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Video: देश में फेमस है यूपी का ये एकलौता थाना, लेकिन ढाई साल से ये एक काम करने में नाकाम, ये था पूरा मामला

ढाई साल में नहीं खुली एक डकैती, मिल गया थाने को देश में टॉप तीन का खिताब।

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लखनऊ

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Dhirendra Singh

Feb 10, 2018

Gudamba thana

Gudamba thana

लखनऊ. देश के टॉप दस थानों में तीसरी स्थान पाने वाले यूपी के एकलौते गुडंबा थाने में फरियादों की आवाज अधिकारियों से देर से पहुंचती है। साथ ही बड़ी वारदातों के बाद पीड़ितों के मामले और जांच अंजाम तक पहुंचने में सालो लग जाते हैं। ऐसे एक पीड़ित 40 लाख की डकैती के बाद पिछले ढाई सालो से महसूस कर रहा है। उनका कहना है कि इस थाने के कई थानेदार, जांच अधिकारी और मुंशी बदल गए लेकिन उनके मामले में कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई।

नकली पुलिसकर्मियों ने डाली थी डकैती

पीड़ित विजय तिवारी गुडंबा के आधार खेड़ा गांव में रहते हैं। यहां उनके साथ भाई का भी परिवार रहता है। विजय निवासी प्राइवेट नौकरी करते हैं। गत 21 अगस्त 2015 को देर रात जब पूरा परिवार सो रहा था, तब बदमाश उनके दरवाजे पहुंचे। जो कि नकली पुलिसकर्मियों के भेष में आए थे। जब तक परिवार कुछ समझ पाता बदमाशों ने हथियार के बल पर पूरे परिवार को घर के अंदर बंधक बना लिया था। उस वक्त घर पर विजय की पत्नी अलका तिवारी, उनकी बेटी अनुश्री, भाई मदन तिवारी, ओम तिवारी, उनकी मां ओमश्री तिवारी के अलावा किरायदार कृष्णकांत मिश्रा थे।इसके बाद उन्होंने घंटों घर की तलाशी लेकर डकैती डाली। विजय के मुताबिक उनके घर में रखें पुस्तैनी जेवर, नकदी समेत अन्य चीजें मिलाकर करीब 40 लाख रुपये कीमत की सामान और कैश बदमाश अपने साथ ले गए थे।

पहले मामले को टाला बाद में लिखी गई डकैती की रिपोर्ट

पीड़ित विजय का आरोप है कि डकैती की वारदात के बाद पुलिस को फोन किया गया था। पुलिस ने उस वक्त भी लापरवाही की। इसके बाद मुकदमा लिखने के समय डकैती की धाराओं में केस लिखने से पुलिस बच रही थी। लेकिन बाद में अधिकारियों के दबाव पर डकैती का केस दर्ज हुआ। हालांकि इसके बाद पुलिस ने बदमाशों का स्कैच बना कर परिजनों को दिखाया। लेकिन वह गलत स्कैच था। इसके बाद पुलिस टीमों ने कुछ जगह छापेमारी की। फिर मामलों को ठंडे बस्ते में छोड़ दिया। विजय ने बताया कि एक पुलिसकर्मी ने उनसे कहा था कि तुम्हारे घर से केवल बिस्कुट चोरी हुआ था। यह सुन उन्होंने न्याय की उम्मीद छोड़ दी थी।

लंबे समय से नहीं मिली कोई अपडेट

विजय के मुताबिक वारदात के बाद वह काफी समय तक थाने व अधिकारियों के पास जाकर केस की अपडेट मांगते थे। लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे पुलिसकर्मियों का रवैया उन पर बिगड़ता गया। आज आलम यह है कि उन्हें केस की अपडेट की कोई जानकारी नहीं है। क्योंकि अब तक कई अधिकारी बदल चुके हैं और फाइलें धूल फांक रही हैं।