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हिस्ट्रीशीटर दुर्गेश यादव करता रहा मिन्नतें, आखिर मिली दर्दनाक मौत, पूरा मामला नहीं था इतना सीधा

पुलिस के मुताबिक दुर्गेश यादव (Durgesh Yadav) ने 2015 के गोरखपुर में जिला पंचायत चुनाव में उरूवा से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गया। फिर वह लखनऊ आकर रहने लगा।

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

Sep 03, 2020

लखनऊ. हिस्ट्रीशीटर (HistorySheeter) दुर्गेश यादव (Durgesh Yadav) की बुधवार सुबह हत्या से पहले उसे खूब यातनाएँ दी गई थी। इसका एक विडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। आरोपी महिला समेत अन्य लोग उसे ‘थर्ड डिग्री’ टॉर्चर देते नजर आ रहे हैं। वीडियो में नीली जीन्स और टॉप पहने महिला का नाम पलक ठाकुर है, जो अन्य लोगों के साथ दुर्गेश को अर्धनग्न स्थिति में खूब मारते दिख रही है। लखनऊ पीजीआई के वृंदावन कालोनी सेक्टर-14 में घटित हुई इस घटना का वीडियो हैरान करने वाला है। करीब 20 मिनट तक हमलावरों ने उसकी पिटाई की। बीच में वे कभी उसका गला घोंटते तो कभी लात व घूंसे से मारते। कोई उसके दोनों हाथों को बेल्ट से बांधता, ताकि वह भाग न सके।

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मदद की लगाई गुहार-

दुर्गेश इस बीच अपने साथियों से मदद की गुहार लगाता, लेकिन हमलावर उन्हें बंदूक का दर दिखाकर उन्हें दूर रहने की चेतावनी देते नजर आ रहे हैं। उनके मोबाइल भी छीन लिए जाते हैं, ताकि वे पुलिस या किसी को फोन न कर सके। डीसीपी पूर्वी चारू निगम ने भी दुर्गेश की कमरे में पिटाई की बात की पुष्टि की थी। इसी बीच दुर्गेश मौका देखकर नीचे की तरफ भागा, लेकिन गेट के बाहर पहुंचने पर मनीष ने उसे गोली मार दी। गेट के बाहर सड़क पर वह लहूलुहान होकर गिर गया।

पैसे मांग रहे थे सभी-

महिला पलक ठाकुर समेत सभी उससे रुपए मांग रहे हैं और धमका रहे हैं। संभवतः उन्हीं रुपयो की बात हो रही है जिसकी एवज में दुर्गेश ने सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया था। दुर्गेश यादव एक हिस्ट्रीशीटर था। उसके खिलाफ हत्या के अलावा डकैती, लूट और धोखाधड़ी के आरोप में कई मुकदमे दर्ज हैं। लखनऊ में वह एक फर्जी प्रॉपर्टी डीलर बनकर सचिवायल के एक कर्मचारी के घर में बिना रेंट एग्रीमेंट के रह रहा था। वह अपने भाई मानवेंद्र के साथ मिलकर सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करता था। सबूत के तौर पर पुलिस ने उसके कमरे से सरकारी विभागों की मोहरें, कई अभ्यर्थियों के भरे हुए फार्म, दस्तावेज व सचिवालय में नौकरी के फार्म बरामद किए हैं। सचिवालय में वह बिना पास के ही वहां के कर्मचारियों की मिली भगत से एंट्री लेता था व लोगों के साथ उठता बैठता था।

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चुनाव लड़ने वाला था दुर्गेश-

दुर्गेश राजनीति में आना चाहता था। पुलिस के मुताबिक उसने 2015 के गोरखपुर में जिला पंचायत चुनाव में उरूवा से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गया। फिर वह लखनऊ आकर रहने लगा। उसने उरूवा से ब्लॉक प्रमुख पद पर चुनाव लड़ने की तैयारी की थी। उसने सपा नेता के रूप में अपनी पहचान बना रखी थी।

पलक का नाम किया था सार्वजनिक-

पुलिस को जब दुर्गेश की हत्या की जानकारी मिली, तो वह तुरंत वहां पहुंचे और दुर्गेश को अस्पताल पहुंचाया जहां उसकी मौत हो गई थी, लेकिन मृत्यु से पहले दुर्गेश ने पुलिस का पलक और मनीष का नाम बताया था, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इनमें मनीष रिटायर्ड डिप्टी एसपी का बेटा था।

मानीष भी घूमता था दरोगा तो वकील बनकर-

डिप्टी एसपी का बेटा था होने के चलते मनीष भी कम जालसाज नहीं था। वह कभी दरोगा, तो कभी अधिवक्ता बनकर घूमा करता था। पीजीआई प्रभारी निरीक्षक केके मिश्रा के मुताबिक मनीष के पास से एक पहचान पत्र भी बरामद किया है। इसमें मनीष दरोगा की वर्दी पहने हैं। पुलिस ने पहचान पत्र को फर्जी बताया है। उसकी पत्नी हाईकोर्ट में अधिवक्ता है।

पलक पहले दे चुकी थी धमकी-
पुलिस की मानें तो पलक ठाकुर ने दुर्गेश के पहले ही धमकी थी। सोशल मीडिया के जरिए उसने दुर्गेश कहा कि मेरी और आपकी कोई दुश्मनी नहीं। आप चाहते हैं कि सब कुछ ठीक चले तो मेरे रुपए वापस कर दीजिए। नहीं तो हर जगह तुम्हारी फोटो विद प्रूफ आएगी और पूरी दुनिया कहती रहेगी कि दुर्गेश एक नंबर का फ्रॉड है जो लोगों का पैसा लेकर भागा है।