
Gayatri Prajapati Chiktrakoot Gangrape Case Update
लखनऊ. Gayatri Prajapati Chiktrakoot Gangrape Case Update. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति (Gayatri Prajapati) पर नाबालिग से गैंगरेप मामले में आज सजा सुनाई जाएगी। मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है। अब कोर्ट को बस सजा का ऐलान करना है। गैंगरेप और पॉक्सो एक्ट के तहत एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा दोषी पाए गए गायत्री प्रसाद प्रजापति और दो सहयोगियों की सजा पर आज फैसला सुनाया जाएगा। वहीं कोर्ट ने चार आरोपियों चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर और अमरेन्द्र सिंह पिंटू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। चारों आरोपी जिला जेल से रिहा हो गए हैं। बहरहाल, गायत्री प्रजापति को भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के मुताबिक गैंगरेप में 20 साल और पॉक्सो एक्ट में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इस मामले में कोर्ट ने गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी और आशीष कुमार शुक्ला को महिला की नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप करने और महिला के साथ छेड़छाड़ का दोषी पाया है।
क्या है मामला
गायत्री प्रजापति व अन्य सहयोगियों पर चित्रकूट की एक महिला से गैंगरेप और बेटी के साथ रेप के प्रयास का आरोप है। हालांकि उस वक्त ये मामला लखनऊ में घटित हुआ था। पुलिस ने लखनऊ में काफी प्रयासों के बाद मामला दर्ज किया। हालांकि गायत्री और उनके गुर्गों ने महिला और उसकी बेटी पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया। लेकिन सफल नहीं हुए। महिला के आरोपों के अनुसार, 2013 में चित्रकूट में गंगा आरती के कार्यक्रम में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से एक काम के सिलसिले में मिली थी। उसे उसके एक करीबी ने गायत्री से मिलवाया था। इसके बाद गायत्री प्रजापति के लखनऊ आवास पर आने-जाने लगी। अक्टूबर 2014 से जुलाई 2016 तक गैंगरेप किया। महिला ने कहा कि वह उसके मंत्री होने के डर के कारण चुप रही। मगर जब आरोपियों ने उसकी बेटी से छेड़छाड़ की कोशिश की तो वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। 18 फरवरी 2017 को उसने केस दर्ज कराया।
पीड़िता के खिलाफ भी जांच के आदेश
कोर्ट ने 10 नवंबर को गायत्री प्रजापति के अलावा दो अन्य आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को दोषी ठहराया था। तीनों दोषियों को जेल से लाकर विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय के सामने पेश किया जाएगा। गायत्री प्रसाद सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। इस बीच कोर्ट ने पीड़िता को भी कटघरे में रखा था। पीड़िता द्वारा बार-बार बयान बदलने के कारण कोर्ट ने उसके और उनके पक्ष के गवाह राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा है कि किस वजह से, किसके प्रभाव में बार-बार बयान बदले गए? इसकी जांच लखनऊ के पुलिस आयुक्त कराएंगे।
Published on:
12 Nov 2021 09:37 am
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