
UP Congress District President List: उत्तर प्रदेश कांग्रेस की ओर से जारी की गई जिला और महानगर अध्यक्षों की सूची से साफ है कि पार्टी अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) वर्ग पर जोर दे रही है।
कांग्रेस की ओर से जारी की गई इस लिस्ट ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए चुनौती पेश कर दी है। अगर समाजवादी पार्टी के साथ सीटों के बंटवारे में उचित समझौता नहीं हुआ तो कांग्रेस बसपा जैसे अन्य दलों के साथ गठबंधन कर सकती है या फिर अकेले मैदान में उतर सकती है। पिछले चुनावों में कांग्रेस को सपा की शर्तों पर चुनाव लड़ना पड़ा था लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस अपने लिए अधिक अनुकूल परिस्थितियां बनाने की दिशा में काम कर रही है।
कांग्रेस ने इस सूची में 65% पद पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग से चुने हैं। इससे साफ होता है कि पार्टी यूपी में पीडीए मॉडल को अपनाने की दिशा में बढ़ रही है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले इस फॉर्मूले को आगे बढ़ाया था जिससे गठबंधन को अच्छा फायदा भी हुआ था। लेकिन अब कांग्रेस खुद इस रणनीति को अपनाकर यूपी में अपनी खोई हुई जमीन तलाशने की कोशिश कर रही है।
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में कांग्रेस ने 133 जिला और महानगर अध्यक्ष नियुक्त किए हैं। इनमें से 85 पदाधिकारी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। इस सूची में शामिल प्रमुख वर्गों की संख्या इस प्रकार है:
ओबीसी (पिछड़ा वर्ग): 48
मुस्लिम: 32
अनुसूचित जाति/जनजाति: 20
जनरल कैटेगरी: 46 (जिसमें 26 ब्राह्मण शामिल हैं)
यह दर्शाता है कि कांग्रेस अब यूपी में सामाजिक समीकरणों को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है, जिससे सपा को सीधा नुकसान हो सकता है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर नए नियुक्त पदाधिकारियों को बधाई देते हुए लिखा, "कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अनुमति से नियुक्त किए गए उत्तर प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों/शहर अध्यक्षगण को हार्दिक बधाई। हमें विश्वास है कि आप सभी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ जननायक राहुल गांधी के लोकहितकारी विचारों को जन-जन तक पहुंचाएंगे और कांग्रेस पार्टी को मजबूत करेंगे।"
कांग्रेस का यह कदम दर्शाता है कि पार्टी यूपी में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए स्वतंत्र रूप से रणनीति बना रही है। जहां लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सपा के साथ गठबंधन से लाभ मिला था, वहीं विधानसभा चुनाव में पार्टी अलग रणनीति अपनाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस और सपा के बीच मतभेद गहरे हो रहे हैं? अगर सीटों के बंटवारे को लेकर सही तालमेल नहीं बना तो कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ सकती है या बसपा जैसे अन्य दलों के साथ गठबंधन कर सकती है। ऐसे में आगामी यूपी विधानसभा चुनाव 2027 कांग्रेस और सपा के संबंधों की असली परीक्षा साबित हो सकते हैं।
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Published on:
21 Mar 2025 03:51 pm
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