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Hariyali Teej 2021 : हरियाली तीज के दिन क्या करती हैं महिलाएं, पढ़िए यह कहानी…

Hariyali Teej 2021 : हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और 16 श्रृंगार कर पति की दीर्घायु और सुख शांति के लिए मां पार्वती से प्रार्थना करती हैं

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लखनऊ

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Hariom Dwivedi

Aug 07, 2021

Hariyali teej 2021 vrat muhurt and importance of color green

लखनऊ. Hariyali Teej 2021- भारत में हरियाली तीज या हरितालिका तीज का बहुत महत्व है। हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को, हिन्दू सुहागन महिलाएं हरियाली तीज व्रत मनाती हैं। इस साल यूपी सहित पूरे भारत में हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त 11 अगस्त, 2021 दिन बुधवार को है। इसी दिन हरितालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा। हरियाली तीज महत्व यह कि कि इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। जबकि, कुंवारी लड़कियां अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं। इसी दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती की तपस्या से खुश होकर उनसे विवाह किया था। इसीलिए महिलाएं इस दिन हरे वस्त्र, हरी चूडिय़ां और 16 श्रृंगार कर पति की दीर्घायु और सुख शांति के लिए मां पार्वती से प्रार्थना करती हैं।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया को 10 अगस्त, मंगलवार शाम 06 बजकर 11 मिनट पर हरियाली तीज शुरू होगी। 11 अगस्त शाम 4 बज कर 56 मिनट पर यह खत्म होगी। पंडितों की मानें तो 11 अगस्त को पूजा करने के कई शुभ योग हैं। हरियाली तीज की व्रत तिथि यही है। इस दिन पहला शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 24 मिनट से 05 बजकर 17 मिनट तक है। वहीं दूसरा मुहूर्त 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक है। इसके आलावा, रवि योग भी शुभ रहेगा। यह 10 बजे से चालू होगा।

हरियाली तीज पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान के बाद नए कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार कर पूजा का संकल्प लिया जाता है। पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनायी जाती है। उन्हें लाल कपड़े के आसन पर बिठाया जाता है। पूजा की थाली में सुहाग की सभी चीजें रखीं जाती हैं। पार्वती और शिव चालीसा का पाठ कर भगवान शिव और माता पार्वती को इसे अर्पित किया जाता है। तीज कथा और आरती के बाद पूजा समाप्त की जाती है। महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। अगले दिन व्रत तोड़ती हैं।

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हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज यूं तो पूरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन, उत्तर भारत में महिलाएं इसे खास पर्व के रूप में धूम धाम से मनाती हैं। इस दिन महिलाएं सज-संवर कर 16 श्रृंगार के एक साथ सावन का झूला झूलती हैं और गीत गाती हैं। ब्याहता महिलाओं का इस दिन अपने मायके आने का भी रिवाज है। इस दिन हरे कपडे, हरी चूडिय़ां पहनने और मेहंदी लगाने का चलन है। मान्यता अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को वर के रूप में पाने के कठोर तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानि हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने मां पार्वती से विवाह किया था। तभी से ऐसी मान्यता है की जो भी कुंवारी लड़की इस दिन व्रत रखेगी उसे मन चाहा वर मिलेगा। व्रती महिलाओं पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा होगी।

हरियाली तीज पर हरे रंग का महत्व
हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे कपडे, हरी चूडिय़ां, हाथों में मेंहदी और सोलह श्रृंगार करती हैं। वैसे तो सावन में चारों तरफ हरियाली होती है। लेकिन, तीज के दिन एक अलग तरह की हरियाली दिखाई देती है। यह आती है महिलाओं के श्रृंगार से। हिन्दू मान्यताओं के हिसाब से हरा रंग खुशहाली से से जुड़ा है। हरा रंग प्रकृति का रंग है और इसी कारण इसका महत्व कुछ ज्यादा है। इसे जीवन और खुशियों का रंग भी कहा जाता है। हरा रंग मन को शांत प्रदान करता है और खुशहाली लाता है।

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रिपोर्ट- संध्या झा