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भारत में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लागू हुए पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं। जीएसटी लागू होने के समय से ही पेट्रोल-डीजल और शराब को इस दायरे से बाहर रखा गया है। केंद्र और राज्य सरकारें दोनों ही खजाना खाली होने के डर से पेट्रोल-डीजल और शराब को जीएसटी में शामिल करने से डरती हैं। 28 और 29 जून को चंडीगढ़ में जीएसटी काउंसिल की बैठक है। इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित कई मंत्री शामिल होंगे।
शराब पर क्यों नहीं लगता टैक्स
पेट्रोल-डीजल के बाद राज्यों की सबसे ज्यादा कमाई शराब से होती है। 2019-20 में देशभर में शराब से कुल 1.75 लाख करोड़ की कमाई हुई। उदाहरण के तौर पर 900 रुपये की अंग्रेजी शराब पर 35 प्रतिशत टैक्स और 900 से ज्यादा रुपये की अंग्रेजी शराब पर 45 प्रतिशत टैक्स। अगर यूपी में शराब को जीएसटी में शामिल कर सबसे ज्यादा 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में बनाया जाता है। तो यहां 100 रुपये बीयर की कीमत 17 रुपये हो जाएगी। इसका मतलब है कि एक बीयर की बोतल 100 रुपये के बजाय 83 रुपये में मिलेगी। इससे सरकार के खजाने में 45 रुपये के बजाय 28 रुपये ही जमा होंगे।
पांच सालों में कितना जीएसटी मुआवजा मिला
राज्य
सबसे अधिक महाराष्ट्र में- 60,094
कर्नाटक- 54,263
गुजरात- 40,024
उत्तर प्रदेश- 25,325
दिल्ली- 23,743
राजस्थान- 18,593
मध्य प्रदेश - 18, 296
Published on:
27 Jun 2022 07:57 pm
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