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सनकी सीरियल किलर, जो फॉर्म हाउस में नाम लिखकर रखता था नरमुंड, 25 साल पुराने डबल मर्डर में कोर्ट ने ठहराया दोषी

लखनऊ की एक अदालत ने कुख्यात सीरियल किलर, नरभक्षी और खोपड़ी संग्रहकर्ता राजा कोलंदर को वर्ष 2000 में हुए एक डबल मर्डर केस में सोमवार को दोषी करार दिया। जज रोहित सिंह शुक्रवार को सजा का ऐलान करेंगे। कोर्ट ने राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन और बच्छराज को दोषी पाया है। यह घटना लखनऊ के […]

लखनऊMay 20, 2025 / 02:45 pm

Aman Pandey

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AI से बनाई गई प्रतीकात्मक तस्वीर।

लखनऊ की एक अदालत ने कुख्यात सीरियल किलर, नरभक्षी और खोपड़ी संग्रहकर्ता राजा कोलंदर को वर्ष 2000 में हुए एक डबल मर्डर केस में सोमवार को दोषी करार दिया।

जज रोहित सिंह शुक्रवार को सजा का ऐलान करेंगे। कोर्ट ने राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन और बच्छराज को दोषी पाया है। यह घटना लखनऊ के नाका क्षेत्र की है।

कोलंदर के फार्महाउस से मिली थीं 14 मानव खोपड़ियां

कोलंदर और उसके साले बच्छजरा को इससे पहले नवंबर 2012 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की निर्मम हत्या का दोषी ठहराया गया था। इलाहाबाद की एक अदालत ने कोलंदर के फार्महाउस से 14 मानव खोपड़ियां बरामद होने के बाद दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
मामला 25 साल पहले का है। वर्ष 2000 में राजा कोलंदर और उसके साले पर मनोज कुमार सिंह और उसके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की हत्या के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने इस डबल मर्डर में 21 मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की थी। हालांकि, विभिन्न कानूनी पेचीदगियों के चलते मुकदमे की सुनवाई काफी देर से, मई 2013 में शुरू हो पाई।

जानें पूरा मामला

दरअसल, शिकायतकर्ता शिव हर्ष सिंह के पुत्र मनोज कुमार सिंह और उनका ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए निकले थे। मनोज और रवि ने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से छह यात्रियों को बिठाया, जिनमें एक महिला भी थी। उनकी कार की आखिरी लोकेशन हरचंदपुर (रायबरेली) में मिली थी।

शंकरगढ़ में मिले थे शव

शिव हर्ष सिंह के भाई शिव शंकर सिंह ने अदालत में गवाही दी कि उन्होंने मनोज और रवि से बातचीत की थी और वाहन के यात्रियों में से एक ने गाड़ी रुकवाई थी। इसके बाद वाहन और उसमें सवार सभी लोग गायब हो गए।तीन दिन बाद, जब पीड़ितों की कोई खबर नहीं मिली तो नाका थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। बाद में मनोज और रवि के क्षत-विक्षत शव इलाहाबाद के शंकरगढ़ के जंगल में मिले।
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शिव शंकर सिंह ने एक भूरे रंग का कोट भी पहचाना जो मनोज का था और आरोपी के घर से बरामद हुआ था। कोट पर एक दर्जी के लेबल से उसकी पहचान हुई। सरकारी वकील ने बताया कि हमने 12 गवाहों की गवाही ली, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण शिव शंकर सिंह रहे। उनकी जानकारी से यह स्पष्ट हुआ कि यह अपराध पहले से योजनाबद्ध था। इसमें अपहरण, लूट और हत्या शामिल थी। अब अदालत शुक्रवार को इस जघन्य अपराध के लिए सजा की घोषणा करेगी। इस पर सबकी नजर टिक गई है।

कौन था राजा कोलंदर

प्रयागराज के शंकरगढ़ का राजा कोलंदर का असली नाम राम निरंजन कोल था। वह नैनी के केंद्रीय आयुध भंडार (सीओडी) छिवकी में कर्मचारी था। राम निरंजन ब्याज पर रुपये देने के साथ ही राजनीति में भी सक्रिय था। कुछ दिन पहले ही उसकी पत्नी नैनी से जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी। आर्थिक संपन्नता के कारण लोग उसे राजा कोलंदर कहने लगे थे।

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