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लखनऊ. शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की तमाम कोशिशों के बाद भी प्रदेश में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। प्रदेश में 1000 में से 47 बच्चों की मौत 5 वर्ष से कम आयु में अलग-अलग कारणों से हो जाती है। बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण डायरिया साबित होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए दस्त से होने वाली म्रत्यु की रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा 27 जुलाई से शुरू होगा, जो 9 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान ओआरएस और जिंक की गोलियां बांटी जायेंगी।
चलाये जायेंगे जागरूकता कार्यक्रम
इस पखवाड़े के दौरान मुख्य गतिविधियों के तौर पर जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के साथ साथ स्वास्थ्य सुविधाओं पर डायरिया के केस का उपचार, ओआरएस- जिंक केन्द्रों की स्थापना तथा पांच वर्ष से छोटे बच्चों के घरों में ओआरएस का वितरण किया जाएगा। इसके अलावा साफ़ सफाई से जुड़ी गतिविधियों के बारे में जागरूकता लाना भी इस पखवाड़े का अभिन्न अंग है। इसके लिए आशा द्वारा अपने क्षेत्र के सभी पांच वर्ष से छोटे बच्चों के अभिभावकों को डायरिया के रोकथाम की जानकारी दी जायेगी व सभी प्राथमिक तथा माध्यामिक स्कूलों में हाथ धोने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया जाएगा।
इन संगठनों की ली जाएगी मदद
इस दौरान मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय, ब्लॉक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी स्वास्थ्य ईकाई, होम्योपैथिक, यूनानी व आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और चिन्हित चिकित्सा ईकाई, निजी चिकित्सालय, प्राइवेट प्रक्टिश्नर के यहाँ इंडियन अकैडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स व आईएमए ( इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) का सहयोग लेते हुये ओआरएस एवं ज़िंक कार्नर स्थापित किए जायेंगे। शहरी क्षेत्रों व सुदूर क्षेत्रों में मोबाइल टीमें गठित की जायेंगी। घुमंतू परिवार व अन्य असेवित समाज के बच्चों के लिए ओआरएस के उपयोग के प्रति बढ़ावा देने के लिए ओआरएस कार्नर की स्थापना की जाएगी।
मौत की संख्या में आ रही है कमी
बच्चों में डायरिया का प्रकोप कई प्रदेशों में पांच वर्ष तक के बच्चों में होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण रहा है और 5 वर्ष से कम आयु के 10% बच्चों की मृत्यु दस्त के कारण होती है, जबकि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.2 लाख बच्चों की दस्त के कारण मृत्यु का कारण बनता है तथा दस्त रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में दूसरे स्थान पर है। एसआरएस-2014 के आकड़ों के अनुसार प्रदेश में बाल मृत्यु दर 57/1000 जीवित जन्म थी जो कि वर्तमान में प्रदेश में 47/1000 जीवित जन्म है।
इलाज से हो सकता है बचाव
डायरिया से होने वाली मृत्यु अधिकांशतः गर्मियों और बरसात में होती हैं और संसाधनों व जानकारी के अभाव के चलते सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। बच्चों में डायरिया से होने वाली सभी मृत्युओं को कुछ सावधानी अपनाकर व सही समय पर सही इलाज से रोका जा सकता है। ओआरएस तथा जिंक की गोली के साथ सही उपचार, सही पोषक तत्वों की मात्रा, पीने के साफ़ पानी के प्रयोग, साबुन से हाथ धोने की प्रक्रिया, टीकाकरण, स्तनपान इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Published on:
21 Jun 2018 08:12 pm
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