Good News Teacher Online Transfer: प्रदेश के राजकीय डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों और प्राचार्यों के लिए तबादलों की प्रतीक्षा अब समाप्त होने जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्राचार्यों और प्रवक्ताओं के स्थानांतरण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी है। इस संबंध में शासन ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से संचालित की जाएगी और इसमें पारदर्शिता तथा समयबद्धता को प्राथमिकता दी जाएगी। शासन की ओर से यह प्रक्रिया गुरुवार (12 जून) दोपहर 12 बजे से शुरू हो चुकी है और शिक्षकों को शुक्रवार (13 जून) अपराह्न 1 बजे तक यानी कुल 25 घंटे का समय दिया गया है, जिसमें वे ऑनलाइन पोर्टल पर स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से संचालित किया जा रहा है। एनआईसी (नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर) द्वारा विशेष रूप से इस कार्य के लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है, जो ट्रांसफर प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाएगा। राज्य के सभी राजकीय महाविद्यालयों को लॉगिन आईडी और पासवर्ड पहले ही वितरित किए जा चुके हैं, जिससे महाविद्यालयों को पोर्टल पर आवश्यक सूचनाएं अपलोड करने और शिक्षकों को आवेदन करने में कोई असुविधा न हो। इस बाबत उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से शासनादेश भी जारी कर दिया गया है, जिसमें सभी आवश्यक दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से वर्णित हैं।
उत्तर प्रदेश में इस समय 242 राजकीय डिग्री कॉलेज संचालित हो रहे हैं, जिनमें लगभग 1200 से अधिक प्रवक्ता कार्यरत हैं। इन महाविद्यालयों में शिक्षकों की मांग, विषयों की उपलब्धता और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए ट्रांसफर की प्रक्रिया संचालित की जाएगी। शासन का उद्देश्य न केवल शिक्षकों की स्थानांतरण संबंधी मांगों को पूरा करना है, बल्कि प्रदेश भर में शिक्षा की गुणवत्ता को संतुलित रूप से वितरित करना भी है।
हालांकि शासन द्वारा प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने की मंशा से यह कदम उठाया गया है, लेकिन शिक्षकों को केवल 25 घंटे का समय दिए जाने को लेकर शिक्षक संगठनों और महाविद्यालय समुदाय में असंतोष की आशंका जताई जा रही है। कई शिक्षकों का मानना है कि इतनी कम अवधि में दस्तावेज़ एकत्र करना, पोर्टल पर लॉगिन करना और सही तरीके से आवेदन करना हर किसी के लिए संभव नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश राजकीय महाविद्यालय प्रवक्ता संघ के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, "जब तक शिक्षक पूरी तरह से प्रक्रियाओं से अवगत नहीं होते, तब तक आवेदन की अंतिम तिथि देना अनुचित है। हमें कम से कम 3–5 दिन का समय दिया जाना चाहिए था।"
इसके अलावा कुछ अति दुर्गम या प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों को राहत प्रदान करते हुए उनकी तबादला प्राथमिकता को प्राथमिक दर्जा दिए जाने की संभावना भी जताई गई है।
राज्य सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि शिक्षकों के स्थानांतरण के ज़रिए शिक्षा व्यवस्था को अधिक संतुलित, कुशल और क्षेत्रीय रूप से समरूप बनाया जाए। कुछ महाविद्यालयों में शिक्षक अधिक संख्या में तैनात हैं, जबकि कई महाविद्यालय ऐसे हैं जहां आवश्यक विषयों के शिक्षक नहीं हैं। इस असंतुलन को दूर करना ही स्थानांतरण नीति का मूल उद्देश्य है। विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि "स्थानांतरण की यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और मेरिट आधारित होगी। किसी भी प्रकार की सिफारिश या बाहरी दबाव को स्थान नहीं दिया जाएगा।"
हालांकि पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने से पारदर्शिता और त्वरितता तो बढ़ेगी, परंतु तकनीकी दिक्कतें, नेटवर्क की समस्या, और बुजुर्ग शिक्षकों की डिजिटल साक्षरता की कमी इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है। कई जिलों से यह शिकायतें भी आई हैं कि महाविद्यालयों को अभी तक स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिए गए, जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है। राजकीय महाविद्यालयों में आईटी सहायकों की संख्या भी सीमित है, जिससे शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन करने में सहायता नहीं मिल पा रही। शिक्षकों का कहना है कि यदि तकनीकी सहायता के लिए जिला स्तर पर हेल्प डेस्क या हेल्पलाइन शुरू की जाती, तो आवेदन प्रक्रिया और सरल हो सकती थी।
शिक्षकों द्वारा आवेदन भरने के बाद, विभाग उन सभी आवेदनों की स्क्रूटनी करेगा और निर्धारित मापदंडों के अनुसार स्थानांतरण आदेश जारी किए जाएंगे। अनुमान है कि जुलाई के पहले सप्ताह तक तबादला सूची सार्वजनिक कर दी जाएगी, ताकि नया शैक्षणिक सत्र सुचारू रूप से शुरू हो सके।
Published on:
13 Jun 2025 08:49 am