31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यूपी में बाढ़: 2 हजार नाविकों, मल्लाहों की रोजी रोटी पर संकट, काशी, प्रयागराज में गंगा यमुना के आगे सब बेबस

उत्तर प्रदेश में गंगा यमुना सरयू जैसी बड़ी प्रमुख नदियों के भीषण तांडव मचा रखा है। दो दर्जन से ज्यादा जिलों के लोग बाढ़ में बुरी तरह प्रभावित हैं, वहीं 5 प्रमुख जिलों के हजारों परिवार अब भुखमरी की कगार पर हैं, जिनमें काशी, प्रयागराज प्रमुख हैं। ये ऐसे परिवार हैं, जिनकी रोजी रोटी ही नदियों के किनारे आने वाले टूरिस्टो और बाहर से आकर रहने वाले लोगों पर आधारित हैं। ऐसे 2 हज़ार से ज्यादा नाविक और मल्लाह परिवारों के लिए अपने छोटे छोटे बच्चों को भोजन करा पाना भी मुश्किल हो रहा है, वहीं बाहर से आकर पढ़ाई और नौकरी करने वालों के किराए पर चलने वाले मकान मालिक भी अब भूख, प्यास और जरूरी दवाओं के लिए परेशान हैं, क्योंकि घरों के चारो ओर पिछले 18 दिनों से पानी भरा हुआ है। सारा घर पानी में डूब चुका है।

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Dinesh Mishra

Sep 01, 2022

File Photo of Flood in Prayagraj co related to kashi

File Photo of Flood in Prayagraj co related to kashi

जिन सड़कों पर कभी तेज रफ्तार गाडियाँ चलती थीं आज उनपर नाव चल रही जो डूबी हुई कारों को देखकर अपना टाइम आ गया कहती हुई नज़र आ रही हैं। वहीं बाढ़ ग्रस्त पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सरकार की ओर से डूबे हुए घरों तक सीधे भोजन और मेडिकल सुविधाएं देने के लिए नाव पर डॉक्टर और जरूरी सामान भेजा जा रहा है। जिसे 'डोर-टू-डोर' अभियान का नाम दिया गया है। वाराणसी में गुरुवार से इस अभियान में 32 डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ इसे शुरू किया गया है।


वाराणसी बाढ़ से प्रभावित 2139 मरीज का इलाज, ORS और क्लोरीन की गोलियां बांटी
वाराणसी में उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा पीयूष राय के मुताबिक बीते 24 घंटों में बाढ़ राहत शिविरों में 482 मरीज देखे गए। ओआरएस के 372 पैकेट, 2560 क्लोरीन टैबलेट लोगों को दी गई हैं। इस तरह 7 दिनों में, बाढ़ राहत शिविरों में कुल 2139 मरीज देखे गए हैं। जो गंभीर अथवा जरूरी मरीज दिख रहे हैं उन्हें नाव के ज़रिए बाहर निकालकर जिला अस्पतालो में भी एडमिट कराने की व्यबस्था है।

बाढ़ में सबसे ज्यादा समस्या प्रेग्नेंट महिलाओं की बढ़ी
वाराणसी में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा सोनाली त्रिपाठी कहती हैं कि, इस समय सबसे अधिक समस्या छोटे बच्चों की और गर्भवती महिलाओं की बढ़ी है। हम कई घरों से जो बाढ़ से घिरे हुए थे वहाँ से ऐसी महिलाओं को और छोटे बच्चों को ला रहे हैं।गर्भवती महिलाओं को फिलहाल गोयनका महाविद्यालय बाढ़ सहायता केंद्र में देखा जा रहा है।

प्रयागराज और काशी में घाट की कमाई से जीने वाले अब मरने को मजबूर
काशी में मल्लाह संगठन के केशव निषाद कहते हैं कि, नाव वालों की हर रोज़ आमदनी लगभग 3 रु से लेकर 9 रु तक हो ही जाती थी। लेकिन पिछले एक महीने से एक रुपए नहीं मिल रहा है। हमारा सब कुछ तो गंगा मैया और ये नाव ही है, हमें नाव चलाने के अलावा हम लोगों को कुछ नहीं आता, हम कैसे कमाएं? सामान गिरवी रखकर परिवार पालना पड़ रहा है। घाट की कमाई से जी रहे थे अब यही मरने को मजबूर हैं।

काशी के घाटों पर नाव खड़ी लेकिन दूर तक कोई सहारा नहीं

वाराणसी के मल्लाह यूनियन से जुड़े नेता कमल सिंह का कहना है कि, एक महीने से बनारस के 88 घाटों पर करीब 2000 से ज्यादा नाव एक-दूसरे से बंधी खड़ी हैं। अस्सी से लेकर राजघाट तक नाव चलाने वाले 15000 से ज्यादा मल्लाह खाली बैठे हैं।

यह भी पढे: ताजमहल के बंद 22 कमरों का खुल गया सीक्रेट, ASI ने फोटो जारी करते हुए बताई गंभीर बातें