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वीरान पड़े गांव में रात भर फंसे रहे CEC, मदद को 25 किमी पैदल चले ग्रामीण

CEC stranded in village:हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग के कारण मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा से लगे रालम गांव में फंस गए थे। वह वीरान पड़े बिजली, सड़क और संचार सेवा विहीन रालम गांव में पांच सदस्यीय टीम के साथ रात भर फंसे रहे। आज सुबह वह मुनस्यारी पहुंच गए हैं। वह इस गांव के हालात देख दंग हैं।

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लखनऊ

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Naveen Bhatt

Oct 17, 2024

Chief Election Commissioner Rajeev Kumar remained stranded in the deserted Ralam village throughout the night

सीईसी राजीव कुमार वीरान पड़े रालम गांव में रात भर फंसे रहे

CEC stranded in village:केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बुधवार को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के दौरे पर पहुंचे हुए थे। खराब मौसम के कारण उनके हेलिकॉप्टर की एक खेत में इमर्जेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी।  रालम नाम के उस वीरान गांव में उन्हें रात तक प्रशासन की ओर से राहत नहीं पहुंचाई जा सकी। हिमालयी क्षेत्र के इस गांव के लोग निचले इलाकों में माइग्रेशन कर गए हैं। ऐसे हालात में मुख्य चुनाव आयुक्त को बिजली, सड़क और संचार विहीन उस वीरान गांव के एक घर में रात गुजारनी पड़ी। उस वक्त गांव में तेज बारिश हो रही थी। गांव का तापमान चार-पांच डिग्री सेल्सियस था। मुख्य चुनाव आयुक्त ने वीरान गांव के एक घर में बमुश्किल रात गुजारी। गांव के हालात देख वह दंग रह गए। आज सुबह उन्हें मुनस्यारी पहुंचाया गया है। अब जाकर प्रशासन ने राहत की सांस ली है।

मदद को रात दस बजे पहुंचे ग्रामीण

मुख्य चुनाव आयुक्त के रालम में फंसे होने की सूचना से प्रशासन में खलबली मच गई थी। लेकिन गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी। लिहाजा आसपास के ग्रामीण करीब 25 किमी पैदल दूरी तय कर देर रात रालम पहुंचे। उसके बाद उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रहने के लिए गांव में व्यवस्था की। इस खाली गांव में बिजली, सड़क और संचार सेवा नहीं है। गांव के हालात देख सीईसी भी दंग रहे गए।

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रालम गांव पड़ा है खाली

मोदी सरकार में सीमावर्ती गांवों को अंतिम नहीं कहकर पहले गांव के नाम से संबोधित किया जाने लगा है। बावजूद इसके देश के यह पहले गांव केवल नाम तक के लिए ही पहले हैं। विकास के नाम पर यह गांव आज भी देश के अंतिम गांव ही हैं। रालम भी ऐसे ही गांवों में से एक हैं। चीन सीमा के नजदीक बसे इस गांव में प्रतिवर्ष अप्रैल से अक्तूबर प्रथम सप्ताह तक तीन हजार से अधिक लोग माइग्रेट होकर पहुंचते हैं। करीब साढ़े चार माह तक ग्रामीण रालम में ही रहते हैं। पूर्व प्रधान ईश्वर नबियाल बताते हैं कि चार्जेबल एलईडी लाइट लेकर वह अपने घरों को रोशन करते हैं। उनके मुताबिक चीन सीमा से सटा यह गांव मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है।