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सोनभद्र घटना को लेकर सदन में विपक्षियों का हंगामा, स्थागित के बाद तत्काल प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए CM ने पांच को किया सस्पेंड

-कांग्रेस को लेकर दिया बड़ा बयान -दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी : सीएम

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लखनऊ

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Ruchi Sharma

Jul 19, 2019

cm yogi

सोनभद्र घटना को लेकर सदन में विपक्षियों ने बिगाड़ा माहौल, स्थागित के बाद, तत्काल प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए CM ने पांच को किया सस्पेंड

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र का आज दूसरा दिन था। विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। सोनभद्र मुद्दे पर हंगामे का माहौल रहा। सदन शुरू होते ही, विपक्षियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन को संबोधित करते सोनभद्र नरसंहार मामले पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। 2 सदस्य टीम को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। जिन्होंने घटना के 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने कहा कि सोनभद्र मामले की जांच कमेटी से कराई जाएगी। इस मामले में पीड़ितों को न्याय दिया जाएगा, जबकि दोषियों को हम कड़ी सजा दिलाएंगे।

सीओ और एचएसओ सहित पांच को किया सस्पेंड


इस मामले को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने सीओ और एचएसओ, इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर को लापरवाही पर सस्पेंड करने के आदेश दिए। सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में आगे कहा कि सरकार की तरफ सभी घायलों का इलाज चल रहा है। इसके साथ ही इस निंदनींय घटना की जांच का आदेश भी दिया गया है। विस्तृत जांच कि रिपोर्ट दस दिन में आ जाएगी। इस दौरान सदन में हंगामा चलता रहा। स्थिति बिगड़ते देख अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सदन को 40 मिनट के लिए स्थागित कर दिया।

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कांग्रेस पर किया हमला, कहा- 1955 में पड़ गई थी नींव

स्थागित होने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस दौरान उन्होंने कहा यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस हत्याकांड में 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीधे-सीधे इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इस घटना की नींव 1955 में ही पड़ गई थी, जब कांग्रेस की सरकार थी। सोनभद्र के विवाद के लिए 1955 और 1989 की कांग्रेस सरकार दोषी है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि सोनभद्र में जो घटना घटी है, उसकी नींव 1955 में रखी गई थी। इस पूरे प्रकरण में ग्राम पंचायत की जमीन को 1955 में आदर्श सोसाइटी के नाम पर दर्ज कर किया गया था। इस जमीन पर वनवासी समुदाय के लोग खेती बाड़ी करते थे। बाद में इस जमीन को किसी व्यक्ति के नाम 1989 में कर दिया गया था। 1955 में कांग्रेस की सरकार थी। सोनभद्र के मामले में योगी आदित्यानाथ ने कहा कि मैंने खुद डीजीपी को निर्देश दिया कि वो व्यक्तिगत रूप से मामले की निगरानी करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस जमीन पर काफी समय से विवाद था।