
फेंसेडिल और कोडीन आधारित दवाओं की अवैध तस्करी का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार (फोटो सोर्स : Police Media Cell )
UP STF: प्रदेश में नशे के खिलाफ चल रहे अभियान के बीच यूपी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने मंगलवार देर रात एक बड़ी सफलता हासिल की। फैंसीडिल कफ सिरप और कोडीन युक्त दवाओं की अवैध तस्करी करने वाले गिरोह के दो सक्रिय सदस्यों को आलमबाग के मवैया रोड स्थित टेढ़ी पुलिया तिराहा क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया। अभियुक्तों के पास से पुलिस को कई अहम दस्तावेज, मोबाइल फोन, बिलबुक और उन फर्जी फर्मों से जुड़े कागजात मिले हैं, जिनका उपयोग दवाओं की खरीद-बिक्री को वैध दिखाने के लिए किया जा रहा था।
1. अभिषेक शर्मा- दिल्ली स्थित एबॉट कंपनी का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर, गिरोह का मुख्य सदस्य एवं वांछित अभियुक्त
2. शुभम शर्मा - गिरोह का सहयोगी, दवाओं की अवैध हेराफेरी और दस्तावेज तैयार करने में सक्रिय
एसटीएफ को काफ़ी समय से इस गिरोह की गतिविधियों की जानकारी मिल रही थी। विश्वसनीय सूचना पर चेकिंग अभियान चलाया गया और दोनों अभियुक्तों को दबोच लिया गया।
पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह गिरोह पिछले कई वर्षों से कोडीन आधारित कफ सिरप विशेष रूप से फेंसेडिल (Phensedyl) और अन्य नशीली दवाओं को फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रदेश में मंगाता था। फिर फर्जी फर्मों और नकली बिलों के माध्यम से इन दवाओं को वैध व्यापार दिखाते हुए असल में इन्हें नशे के कारोबारियों को बेचता था। अभिषेक शर्मा ने बताया कि तस्करी का यह नेटवर्क बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल से होते हुए बांग्लादेश तक फैला हुआ है। फेन्सेडिल कफ सिरप बांग्लादेश में बड़ी मात्रा में अवैध रूप से बिकता है क्योंकि वहां कोडीन आधारित दवाओं पर कड़ी पाबंदी है। इस कमी के कारण यह सिरप वहां महंगे दामों पर बिकता है, जिससे भारतीय सीमावर्ती तस्करों को भारी मुनाफा मिलता है।
पूछताछ में अभिषेक शर्मा ने कबूल किया कि वर्ष 2019 में वह दिल्ली के जी.आर. ट्रेडिंग नामक दवा फर्म में भर्ती हुआ था। फर्म का संचालन विभोर राणा और विशाल सिंह करते थे। शुरुआत में वह साधारण काम, दवाओं की लोडिंग-अनलोडिंग, गोदाम में स्टॉक मैनेजमेंट, और परिवहन से जुड़े रिकॉर्ड रखने का काम संभालता था। परंतु कुछ ही समय में उसे असली खेल की जानकारी हो गई।
अभिषेक के अनुसार,एबॉट कंपनी और अन्य दवा कंपनियों से बड़ी मात्रा में फेंसेडिल और कोडीन युक्त दवाएं मंगाई जाती थीं। खरीद के लिए फर्जी फर्मों, फर्जी जीएसटी नंबर और नकली लाइसेंस का उपयोग किया जाता था। कागजों में दिखाया जाता था कि दवाएं अलग-अलग राज्यों की मेडिकल दुकानों को सप्लाई की गई हैं। जबकि असल में यह दवाएं तस्करों को बेची जाती थीं, जो इन्हें बिहार–झारखंड–बंगाल–बांग्लादेश रूट से पार कराते थे। यह नेटवर्क इतना मजबूत था कि बिना किसी रोकटोक के लाखों रुपये की दवाएं हर महीने तस्करों तक पहुंच जाती थीं।
फेंसेडिल और अन्य कोडीन आधारित कफ सिरप को नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कोडीन एक ओपिओइड (opioid) है, जो अधिक मात्रा में उत्तेजना और नशे जैसा प्रभाव देता है। नशेड़ी लोग इसे बड़ी मात्रा में पीते हैं। भारत--बांग्लादेश सीमा पर यह लाखों की कीमत पर बेचा जाता है। इस अवैध व्यापार में दवा कंपनियों से खरीद, फर्जी लाइसेंस, नकली डिस्ट्रीब्यूटर और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सबकी भूमिका होती है, इसलिए पुलिस के लिए ऐसे गिरोहों को पकड़ना चुनौतीपूर्ण होता है।
सूत्रों के अनुसार गिरोह के मास्टरमाइंड अभिषेक शर्मा और शुभम शर्मा किसी गुप्त सौदे के लिए लखनऊ आए थे। STF को इसकी पुष्टि एक स्थानीय मुखबिर से मिली। जैसे ही दोनों टेढ़ी पुलिया तिराहा, मवैया रोड पर पहुंचे, एसटीएफ की टीम पहले से सतर्क थी। मौके पर घेराबंदी कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के समय उनके पास से मोबाइल फोन, फर्जी बिल और इनवॉइस, दवा आपूर्ति संबंधी रजिस्टर, कई फर्मों के रबर स्टैम्प और कोडीन युक्त दवाओं के लेन-देन का लेखा-जोखा जैसे बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए।
एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि यह गिरफ्तारी इस नेटवर्क की सिर्फ एक कड़ी है।
यह भी आशंका है कि गिरोह ने पिछले 4–5 वर्षों में करोड़ों रुपये की दवाओं की तस्करी की है।
उत्तर प्रदेश सरकार नशे के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। पिछले एक साल में हेरोइन,स्मैक,चरस,सिंथेटिक ड्रग्स, और कोडीन आधारित दवाओं की तस्करी में शामिल दर्जनों गैंग पकड़े जा चुके हैं। फेंसेडिल और नशीली दवाओं की तस्करी खास चिंता का विषय है क्योंकि इन्हें डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। एसटीएफ का दावा है कि आगे इस नेटवर्क से जुड़े कई और लोग गिरफ्तार हो सकते हैं।
फेंसेडिल जैसी कफ सिरप जरूरी होने पर दवा के रूप में इस्तेमाल होती है, लेकिन जब इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के पिया जाता है, तो यह गंभीर लत और जानलेवा प्रभाव पैदा कर सकती है। किशोरों, युवाओं और सीमावर्ती इलाकों में इसकी लत तेजी से फैल रही है। नशे के स्रोत को रोकना समाज और स्वास्थ्य तंत्र, दोनों की जिम्मेदारी है।
यूपी एसटीएफ की इस कार्रवाई ने नशीली दवाओं की तस्करी पर बड़ा प्रहार किया है। अभिषेक और शुभम की गिरफ्तारी से पुलिस के हाथ महत्वपूर्ण सुराग लगे हैं, जो आगे पूरे नेटवर्क के पर्दाफाश में मदद करेंगे। प्रदेश में नशे की अवैध सप्लाई को रोकने के लिए ऐसे अभियान जरूरी हैं और यह कार्रवाई आने वाले दिनों में और बड़ी गिरफ्तारियों की दिशा में पहला कदम साबित हो सकती है।
Published on:
11 Dec 2025 07:15 pm
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