
Kisan Diwas 2021: 23 दिसंबर को क्यों मनाते हैं किसान दिवस? यूपी कनेक्शन जानकर चौंक जाएंगे
लखनऊ. यूपी सहित पूरे देश में किसान दिवस (National Farmers Day) मनाया जाता है। आखिर क्यों? किसान दिवस क्यों मनाया जाता है। आखिर ऐसा क्या हुआ था कि पूरा देश एक साथ एकजुट होकर किसान दिवस मनाता है। वो क्या कारण थे, ऐसे कई सवाल आपके अंदर घुमड़ घुमड़ कर सवाल कर रहे होंगे। पर जवाब जानकर आप हैरत में आ जाएंगे की अरे इसका तो अपने यूपी से कनेक्शन है। तो जानिए किसान दिवस क्यों मनाते हैं।
Kisan Diwas 2021 देश में 23 दिसम्बर 2021 को किसान दिवस 2021 मनाया जा रहा है। भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर हर साल यह खास दिन मनाया जाता है। अपने कार्यकाल में कृषि क्षेत्र के उत्थान में चौधरी चरण सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। किसानों के हित में किए गए चौधरी चरण सिंह के कामों को याद करने और उनको सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने साल 2001 में हर साल 23 दिसंबर को चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।
23 दिसंबर 1902 को हुआ था चरण सिंह का जन्म :- चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था। वह किसान परिवार से थे। किसान दिवस कृषि क्षेत्र की नवीनतम सीखों के साथ समाज के किसानों को सशक्त बनाने का विचार देता है।
दिसंबर 1978 को किसान ट्रस्ट बनाया :- माना जाता है कि चौधरी चरण सिंह ने सर छोटू राम की विरासत को आगे बढ़ाया। सर छोटू राम भी एक बड़े किसान नेता थे। उन्होंने देश में किसानों के मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाई जाने के लिए 23 दिसंबर 1978 को किसान ट्रस्ट भी बनाया। चौधरी चरण सिंह ने किसानों के सुधारों के बिल पेश करके देश के कृषि क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाई थी।
किसानों के मसीहा थे चौधरी चरण सिंह :- आज किसानों को भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। इसके पीछे बहुत बड़ा हाथ चौधरी चरण सिंह का भी है। इसलिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को किसानों के मसीहा के तौर पर भी जाना जाता है। वह हमेशा किसानों के अधिकारों के लिए लड़े और खड़े रहे।
चरण सिंह के पोते जयंत हैं रालोद सुप्रीमो :- चरण सिंह स्वतंत्र भारत के पांचवे प्रधानमंत्री थे, इस पद पर 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक कार्य किया। चरण सिंह का कार्यकाल महज 7 महीने का था। 29 मई 1987 को इनका निधन हो गया। इनकी पत्नी गायत्री देवी और पांच बच्चे थे। रालोद पार्टी अध्यक्ष अजीत सिंह चौधरी, चरण सिंह के बेटे थे। अब रालोद की कमान चरण सिंह के पोते जयंत के पास है। इनके पूर्वज राजा नाहर सिंह 1857 की क्रांति में भागीदारी थे। इस तरह देश प्रेम चरण सिंह के स्वभाव में व्याप्त था। इनकी अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ थी, इन्होंने कई पुस्तकें अंग्रेजी भाषा में लिखी थी।
Updated on:
22 Dec 2021 08:46 pm
Published on:
22 Dec 2021 08:39 pm
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