
देश में कुल 13 अखाड़े हैं, जो तीन मतों में बंटे हैं
पत्रिका इनडेप्थ स्टोरी
प्रयागराज. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से देश के 13 अखाड़ों को ही मान्यता प्राप्त है। शुक्रवार को प्रयागराज में हुई अखाड़ा परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से त्रिकाल भवंता के परी अखाड़ा और किन्नर अखाड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि 13 अखाड़ों के अलावा किसी भी अन्य अखाड़े को हरिद्वार कुम्भ में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने सरकार से भी फर्जी अखाड़ों को कोई मदद नहीं देने भी अपील की है। आइए जानते हैं कि कैसे हुआ अखाड़ा परिषद का गठन और कौन हैं हैं वे 13 अखाड़े जिन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से मिली है मान्यता।
मान्यता है कि आदि गुरू शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों (बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी, द्वारिका पीठ) में धर्म की स्थापना के लिए मठ स्थापित किये थे। इन्हीं मठों को अखाड़ा कहा जाने लगा। शंकराचार्य का सुझाव था कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है। तभी से मठों में साधु कसरत कर शरीर को सुदृढ़ बनाते हैं और हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी लेते हैं। देश में कुल 13 अखाड़े हैं, जो तीन मतों में बंटे हैं। यही अखाड़े हिंदू धर्म से जुड़े रीति-रिवाजों और त्योहारों का आयोजन करते रहते हैं। कुंभ और अर्धकुंभ के आयोजन में इन अखाड़ों की खास भूमिका होती है।
मिली है विशेष सुविधाएं
कुंभ और अर्धकुंभ में स्नान के अखाड़ों को विशेष सुविधाएं मिलती हैं। इनके नहाने के लिए विशेष प्रबंध होते हैं। सरकार की ओर से इन्हें सहूलियतें भी दी जाती हैं। इसे देखते हुए अखाड़ों के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ने लगी, जिससे निपटने के लिए वर्ष 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना की गई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ही सभी 13 अखाड़ों के कुंभ व अर्धकुंभ में स्नान का वक्त और उनकी जिम्मेदारी तय करता है, जिसे भी अखाड़े मानते हैं।
शैव संन्यासी संप्रदाय
शिव और उनके अवतारों को मानने वाले शैव कहे जाते हैं। इनमें शाक्त, नाथ, दशनामी, नाग जैसे उप संप्रदाय हैं। शैव संन्यासी संप्रदाय के पास सात अखाड़े हैं-
1.श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, दारागंज, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा की जिम्मेदारी
2. श्री पंच अटल अखाड़ा, चौक, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- यहां सिर्फ ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों को दीक्षा
3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, दारागंज, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
- सबसे अधिक शिक्षित अखाड़ा। करीब 50 महामंडलेश्वर हैं इस अखाड़े में
4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती, त्रयंबकेश्वर, नासिक
- यहां महामंडलेश्वर नहीं होते। आचार्य ही प्रमुख होता है
5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, बाबा हनुमान घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
करीब पांच लाख साधु-संतों वाला सबसे बड़ा अखाड़ा
6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, दशाश्वमेध घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- महिला साध्वियों को दीक्षा देने की परम्मपरा नहीं
7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा, गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़, गुजरात
- केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मणों को ही दीक्षा
वैरागी संप्रदाय
वैरागी संप्रदाय भगवान विष्णु को मानते हैं। इनमें कई उप संप्रदाय हैं, जिनमें इनमें बैरागी, दास, रामानंद, वल्लभ, निम्बार्क, माधव, राधावल्लभ, सखी और गौड़ीय आदि हैं। इनके पास तीन अखाड़े हैं-
1. श्री दिगंबर अनी अखाड़ा, शामलाजी खाक चौक मंदिर, सांभर कांथा, गुजरात
- वैष्णव सम्प्रदाय में राजा का दर्जा
2. श्री निर्वानी अनी अखाड़ा, हनुमान गढ़, अयोध्या, उत्तर प्रदेश
- वैष्णव सम्प्रदाय के सबसे ज्यादा 09 अखाड़े इसी अखाड़े के पास हैं
3. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा, उत्तर प्रदेश
- अखाड़े में तैयार होते हैं कुश्ती के पहलवान, यहां के कई संत प्रोफेशनल पहलवान भी रह चुके हैं
उदासीन संप्रदाय
ये सिख-साधुओं का संप्रदाय है। सनातन धर्म को भी मानते हैं। उदासीन सम्प्रदाय में तीन अखाड़े हैं-
1. श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, कृष्णनगर, कीडगंज, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
- अखाड़े का मुख्य उद्देश्य सेवा करना है
2. श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड
- 8 से 12 वर्ष तक बच्चों को दीक्षा दी जाती है
3. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड
- इस अखाड़े में धूम्रपान पूर्णतया वर्जित
Updated on:
02 Jan 2021 04:57 pm
Published on:
02 Jan 2021 04:36 pm
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