
आ गई अडवांस तकनीक, अब बिना स्टेंट के ही खुल सकेंगे ब्लॉकेज
लखनऊ. तेज रफ्तार में भागती जिंदगी ने हमारी जीवनशैली को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। खान-पान की गलत आदतों के चलते कम उम्र में ही नसों की ब्लाकेज की समस्या सुनने को मिल रही है। वहीं दिमाग में खून के थक्के बनना, फूली नस, ब्लॉकेज खोलने के लिए सर्जरी और दवाओं का सहारा लिया जाता है जो काफी महंगा इलाज है। लेकिन अब इन समस्याओं से निपटने के लिए नई तकनीक आ गई है, जो काफी कारगर है।
नई तकनीक से होगा इलाज
इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए अब इंटरवेंशनल रेडियॉलजी में अडवांस तकनीक आ गई है। इससे सर्जरी और एंजियोप्लास्टी के दौरान एलॉय स्टील से बने स्टेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी। इतना ही नहीं कीमोथेरेपी की नई तकनीक टेबलेट के रूप में आई है। जो लिवर के जिस हिस्से में कैंसर है, टेबलेट सीधे उसी भाग में जाएगी। इससे साइड इफेक्ट का खतरा कम हो जाएगा। कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी हॉस्पिटल मुम्बई के डॉ़ विमल सोमेश्वर ये जानकारी पीजीआई में दी।
बिना स्टंट डाले खुलेंगे ब्लॉकेज
डॉ़ सोमेश्वर ने बताया कि शरीर की किसी भी नस की ब्लॉकेज को अब बिना स्टेंट डाले खोला जा सकता है। उन्होंने बताया कि एंजियोप्लास्टी में इंटरवेंशनल रेडियॉलजी के जरिए कैथेटर में ड्रग कोट बैलून लगाकर पैर के रास्ते से ब्लॉकेज की जगह पहुंचाया जाता है। इस तकनीक में ब्लॉकेज के ऊपर ड्रग कोट बैलून रख दिया जाते हैं। जिससे खून के थक्के गल जाते हैं और मरीज को इन समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
भारत में गलने वाले भी स्टंट
डॉ़ विमल सोमेश्वर ने बताया कि भारत में गलने वाले स्टेंट भी बनाए गए हैं। जिसका ट्रायल कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में चल रहा है। ये स्टेंट इस तरह की गंभीर बीमारी में लगाए जा सकते हैं। स्टेंट लगने से सात महीने के अंदर ये गल जाते हैं। डॉ सोमेश्वर ने बताया कि अभी मरीज को एलॉय स्टील से बने स्टेंट लगाए जाते हैं। जो मरीज के शरीर में जिंदगीभर पड़ा रहता है। इन स्टेंट से साइड इफेक्ट का भी खतरा लगातार बना रहता है।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से होती है समस्या
दरअसल ब्लॉकेज होने का कारण हमारी डाइट में पोषक तत्वों की कमी है। संतुलित की बजाए बाहर का तला भूना व फास्ट फूड खाने से हमारे रक्त में वेस्ट पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है। जो नसों के ब्लड सर्कुलेशन में रूकावट डालना शुरू कर देते हैं। इससे शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे नसों में खून का प्रवाह अच्छे से नहीं होता और थक्का जमना शुरू हो जाता है जो बाद में ब्लाकेज का रूप ले लेता है। इससे पेशेंट की अचानक मौत भी हो जाती है। यह परेशानी ज्यादातर उन लोगों को आती है, जो काफी देर खड़े रहते हैं या फिर एक जगह बैठे रहते हैं। अमूमन यह समस्या गृहणियों और ट्रैफिक पुलिस के मुलाजिमों में ज्यादा पाई जाती है क्योंकि वे ज्यादातर समय खड़े रहते हैं।
Published on:
13 Feb 2018 01:49 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
