों को एक साथ साधने की जुगत में है। लेकिन कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारकर कहीं न कहीं सपा को कमजोर करने का काम किया है।

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फूलपुर का इतिहास

वहीं आपको बता दें कि इलाहाबाद की फूलपुर सीट का सियासी समीकरण काफी समय तक कांग्रेस ने साध रखा था। पंडित जवाहर लाल नेहरू और उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित पांच बार यहां से चुनाव जीते हैं। फूलपुर सीट में सबसे ज्यादा वोट पिछड़ी जातियों के हैं। जिसमें करीब 17 फीसदी वोट पटेल जाति के हैं। 11 फीसदी ओबीसी और 6 फीसदी यादव अलग से हैं। इस सीट पर पटेल के बराबर मुस्लिम भी है। 2014 में जब केशव मौर्य को इस सीट से जीते थे तब पिछड़ी जाति के साथ बीजपी को बेस वोट भी मिला था। उस समय अपना दल से गठबंधन का भी बीजेपी को फायदा मिला था।

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