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एक बोरी पर चालीस रूपये कमीशन, हो गया तीन सौ करोड़ का घोटाला

मंडी परिषद में सामने आये 300 करोड़ के घोटाले की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए हैं।

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लखनऊ

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Laxmi Narayan

Oct 20, 2017

Mandi Parishad

लखनऊ. मंडी परिषद में सामने आये 300 करोड़ के घोटाले की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए हैं। सीएम ने डिप्टी डायरेक्टर जितेंद्र सिंह और इंजीनियर तेज सिंह के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। जांच में उनके कार्यकाल के 5 सालों में कराए गए सभी निर्माण कार्यों की जांच कराई जायेगी। सभी कार्यों की गुणवत्ता का भी परीक्षण किया जाएगा।

बाहर की एजेंसी से सीमेंट की सप्लाई

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि मंडी परिषद में गाजियाबाद के डिप्टी डायरेक्टर के पद पर साल 2012 से तैनात जितेंद्र सिंह और तेज सिंह ने निर्माण गुणवत्ता और सीमेंट की खरीददारी में भारी अनियमितता की। कमिश्नर मंडी परिषद ने अपनी रिपोर्ट में शासन से शिकायत करते हुए इस मामले में कार्रवाई को कहा है। उनके पत्र के बाद मंडी परिषद के विशेष सचिव की ओर से एक लेटर जारी हुआ जिसमें कहा गया कि तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर जितेंद्र सिंह और इंजीनियर तेज सिंह ने निर्माण विभाग में रहने के दौरान मंडी और जनेश्वर मिश्रा गांवों के विकास कार्यों के लिए सीमेंट की सप्लाई बाहर की एजेंसी से कराई।

हर बोरी पर 40 रूपये कमीशन

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमेंट की सप्लाई में बाहरी एजेंसी से मार्केट से ऊंचे दामों पर खरीद की गई। जिस सीमेंट की खरीद की दर ऑन पेपर दिखाई उसकी सप्लाई न करके घटिया सीमेंट की सप्लाई कराई गई, जिससे गुणवत्ता खराब हुई। रिपोर्ट के अनुसार डिप्टी डायरेक्टर जितेंद सिंह ने निर्माण के लिए बाहर की एजेंसी को अधिकृत किया था और परिषद में रजिस्टर्ड एजेंसियों को बाहर कर देते थे। हर बोरी पर 40 रुपए का कमीशन फिक्स जो कि इंजीनियर तेज सिंह के जरिए वसूल कर बांट लिया जाता था।

राजनैतिक रसूख का उठाया फायदा

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मंडी परिषद गाजियाबाद में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर रहते हुए भी राजनीतिक रसूख के चलते मेरठ और बुलंदशहर जोन में चीफ के तौर पर अतिरिक्त चार्ज दिया गया था।करीब 700 से ज्यादा जनेश्वर मिश्रा गांवों में आरसीसी सड़क निर्माण और किसान मंडियों के निर्माण में घोटाला किया गया। डिप्टी डायरेक्टर और इंजीनियर ने सीमेंट की कॉस्टिंग को बढ़ाने के लिए ओपीसी सीमेंट की सप्लाई का पेमेंट किया जोकि 40 रूपए तक महंगी होती है। पेमेंट ओपीसी का हुआ जबकि सप्लाई घटिया सीमेंट की ही हुई।

टेक्निकल जांच कराने की हुई है मांग

विशेष सचिव की ओर से जारी लेटर में कहा गया कि सभी फर्जीवाड़े और फाइनेंसियल धांधली की जांच डिर्पाटमेंट की टेक्निकल ऑडिट सेल से कराई जाए। सभी जांचें हर उस जगह पर कराई जाएं, जहां भी इन दोनों की नियुक्ति रही हो, जिसमें मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद और नोएडा शामिल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर यूनिट को साल में निर्माण के लिए 16 करोड़ से 20 करोड़ तक मिलते है। जिस दौरान अनियमितता हुई, उस समय उनके पास 3 यूनिट का चार्ज था।