
512 ग्राम पंचायतें खत्म, आगामी चुनाव में घटेंगी प्रधानों की सीटें फोटो सोर्स :Social Media
Gram Panchayat Election Update: उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतों की संख्या में बड़ा बदलाव हुआ है। राज्य सरकार द्वारा कराए गए ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और शहरी क्षेत्रों के विस्तार के चलते अब अगले पंचायत चुनाव में 57694 ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। यह संख्या वर्ष 2021 में हुए चुनाव की तुलना में 501 कम है, जब प्रदेश में कुल 58195 ग्राम प्रधानों का निर्वाचन हुआ था। इस परिवर्तन के पीछे मुख्य कारण शहरी सीमा का विस्तार, नगरीकरण और प्रशासनिक पुनर्गठन है। इसके अंतर्गत जहां 512 ग्राम पंचायतों को समाप्त किया गया है, वहीं 11 नई ग्राम पंचायतों का गठन भी किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, देवरिया, आजमगढ़ और प्रतापगढ़ जैसे जिले ग्राम पंचायतों के सबसे बड़े ह्रास का गवाह बने हैं।
इन जिलों में शहरी क्षेत्र का दायरा बढ़ने और कई ग्रामीण क्षेत्रों को नगर पालिका/नगर पंचायत में शामिल किए जाने की वजह से ग्राम पंचायतों का अस्तित्व समाप्त हुआ है।
इनके अतिरिक्त भी कई जिलों में पंचायतों की संख्या में कटौती हुई है:
वहीं बस्ती जिले में कोर्ट के आदेश पर दो नई ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है, जिससे वहां पंचायत संख्या में आंशिक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
राज्य सरकार ने यह निर्णय विभिन्न प्रशासनिक, भौगोलिक और विकास संबंधी कारणों को ध्यान में रखते हुए लिया है। इसके मुख्य कारणों में शामिल हैं:
राज्य पंचायती राज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव प्रशासनिक दक्षता और समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह कोई अचानक लिया गया निर्णय नहीं है। प्रत्येक पंचायत के भूगोल, जनसंख्या, संसाधनों और विकास योजनाओं की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी ग्राम पंचायतों को आवश्यकतानुसार नई सीमांकन प्रक्रिया के अनुसार अधिसूचित किया गया है और पंचायत पोर्टल पर अपडेट भी किया गया है।
कई जिलों से मिली रिपोर्ट के अनुसार पंचायतें समाप्त होने से कुछ ग्रामवासियों में नाराजगी भी देखी जा रही है। उनका मानना है कि ग्राम स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होगी और एक बड़ी पंचायत में उनकी आवाज दब सकती है।प्रतापगढ़ के एक गांव निवासी रामसेवक यादव कहते हैं कि “हमारे गांव की अपनी पंचायत थी, अब उसे पास के बड़े गांव में मिला दिया गया है। वहाँ हमारा कोई प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा।”वहीं कुछ स्थानों पर लोग इसे विकास का हिस्सा मान रहे हैं। आजमगढ़ की एक महिला ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने कहा कि “अब अगर क्षेत्र शहरी हुआ है तो हमें नई योजनाएं और सुविधाएं मिलेंगी। ये बदलाव हमें अवसर दे सकते हैं, अगर सही से लागू किया जाए।”
यह बदलाव सीधे तौर पर पंचायत चुनावों की सीटों की संख्या, आरक्षण व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारियों पर असर डालेगा। राज्य निर्वाचन आयोग को अब नई पंचायतों की सूची के अनुसार पुन: आरक्षण प्रक्रिया करनी होगी और मतदाता सूची का पुनर्निरीक्षण भी जरूरी हो जाएगा। इससे चुनाव की तैयारी समय से पहले करनी होगी ताकि कोई भ्रम न फैले और न्यायसंगत चुनाव सुनिश्चित हो सके।
Updated on:
10 Jul 2025 08:16 am
Published on:
10 Jul 2025 08:09 am
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