30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अभी अस्पतालों में मुफ्त जांच और मुफ्त इलाज की राह में हैं कई बाधाएं

सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांचे निशुल्क हैं ।

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Laxmi Narayan

Oct 07, 2017

Lucknow Health News

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में भले ही सरकारी महकमा मरीजों को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कराने के लिए कोशिश करने का दावा कर रहा हो लेकिन सच्चाई यह है कि अभी भी अस्पतालों में सभी सुविधाएँ और जांच निशुल्क उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांचे और दवाएं निशुल्क कर दी गई हैं लेकिन जिला अस्पतालों और आयुर्विज्ञान संस्थानों में कई तरह की जांचों के एवज में शुल्क लिए जाते हैं।यहाँ इलाज पर भी मरीजों को भारी भरकम रूपये खर्च करने पड़ते हैं।जांचों और इलाजों के शुल्क में भी असमानता है।

अलग-अलग है जांच शुल्क

पत्रिका टीम ने मरीजों की जांच पर होने वाले खर्च का अंतर जानने के लिए राजधानी लखनऊ के कई अस्पतालों से जानकारी हासिल की तो चौकाने वाले तथ्य सामने आये। राजधानी में संचालित होने वाले प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध जांचे निशुल्क की जाती हैं, हालाँकि इन केंद्रों पर मामूली बीमारियों की ही जांचें उपलब्ध हैं।लखनऊ के डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में जांचो की कीमत जानने की कोशिश की गई तो सामने आया कि यहाँ अल्ट्रासाउंड, एक्सरे सहित कई तरह की बुखारों की जांचे निशुल्क हैं जबकि सीटी स्कैन की जांच के 500 रूपये लिए जाते हैं। इसके बाद डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में होने वाली जांचों की कीमत जानने की कोशिश की गई तो यहाँ अल्ट्रासाउंड का 350 रूपये जबकि सीटी स्कैन का 1000 रूपये शुल्क बताया गया।

सरकारी अस्पतालों में सभी सुविधाएँ मुफ्त करने की मांग

सामाजिक कार्यकर्ता शरद पटेल कहते हैं कि अस्पतालों में जांच की सुविधा पूरी तरह निशुल्क होनी चाहिए। सक्षम व्यक्ति आमतौर पर सरकारी अस्पतालों की सेवाएं नहीं लेता। बहुत सारे ऐसे बेसहारा लोग हैं जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं, वे इलाज के दौरान जांच का खर्च कैसे उठाएंगे। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे सरकारी अस्पतालों में सभी तरह की जांचे और इलाज मुफ्त में हो। शरद इस काम के लिए दिल्ली के सरकारी अस्पतालों का उदाहरण देते हैं। इस मसले पर पत्रिका ने लखनऊ के सीएमओ डाक्टर जी एस बाजपेई की राय ली। वे कहते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सभी तरह की जांचे निशुल्क है। कोशिश है कि इन स्वास्थ्य केंद्रों पर अन्य तरह की जांच सुविधाएँ भी निशुल्क उपलब्ध हो सकें। अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में जांच के एवज में शुल्क लिए जाते हैं और उनमें मूल्य की विविधता जाँच तकनीकी में अंतर् के कारण होती है। डाक्टर बाजपेई इस बात से सहमति जताते हैं कि सभी तरह की जांचों के लिए शुल्क एक तरह का होना चाहिए लेकिन मूल्यों की विविधता के लिए वे तकनीकी की विविधता और स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने को जिम्मेदार मानते हैं।