बीजेपी की ओर से इस बाबत कोई बयान तो नहीं आया, लेकिन सोशल मीडिया पर शेयर हुई तस्वीरें बता रही हैं कि मुलाकात का मकसद की मतभेद दूर करना था। बीते दिनों जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य ने सीएम फेस को लेकर मीडिया को बयान दिया, एक बार फिर दोनों के बीच की दूरियां नजर आने लगी थीं। भाजपा आलकमान जानता है कि यूपी में बीजेपी की सफलता के लिए योगी और केशव दोनों ही जरूरी हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की कोशिश बीच का रास्ता निकालने की है।
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दोनों को ही नाराज नहीं करना चाहती बीजेपी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान जानता है कि केशव प्रसाद मौर्य के साथ करीब 17 फीसदी ओबीसी वोट है, जबकि सीएम योगी हिंदुत्ववादी एजेंडे को लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी दोनों को ही नाराज नहीं करना चाहती। आरएसएस पदाधिकारियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री का डिप्टी सीएम से मिलना नये पैचअप की ओर इशारा कर रहा है।
2017 की जीत में केशव प्रसाद की थी अहम भूमिका
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 की जीत में केशव मौर्य की अहम भूमिका थी। तब वह यूपी बीजेपी अध्यक्ष थे। जीत के बाद माना जा रहा था कि केशव प्रसाद मौर्य ही यूपी के अगले मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर योगी को बिठाया और केशव मौर्य को उपमुख्यमंत्री का पद मिला। अब तक के कार्यकाल में कई बार दोनों के मनमुटाव की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनीं।
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