उत्तर प्रदेश में अभी ज्यादातर कंपनियां कर्मचारी की सैलरी का गैर-भत्ता हिस्सा (Non-Allowance Part) का 50 परसेंट से कम रखती हैं, ताकि वो अपना उन्हें EPF और ग्रेच्युटी में कम योगदान करना पड़े और उनका बोझ कम हो सके, लेकिन नया वेतन कोड लागू होने के बाद कंपनियों को बेसिक सैलरी बढ़ानी पड़ेगी। इससे कर्मचारियों की Take-Home Salary तो घट जाएगी, लेकिन PF योगदान और ग्रेच्युटी योगदान बढ़ जाएगा। साथ ही कर्मचारी की टैक्स देयता (Tax Liability) भी घट जाएगी, क्योंकि कंपनी कर्मचारी के लिए अपना PF योगदान उसके CTC ( Cost-To-Company) में जोड़ देगी।
यूपी में अप्रैल 2021 से निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की टेक होम सैलरी (take-home salary) घट सकती है, क्योंकि कंपनियों को नए वेतन नियम (New Wage Rules) के हिसाब से कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करना पड़ेगा। नए वेतन नियमों के मुताबिक, किसी भी कर्मचारी के भत्ते (Allowances) कुल भुगतान (Compensation) का 50 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकते हैं। मतलब अप्रैल, 2021 से कर्मचारी की बेसिक सैलरी (Basic Pay) कुल सैलरी (Total Pay) का 50 परसेंट या इससे ज्यादा होगी।
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Defined Contributions का सिस्टम लागू करने की तैयारी में श्रम मंत्रालय
श्रम मंत्रालय ने एक और सुझाव संसदीय समिति को दिया है, श्रम मंत्रालय का कहना है कि ईपीएफओ (EPFO) जैसे पेंशन फंड को आगे जारी रखने और ज्यादा व्यावहारिक बनाए रखने के लिए मौजूदा ढांचे में बदलाव करना होगा। इसमें ‘Defined Benefits’ के बजाय ‘Defined Contributions’ का सिस्टम लागू किया जाए। अभी EPFO पेंशन की न्यूनतम सीमा तय है, यह एक तरीक से ‘Defined Benefits’ मॉडल है। Defined Contributions सिस्टम को अपनाने पर पीएफ सदस्यों को उनके अंशदान के मुताबिक बेनेफिट मिलेगा, यानी जितना योगदान उतना ही फायदा। अगर नए वेतनमान नियमों की रोशनी में इस नए सुझाव को देखें तो उन कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है जो अपनी टेक होम सैलरी ज्यादा चाहते हैं, हालांकि इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।