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Akhilesh Yadav: जेपी की विरासत मिटाकर बिहार में वोट कैसे मांगेंगे? अखिलेश का भाजपा पर तीखा प्रहार

Akhilesh Yadav BJP Comment: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित जेपीएनआईसी को एलडीए को सौंपने को लेकर भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि जयप्रकाश नारायण की विरासत को नष्ट करने वाले लोग अब बिहार में किस मुंह से वोट मांगेंगे। उन्होंने जेपीएनआईसी को खरीदने की इच्छा भी दोहराई।

लखनऊ

Ritesh Singh

Jul 05, 2025

जेपीएनआईसी को एलडीए को सौंपने पर अखिलेश का भाजपा पर तीखा हमला फोटो सोर्स : Patrika
जेपीएनआईसी को एलडीए को सौंपने पर अखिलेश का भाजपा पर तीखा हमला फोटो सोर्स : Patrika

Akhilesh Yadav Press : उत्तर प्रदेश की राजनीति में शनिवार को एक बार फिर गर्मी देखने को मिली जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुख्य मुद्दा जेपीएनआईसी (जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर) को एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) को सौंपने का मामला रहा, जिसे अखिलेश यादव ने 'जेपी और समाजवाद के अपमान' की संज्ञा दी।

जेपीएनआईसी: विचारधारा का प्रतीक या राजनीतिक उपेक्षा का शिकार

अखिलेश यादव ने साफ कहा कि जेपीएनआईसी सिर्फ एक इमारत नहीं है, यह विचारधारा का प्रतीक है। इसका निर्माण समाजवादी आंदोलन के प्रमुख स्तंभ जयप्रकाश नारायण की स्मृति और विचारों को सहेजने के लिए किया गया था। “जब इसका उद्घाटन हुआ, तब नेताजी (मुलायम सिंह यादव), मोहन सिंह और जॉर्ज फर्नांडीज जैसे दिग्गज नेता मौजूद थे। यह एक प्रतीक था – समाजवाद, स्वतंत्रता संग्राम और राजनीतिक शुचिता का,” अखिलेश ने कहा।

"एलडीए को देना है अपमान"

अखिलेश ने वर्तमान भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “जेपीएनआईसी को एलडीए को सौंपना, उस आदर्श और संघर्ष को मटियामेट करना है, जो जयप्रकाश नारायण के विचारों में बसता था। भाजपा बताए – जिसने जेपी को इतिहास से मिटाने की कोशिश की, वो अब बिहार जाकर उन्हीं के नाम पर वोट कैसे मांगेंगे?”उन्होंने एलडीए की कार्यशैली पर भी तंज कसते हुए कहा, “एलडीए का काम देखिए – ये लोग ऐसा बाजार बनाते हैं जो कबूतरखाना लगता है। अब सोचिए, वही लोग जेपी के विचारों को संभालेंगे?”

जेपी के नाम की राजनीति बनाम स्मृति का सम्मान

बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए अखिलेश का यह बयान न सिर्फ उत्तर प्रदेश की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी हलचल मचाने वाला माना जा रहा है। समाजवादी पार्टी का स्पष्ट इशारा है कि भाजपा जिस जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से निकली है, उसी को इतिहास से मिटाने का प्रयास कर रही है। “जेपी के विचारों का केंद्र बनाने में हमने करोड़ों खर्च किए, अब उसे बिना सोचे समझे विकास प्राधिकरण को सौंप दिया गया। हम इसे खरीदने को तैयार हैं, पर भाजपा इसे बेचने की जगह नष्ट करने पर आमादा है,” अखिलेश ने कहा।

भाजपा पर क्राइम संरक्षण के आरोप

इस प्रेस वार्ता में अखिलेश यादव ने कानून-व्यवस्था को लेकर भी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “प्रदेश में सबसे ज्यादा सुनार मारे जा रहे हैं। व्यापारी डर के साये में हैं। सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है। कई मामलों में भाजपा नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाजपा का 'डबल इंजन' अपराधियों के लिए 'डबल प्रोटेक्शन' का काम कर रहा है। “जब अपराधी सत्ता के संरक्षण में हों, तो जनता की सुरक्षा कौन करेगा?” अखिलेश ने सवाल उठाया।

तेंदुए से भिड़े श्रमिक को सौंपा सहायता राशि

वार्ता के दौरान एक मानवीय पहलू भी देखने को मिला, जब अखिलेश यादव ने हाल ही में तेंदुए से संघर्ष कर लोगों की जान बचाने वाले श्रमिक को समाजवादी पार्टी की ओर से ₹2 लाख की सहायता राशि का चेक सौंपा। उन्होंने इसे “सच्चे नायक का सम्मान” बताया।

राजनीतिक संदेश और भविष्य की रणनीति

इस पूरे संवाद का मकसद सिर्फ जेपीएनआईसी का मामला उठाना नहीं था, बल्कि इसके जरिए भाजपा के नैतिक और वैचारिक आधार पर भी सवाल खड़ा करना था। भाजपा के लिए यह चुनौती है – एक ओर वह खुद को जेपी आंदोलन की विरासत का उत्तराधिकारी बताती है, दूसरी ओर जेपी की स्मृति को मिटाने की कार्रवाई करती है। अखिलेश यादव ने यह भी स्पष्ट संकेत दिया कि आने वाले समय में यह मुद्दा केवल लखनऊ या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय पटल पर उठाया जाएगा, खासतौर पर बिहार चुनावों के दौरान।

भाजपा की चुप्पी और विपक्ष की आक्रामकता

फिलहाल भाजपा की ओर से इस मसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला न केवल भाजपा की नीतियों बल्कि उसकी वैचारिक साख पर भी सवाल खड़ा करता है। समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को समाजवादी धरोहर और लोकतांत्रिक मूल्यों से जोड़ रही है, जिससे उसे विपक्ष के व्यापक समर्थन की उम्मीद है।