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खतरे में थी योगी की सुरक्षा योगी आदित्यनाथ के पास दो हथियार आखिर क्यों हैं और क्या वो चलाना जानते हैं? यह बताने के लिए आपको थोड़ा पीछे ले चलते हैं। योगी आदित्यनाथ जब राजनीति में नहीं थे तब भी वो हिंदुओं के आवाज थे। सीएम योगी जब महंत थे तब भी उनकी सुरक्षा खतरे में थी। योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी का किला गिरा दिया। हरिशंकर तिवारी एक समय में पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया थे। सीएम योगी कभी माफियाओं से उलझे तो कभी धर्म के ठेकेदारों को जवाब दिया। इसलिए आत्मरक्षा (सेल्फ डिफेंस) के लिए योगी आदित्यनाथ को हथियार रखना पड़ा। योगी पर लगा था हिंसा भड़काने का आरोप योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के सासंद रहते हुए हिंदु युवा वाहिनी का गठन किया। इस संगठन के बारे में कहा जाता है कि यह योगी आदितयनाथ की निजी सेना है। पूर्वांचल में खासकर गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, मऊ और सिद्धार्थनगर में हिंदु युवा वाहिनी पर कई केस दर्ज हुए। इस संगठग पर यूपी के कई इलाको में मुसलमानों के ऊपर और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के भी आरोप लगे।
क्यों पड़ी हथियार रखने की जरुरत एक मशहूर टीवी कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी खुद के खिलाफ दो मुकदमों के दर्ज होने का जिक्र किए थे। उन्होंने बताया था कि मैं जब जेल में था उस समय मेरे खिलाफ एक केस दंगा भड़काने का दर्ज हुआ था। इसके अलावा भी उन्होंने कार्यक्रम में एक केस का जिक्र किया था। यही कारण है कि सीएम योगी आदित्यनाथ को हथियार रखना पड़ा। अगर हथियार नहीं होता तो उनकी जान खतरे में पड़ सकती थी।
हिंदु युवा वाहिनी से मिली योगी को प्रसिद्धी यह भी कहा जाता है कि हिंदु युवा वाहिनी के ही कामों की वजह से योगी आदित्यनाथ को पूर्वांचल में प्रसिद्धी मिलने लगी। आज योगी आदितयनाथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्हें हथियार रखने की जरुरत तो है। लेकिन चलाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि सीएम योगी सुरक्षा में सैकड़ों सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं।
योगी ने दिया था पत्रकार से सवालों का जवाब सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे में यह बताया था कि उनके पास दो हथियार है। सीएम योगी ने टीवी कार्यक्रम के दौरान पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल पर हथियार रखने की वजह भी बताई। पत्रकार ने सवाल किया कि आपके पास 80 हजार रुपए की राइफल क्यों हैं ? सवाल का जवाब देते हुए सीएम योगी ने कहा कि संन्यास की प्रशिक्षण के दौरान दो चीजों का महत्व होता है, पहला शास्त्र का और दूसरा शस्त्र का। एक माला जपने के लिए होती है तो एक भाला चलाने के काम आता है।
जब हुआ था योगी आदित्यानाथ पर हमला तकरीबन एक दशक पहले योगी आदित्यनाथ पर जानलेवा हमला किया गया था। वह किसी आतंकी संगठन की ओर से नहीं बल्कि आजमगढ़ के ही एक अपराधी ने उन पर जानलेवा हमला किया था। आदित्यनाथ पर यह हमला 7 सितंबर 2008 में हुआ था। शायद आईबी नहीं होती तो योगी आदित्यनाथ की जान नहीं बची होती। इसीलिए सीएम योगी अपने साथ दो हथियार रखते हैं। हालांकि अब जनता की नजरिए से देखिए तो सीएम योगी अपने साथ हथियार नहीं रखते हैं, क्योंकि वो जनता के बीच जाते हैं।