12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कफ सिरप कांड: UP सहित छह शहरों में ईडी की बड़ी कार्रवाई, लखनऊ में सिपाही आलोक सिंह की कोठी समेत 25 ठिकानों पर छापे

ED Cracks Down on Codeine Syndicate: उत्तर प्रदेश में कफ सिरप कांड की जांच ने शुक्रवार को नया मोड़ ले लिया, जब प्रवर्तन निदेशालय ने लखनऊ सहित छह शहरों में 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। कार्रवाई में सिपाही आलोक सिंह की कोठी से लेकर सिंडिकेट से जुड़े दवा कारोबारी और सप्लायर तक एजेंसी के निशाने पर आए।

4 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Ritesh Singh

Dec 12, 2025

कफ सिरप कांड में ईडी का बड़ा प्रहार, छह शहरों में छापे और सिपाही आलोक सिंह सहित पूरा नेटवर्क बेनकाब (फोटो सोर्स : Police Media Cell )

कफ सिरप कांड में ईडी का बड़ा प्रहार, छह शहरों में छापे और सिपाही आलोक सिंह सहित पूरा नेटवर्क बेनकाब (फोटो सोर्स : Police Media Cell )

Codeine Syrup ED Raid : उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप और नशीली दवाओं की तस्करी को लेकर शुरू हुए कफ सिरप कांड में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की। तड़के सुबह से शुरू हुई छापेमारी में एजेंसी ने लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर, सहारनपुर, रांची और अहमदाबाद में कुल 25 ठिकानों पर धावा बोला। इनमें पुलिस विभाग में तैनात सिपाही आलोक सिंह की लखनऊ स्थित कोठी भी शामिल है, जहां से संदिग्ध दस्तावेज और डिजिटल डेटा जब्त किए गए।

लखनऊ से लेकर रांची तक- ईडी की कार्रवाई

लखनऊ में पिछले कुछ महीनों से कोडीन युक्त हर्बल और एलोपैथिक कफ सिरप, इंजेक्शन और नशीली दवाओं की अवैध खरीद-फरोख्त का नेटवर्क तेजी से फैल रहा था। कृष्णा नगर में हुई बड़ी बरामदगी के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह सिर्फ स्थानीय गिरोह नहीं, बल्कि कई राज्यों में फैला संगठित सिंडिकेट है। ईडी की यह कार्रवाई उसी नेटवर्क को आर्थिक व कानूनी रूप से तोड़ने का प्रयास है। ईडी की टीमों ने सुबह 6 बजे के आसपास कई शहरों में एक साथ छापेमारी शुरू की। सूत्रों के अनुसार, छापों का उद्देश्य अवैध कमाई के स्रोतों की पहचान,फंडिंग चेन का पता लगाना,संपत्तियों को फ्रीज या जब्त करना हैं ।  

नशीली दवाओं की सप्लाई लाइन से जुड़े संपर्कों का खुलासा

ईडी को आशंका है कि कोडीन युक्त सिरप की तस्करी से जुड़े कई आरोपी पैसों को शेल कंपनियों, फर्जी आयुर्वेदिक एजेंसियों, और बैंक खातों के माध्यम से घुमा रहे थे। लखनऊ में सिपाही आलोक सिंह के दो ठिकानों पर छापा पड़ा। बताया जा रहा है कि आलोक सिंह के संपर्क में इस सिंडिकेट के कुछ प्रमुख सदस्य रहते थे। हालांकि ईडी ने आधिकारिक बयान में किसी का नाम उजागर नहीं किया है, लेकिन जांच सूत्रों के अनुसार आलोक सिंह लंबे समय से संदिग्ध गतिविधियों पर रडार में थे।

11 अक्टूबर की पहली बड़ी कार्रवाई बनी पूरे नेटवर्क को तोड़ने की कुंजी

यह मामला उस समय गंभीर हुआ जब 11 अक्टूबर को औषधि विभाग और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने लखनऊ के कृष्णा नगर क्षेत्र स्थित स्नेहनगर में दीपक मानवानी के घर छापा मारा। वहां से बरामद हुआ भारी मात्रा में कोडीन युक्त सिरप, नशीली टैबलेट, कैप्सूल तथा इंजेक्शन, पैकिंग सामग्री और अवैध वितरण से जुड़े दस्तावेज।

दीपक के घर पर मिली सामग्री मात्रा में इतनी अधिक थी कि अधिकारियों के अनुसार उसे “मिनी गोदाम” कहा जा सकता है। पूछताछ में दीपक ने कबूला कि वह यह दवा दो सप्लाय सूरज मिश्र और प्रीतम सिंह से खरीदता था और नशेड़ियों व छोटे डीलरों को सप्लाई करता था। इसके बाद पुलिस ने सूरज और प्रीतम को आरोपी बनाकर तलाश शुरू की। सूरज और प्रीतम गिरफ्तार-एक की आयुर्वेदिक दवा एजेंसी थी, दूसरा रेस्टोरेंट में काम करता था।  बृहस्पतिवार देर शाम कृष्णानगर पुलिस ने बैकुंठ धाम VIP रोड इलाके से दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया।

