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लखनऊ

सत्ता में नहीं फिर भी विवादों में है मायावती का जन्मदिन समारोह

मायावती के समर्थकों को अपनी नेता का जन्मदिन मनाने के लिए लखनऊ में खुला मैदान नहीं मिल पा रहा है।

लखनऊJan 13, 2018 / 08:37 pm

Mahendra Pratap

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महेंद्र प्रताप सिंह

लखनऊ. 15 जनवरी 2010 को लखनऊ की सबसे सर्द रात थी। लेकिन, राजधानी की सड़के नीली रोशनी से सराबोर थीं। पूरे शहर में चहल-पहल थी। शहर के कई प्रमुख चौराहों पर बिजली यंत्र से घूम रहे खंभे पर चार हाथियों की मूर्तियां लगी थीं। तब सूबे की मुख्यमंत्री मायावती थीं। उन्होंने सरकारी बंगले पर अपना 54 वां जन्म दिन मनाया था। सरकारी तौर पर प्रदेश के सभी जिलों में जन्मदिन जोरदार तरीके से मनाया गया। उस दिन जो लोग मुख्यमंत्री आवास नहीं पहुंच सके उन्होंने अपने तरीके से जन्मदिन मनाया। कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं और निष्ठावान अफसरों ने तो अपने घरों में मायावती के चित्र के समक्ष केक काटा। यह था सत्ता के दौर का रंग। और अब हालत यह है कि मायावती के समर्थकों को अपनी नेता का जन्मदिन मनाने के लिए लखनऊ में खुला मैदान नहीं मिल पा रहा। उन्हें बंद कमरे में जन्मदिन मनाने की सलाह दी जा रही है।

सत्ता के जाते ही फीका पड़ा समारोह

यूं, तो बसपा सुप्रीमो 15 मार्च 2012 तक यूपी की मुख्यमंत्री थीं। लेकिन, सत्ता में रहते हुए मायावती का यह सबसे भव्य जन्मदिन समारोह था। विपक्ष की तमाम आलोचनाओं और अन्य वजहों से वर्ष 2011 का जन्मदिन समारोह उतना भव्य नहीं मन सका। और 2012 में तो जन्मदिन पर चुनाय आयोग की साया थी। इसलिए कार्यकर्ताओं के बेहद उत्साह के बावजूद उनकी नेता का जन्म दिन बहुत साधारण तरीके से मनाया गया। इसके बाद से तो जैसे सब कुछ बदल ही गया। अखिलेश सरकार के अब सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार है। स्थिति यह है कि लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं को अपने नेता का जन्मदिन समारोह मनाने के लिए स्थल तक का आवंटन नहीं हो पाया है।

नहीं मिला रिफा-ए-आम क्लब

मायावती का जन्मदिन जनकल्याणकारी दिवस के रूप में मनता है। लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं ने 15 जनवरी को पुराने शहर के रिफा-ए-आम क्लब में जन्मदिन समारोह आयोजित करने की अनुमति जिला प्रशासन से मांगी थी। लेकिन, जिला प्रशासन ने यह कहते हुए अनुमति देने से मना कर दिया कि प्रस्तावित स्थल भीड़ भाड़ वाले इलाके में है। इससे वहां यातायात की समस्या खड़ी हो सकती है। बसपा नेताओं का आरोप है कि उन्हें सलाह दी जा रही है कि वे अपने नेता का जन्मदिन गांधी ऑडीटोरियम जैसे बंद स्थल पर मना लें।

कांशीराम ने कहा था, यूपी की महारानी

मायावती का जन्मदिन हमेशा से विवादों में रहा है। मायावती के जन्मदिन से जुड़े एक विवाद पर उनके राजनीतिक गुरु रहे स्व. कांशी राम ने उन्हें एक बार अप्रत्यक्ष रूप से ‘यूपी की महारानी’ कहकर संबोधित किया था। मायावती ने भी अपने गुरू को इस कथन को कई बार अपने जन्मदिन पर चरितार्थ भी किया। वे जब भी सत्ता में रहीं अपने जन्मदिन पर हजारों विचाराधीन बंदियों की रिहाई, हजारों करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन और अन्य जन कल्याणकारी कार्यों को शुरू करने की घोषणाएं करती थीं।

राजनीतिक रंग ले सकता है विवाद

बहरहाल, अब बसपा का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर प्रशासन पार्टी पर यह दवाब बना रहा है कि वे अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष के जन्मदिन पर समारोह आयोजित न कर सकें। जन्मदिन समारोह के आयोजन को लेकर फि़लहाल प्रशासन और बसपा के बीच शुरू हुआ यह विवाद राजनीतिक रंग लेता दिख सकता है। बसपाइयों का कहना है कि यह हमारे नेता का अपमान है। लखनऊ को अंबेडकर उद्यान, रमाबाई स्थल,कांशीराम इकोपार्क, कांशीराम स्मारक स्थल और गोमती नगर में अंबेडकर पार्क जैसे विशाल स्थलों को जनता को तोहफे के रूप में देने वाली मुख्यमंत्री का जन्मदिन बंद कमरे में मनाने की नसीहत दी जा रही है।

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