
लखनऊ. Expiry Sugar- क्या आप चीनी खरीदने से पहले एक्सपायरी डेट देखते हैं? अगर नहीं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मुताबिक, किसी भी हालत में दो साल से ज्यादा पुरानी चीनी को नहीं बेचा जा सकता है। एक्सपायर्ड चीनी को इस्तेमाल करना काफी खतरनाक साबित हो सकता है। एक्सपायरी डेट के बाद चीनी बेचना कानून अपराध है बावजूद, बाजार में कई दुकानदार पैसों के लालच में एक्पायर्ड चीनी बेचते हैं।
आमतौर पर ज्यादातर लोग बाजार से खुली चीनी खरीद कर लाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सलाह है कि वह पैकेट वाली ही चीनी खरीदें या फिर जिस बोरी से उन्हें चीनी दी जा रही है, उस पर अंकित एक्सपायरी डेट जरूर करें। दुकानदार से भी पता करें। ऐसा नहीं करना आपके स्वास्थ्य के लिए अहितकर हो सकता है।
मानें विशेषज्ञों की सलाह
कहने को तो तकनीकी रूप से चीनी कभी खराब नहीं होती है। लेकिन, विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि दो साल बाद दानेदार चीनी भी खाने लायक नहीं रह जाती है।
एक्सपायर्ड चीनी की होती है रि-प्रोसेसिंग
एक्सपायरी डेट के बाद चीनी को बेचने योग्य बनाने के लिए चीनी मिलों को उसकी रि-प्रोसेसिंग करना होता है। इसमें चीनी को पिघलाकर दोबारा चीनी बनानी पड़ती है। इसमें खर्च बहुत ज्यादा आता है।
यूपी में 10 लाख टन चीनी हो जाएगी एक्सपायर्ड
उत्तर प्रदेश में सालाना 100 से 110 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है। बीते वर्ष 125 टन चीनी का उत्पादन हुआ था। वर्तमान में चीनी मिलों के पास करीब 45 लाख टन चीनी का स्टॉक है। चीनी मिल एसोशिएशन का मानना है कि तमाम कोशिशों के बावजूद साल के आखिर तक 35 लाख टन चीनी की ही बिक्री हो पाएगी। ऐसे में 10 लाख टन चीनी बिना बिक्री के एक्सपायर्ड हो जाएगी। रि-प्रोसेसिंग में खर्च ज्यादा आएगा। इसे लेकर शुगर मिल एसोशिएशन ने सरकार को पत्र लिखकर इसकी बिक्री के लिए नियमों में ढील देने का अनुरोध किया है।
नवंबर 2021 से लागू होंगे सख्त नियम
17 नवंबर 2020 को एफएसएसएआई ने पैकेजिंग, लेबलिंग व प्रदर्शन विनिमयन सबंधी अधिसूचना जारी की थी। इसके मुताबिक, चीनी पैकेट पर उत्पादन तिथि अंकित करने के निर्देश दिये थे। साथ ही कहा गया था कि उत्पादन के दो साल बाद चीनी को बेचा नहीं जा सकता हैा। कारोबारियों को नवम्बर 2021 से इन नियमों को पूरी तरह से पालन करना होगा।
'बी' कैटेगरी का सर्टिफिकेट जारी करने पर विचार
अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, संजय आर भूसरेड्डी ने कहा कि चीनी मिल संचालकों को को बहुत परेशानी नहीं होगी। पुरानी चीनी को रि-प्रोसेस किा जा सकता है। वैसे 'बी' कैटेगरी का सर्टिफिकेट जारी कर इस तरह की चीनी की खपत की बात हो रही है।
Published on:
18 Sept 2021 01:21 pm
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