ED on Conversion: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धर्मांतरण गिरोह की फंडिंग में बड़ा खुलासा किया है। छांगुर और उसके नेटवर्क के 25 खातों में 65 करोड़ से ज्यादा की विदेशी फंडिंग के प्रमाण मिले हैं। इस रकम से खरीदी गई 18 से अधिक संपत्तियां चिह्नित की जा चुकी हैं, जिन्हें जल्द जब्त किया जाएगा।
ED Investigation: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में धर्मांतरण कराने वाले गिरोह को विदेशी फंडिंग मिलने की सच्चाई सामने आ गई है। एजेंसी ने इस गिरोह के मुख्य आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर और उसके सहयोगियों के करीब 25 बैंक खातों में 65 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग के प्रमाण जुटा लिए हैं। इस भारी-भरकम रकम का बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से आया है, जिसे अवैध रूप से भारत में धर्मांतरण गतिविधियों को संचालित करने और संपत्तियों की खरीद के लिए इस्तेमाल किया गया। ईडी अब इस अवैध धन से खरीदी गई लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की ओर बढ़ रही है।
ईडी सूत्रों के अनुसार इन संपत्तियों में अधिकतर बलरामपुर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में स्थित हैं। ये संपत्तियां नवीन रोहरा उर्फ जलालुद्दीन और उसकी पत्नी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन के नाम से खरीदी गई हैं। जांच एजेंसी को शक है कि इन दोनों ने ही इस नेटवर्क के ज़रिए अवैध फंड को रियल एस्टेट में निवेश किया, जिससे न सिर्फ धन को वैध रूप दिया जा सके बल्कि भविष्य में इसका उपयोग और विस्तार भी हो सके।
ईडी ने अब तक 25 खातों की पहचान की है जिनमें यह फंडिंग हुई, लेकिन इसके अतिरिक्त भी लगभग 18 अन्य खातों की जांच की जा रही है जिनमें खाड़ी देशों से ट्रांजैक्शन के सबूत मिले हैं। इन खातों की गहनता से जांच की जा रही है कि कौन-कौन लोग इस कड़ी से जुड़े हैं और किस उद्देश्य से फंड भेजा गया।
मामले की जांच मुम्बई तक पहुंच चुकी है। यहां शहजाद शेख नामक व्यक्ति के दो फ्लैटों पर ईडी ने छापा मारा। शहजाद नवीन रोहरा का करीबी बताया जा रहा है। जांच के दौरान शहजाद के मोबाइल फोन से क्रोएशिया की मुद्रा 'कुना' की तस्वीरें मिली हैं। इससे संकेत मिलता है कि इस गिरोह की गतिविधियां केवल खाड़ी देशों तक सीमित नहीं थीं बल्कि यूरोप तक फैली हुई थीं। अब ईडी उसके मोबाइल डेटा की फॉरेंसिक जांच कर रही है।
ईडी की पूछताछ में शहजाद शेख ने स्वीकार किया कि उसने बलरामपुर में एक संपत्ति बेची थी, जिसके एवज में उसके खाते में छांगुर ने 1.20 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे। यह डील भी संदिग्ध मानी जा रही है और जांच एजेंसी अब उस संपत्ति की डिटेल, लेनदेन के तरीके और छांगुर के साथ उसकी आर्थिक भागीदारी की गहराई से पड़ताल कर रही है।
ईडी अब छांगुर और नवीन को पुलिस रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है ताकि उनसे और गहनता से पूछताछ की जा सके। इसके लिए अगले सप्ताह विशेष कोर्ट में अर्जी दाखिल की जाएगी। माना जा रहा है कि पुलिस रिमांड से इस फंडिंग नेटवर्क की और परतें खुलेंगी और इसके पीछे छिपे अन्य विदेशी स्रोतों का भी खुलासा होगा।
ईडी ने इस पूरे मामले में 'प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट' (PMLA) के तहत केस दर्ज किया है। यह एक गंभीर आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है, जिसमें दोष सिद्ध होने पर कठोर सजा और संपत्तियों की जब्ती का प्रावधान है।
इस मामले की जड़ें उत्तर प्रदेश एटीएस ने पहले ही उजागर कर दी थीं। एटीएस अब तक छांगुर समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने संगठित रूप से धर्मांतरण के लिए काम किया और विदेशी फंडिंग का उपयोग कर इसे संचालित किया।
अब जब ईडी के पास इन आरोपियों की फंडिंग और संपत्तियों के पर्याप्त साक्ष्य हैं, एजेंसी जल्द ही इन सभी चिह्नित संपत्तियों को जब्त करने की कानूनी प्रक्रिया शुरू करेगी। इस कार्रवाई का उद्देश्य न सिर्फ अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को जब्त करना है, बल्कि ऐसे नेटवर्क को समाप्त करना भी है जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।