नर्स ने डाक्टर को मारा थप्पड़ हाथापाई की इस घटना से रामपुर जिला अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि बाद में मामले को किसी तरह से शांत कराया गया। जानकारी के मुताबिक यह घटना सोमवार रात करीब साढ़े नौ बजे जिला अस्पताल की इमरजेंसी की है। दरअसल जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में कोरोना संक्रमित एक मरीज की मौत हो गई थी। जिसके बाद मरीज के परिजनों ने डाक्टर से मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा। आरोप है कि डॉक्टर ने वार्ड में तैनात नर्स से पहले लिखवाकर लाने के लिए कहा। इस पर परिजन नर्स के पास पहुंच गए। इस पर नर्स भड़क गई और नर्स तुरंत इमरजेंसी में पहुंची। इसी दौरान एक फाइल पर साइन को लेकर एक नर्स और रिटायर्ड सीएमएस बीएम नागर के बीच जोरदार बहस हो गई। हंगामा इतना बढ़ा कि नर्स ने कोरोना महामारी में अपनी सेवा दे रहे रिटायर्ड सीएमएस को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। इसके बाद डॉक्टर ने नर्स को थप्पड़ मारा।
मामले को दबाने की कोशिश वहीं वीडियो वायरल होने के बाद डीएम ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि रामपुर जिला अस्पताल मामले को दबाने में जुटा हुआ है। दोनों में सुलह की कोशिश हो रही है। जिससे विवाद को सुलझाया जा सके और कोरोना मरीजों का इलाज हो सके। वहीं इस मामले में नगर मजिस्ट्रेट रामजी मिश्र ने बताया कि दोनों के अपने-अपने आरोप हैं, दोनों को बुलाया गया है। जो घटना घटी वह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी पूरी जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी, जिससे आगे ऐसी घटना न होने पाए।
कानपुर में डीएम के एक्शन के भड़के डाक्टर डीएम की एक कार्रवाई से पूरे कानपुर के सरकारी डॉक्टरों में आक्रोश फैल गया। दरअसल यहां पुलिस ने कोरोना अभियान से जुड़े डाक्टर नीरज सचान के खिलाफ महामारी एक्ट में एफआईआर दर्ज करके उनको देर रात गिरफ्तार कर लिया। डाक्टर नीरज सचान, पतारा सीएचसी हॉस्पिटल के इंचार्ज हैं। दो दिन पहले ही उनको कोरोना रैपिड रेस्पोंस टीम का इंचार्ज बनाया गया था। रविवार को छुट्टी के बाद सोमवार को डीएम ने कोरोना कंट्रोल की मीटिंग की थी, जिसमें डाक्टर नीरज शामिल हुए थे। इस मीटिंग में ही डीएम आलोक तिवारी ने उन पर सही से जिम्मेदारी न निभाने का आरोप लगाकर गिरफ्तार करवा दिया। उनकी गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही शहर के दर्जनों सरकारी डाक्टर स्वरूप नगर थाने पहुंच कर इस कार्रवाई का विरोध करने लगे।
नहीं सुनी डाक्टर की सफाई इस दौरान कानपुर सिटी मजिस्ट्रेट हिमांशु गुप्ता और डीसीपी भी थाने में डटे रहे। हालांकि किसी अधिकारी ने ये सफाई देने की जहमत नहीं की कि आखिर एक डॉक्टर जिसको दो दिन पहले ही टीम का चार्ज मिला हो, उसके ऊपर पूरा कोरोना संक्रमण रोकने की जवाबदेही कैसे डाली जा सकती है। वहीं गिरफ्तार डाक्टर नीरज सचान का कहना है कि मैं मीटिंग में डीएम साहब को अपनी बात समझा नहीं पाया, मैंने उनसे कहा भी कि सर अभी हमको दो दिन काम करने को मिले हैं, कुछ अगर कमी रह गई है तो अगले दो-तीन दिन में सब ठीक कर लूंगा लेकिन वो मेरी बात समझने को तैयार नहीं हुए जबकि मेरे पास पतारा सीएचसी का भी कार्यभार था। डाक्टर नीरज सचान का कहना है कि मैंने माफी भी मांगी, लेकिन डीएम ने कहा कि ये काम सही ढंग से करना नहीं चाहते, इनके खिलाफ एफआईआर करो। इसके बाद डीएम की मीटिंग से निकलते ही पुलिस मुझे पकड़कर थाने लाई और लॉकअप में बंद कर दिया।