1. सूरज मिश्रा

  • मूल निवासी: सीतापुर के अटरिया सदनपुर
  • वर्तमान पता: मड़ियांव, फैजुल्लागंज
  • व्यवसाय: न्यू मंगलम आयुर्वेदिक दवा एजेंसी
  • भूमिका: अपनी एजेंसी के नाम पर कोडीन सिरप की अवैध खरीद और सप्लाई

जांच में सामने आया कि सूरज ने आयुर्वेदिक एजेंसी का इस्तेमाल सिर्फ कवर की तरह किया। उसी के जरिए वह प्रतिबंधित दवाओं की नकली बिलिंग और वितरण कर रहा था।

2. प्रीतम सिंह

  • मूल निवासी: बहराइच, बाडी राजा
  • पता: बादशाहनगर, लखनऊ
  • व्यवसाय: फैमिली रेस्टोरेंट, पुरनिया में कर्मचारी
  • भूमिका: पैकेटिंग, ट्रांसपोर्ट और सप्लाई चेन में सक्रिय

पुलिस ने बताया कि प्रीतम सिंडिकेट का "फील्ड मैनेजर" की तरह काम करता था,डिलीवरी, कस्टमर लिंक और सुरक्षित रूट बदलना उसी की जिम्मेदारी थी। एक अन्य आरोपी अभी फरार-आरुष सक्सेना की तलाश जारी दीपक मानवानी ने जिन तीन लोगों से दवाएं लेने की बात स्वीकार की थी, उनमें तीसरा नाम आरुष सक्सेना का है। आरुष की गिरफ्तारी नहीं हुई है और पुलिस उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है। सूत्रों का कहना है कि पूरा नेटवर्क कई स्तरों पर चलता था, होलसेल सप्लायर,स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटर, फेक मेडिकल स्टोर और एजेंसियां,सड़क स्तर पर बेचने वाले डीलर,आरुष इन्हीं कड़ियों को जोड़ने वाली “मुख्य चेन” का हिस्सा था।

 खतरनाक है कोडीन युक्त कफ सिरप का अवैध व्यापार

कोडीन एक नियंत्रित दवा है, जो नशीली होती है और इसका दुरुपयोग गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है। नशे की लत,लीवर पर प्रभाव,सांस लेने में दिक्कत,उच्च मात्रा में ओवरडोज से मौत , सिंडिकेट इस दवा को आस-पास के जिलों और छोटे शहरों में 50–100 रुपये की बोतल को 400–500 रुपये में बेचता था। कई जगह यह नशा हेरोइन या स्मैक के सस्ते विकल्प के रूप में बढ़ रहा है।

वित्तीय अनियमितता और हवाला कनेक्शन की आशंका

छापेमारी से पहले ईडी को मिले इनपुट में कई चिंताजनक बातें सामने आईं। सिंडिकेट की 15 से अधिक फर्जी कंपनियां ,1 करोड़ से ज्यादा की संदिग्ध बैंक ट्रांजैक्शन,नकद लेनदेन के जरिए हवाला एंगल।कई पुलिसकर्मी और स्थानीय दुकानदारों के नाम शामिल। इन्हीं कारणों से "मनी लॉन्ड्रिंग" का केस दर्ज कर जांच ईडी के हाथों में गई।

सिपाही आलोक सिंह के घर छापेमारी और भी  पुलिसकर्मियों का लिंक

लखनऊ में ईडी ने सबसे ज्यादा समय आलोक सिंह के घर पर बिताया। बताया जा रहा है कि कुछ संदिग्ध लोगों का लगातार आना-जाना। एक कोठी और दो अन्य संपत्तियों पर disproportionate assets की शिकायत। संदिग्ध लेनदेन के व्हाट्सएप चैट। नकद राशि और गाड़ियां। ईडी यह जांच कर रही है कि क्या आलोक सिंह सीधे या परोक्ष रूप से सिंडिकेट के आर्थिक गतिविधियों से जुड़े थे।

आगामी समय में और गिरफ्तारियां 

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि ईडी की कार्रवाई अभी पहला चरण है। छापों में मिले दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों का विश्लेषण होने के बाद कई मेडिकल स्टोर मालिक,सप्लाई चेन से जुड़े लोग,दो-तीन और पुलिसकर्मी, दवा कंपनियों के कुछ कर्मचारी, जांच के दायरे में आ सकते हैं।

यूपी में फैल रहे नशा नेटवर्क का एक और बड़ा चेहरा

पिछले एक साल में मेरठ, गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, बरेली इन जिलों में भी कोडीन आधारित दवाओं की तस्करी के कई मामले सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नशे का नया तरीका अब "मेडिकल नशा" बनता जा रहा है, जिसमें दवा दुकानों का दुरुपयोग हो रहा है।

सरकार और एजेंसियों का सख्त रुख

यूपी पुलिस, औषधि विभाग और ईडी इन तीनों एजेंसियों की सहभागिता यह दर्शाती है कि सरकार इस मुद्दे को बेहद गंभीर मान रही है। अधिकारियों के अनुसार,नशीली दवाओं की तस्करी में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। यह युवा पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ है। आने वाले दिनों में इस पूरे नेटवर्क की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह जांच से सामने आएगा।


बड़ी खबरें

View All

लखनऊ

उत्तर प्रदेश

ट्रेंडिंग