23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अटल से पिता और दोस्त का रिश्ता, मायावती के मुंहबोले भाई थे लालजी टंडन

- भाजपा के संकटमोचक के रूप में थी लालजी टंडन (Lalji Tandon) पहचान- अंतिम इच्छा रामलला का दर्शन और राममंदिर (Ram Mandir) निर्माण देखने की- धुर विरोधी भी उनकी राजनीति के थे कायल, मायावती (Mayawati) भी बांधती थीं राखी

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Abhishek Gupta

Jul 21, 2020

Mayawati Lalji

Mayawati Lalji

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
लखनऊ. भोपाल से 10 जून को लखनऊ पहुंचे मप्र के राज्यपाल लालजी टंडन (Lalji Tandon) की अंतिम इच्छा अयोध्या (Ayodhya) जाकर रामलला के दर्शन करना और राममंदिर निर्माण (Ram Temple) की प्रगति देखने की थी। इसकी उन्होंने योजना भी बना ली थी। निजी सचिव संजय चौधरी को तैयारियां करने का निर्देश भी दे दिया था। लेकिन, इससे पहले वह अयोध्या जा पाते उनकी तबियत बिगड़ गयी। और अस्पताल में भर्ती हो गए। अंतत: उनकी यह इच्छा अधूरी ही रह गयी।

ये भी पढ़ें- लालजी टंडन निधन: यूपी मेें एक दिन का राजकीय अवकाश, 3 दिन का राजकीय शोक घोषित

भाजपा के संकटमोटक लालजी टंडन ने राजनीति के सबसे निचले पायदान पार्षद से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और मंत्री, सांसद और राज्यपाल तक बने। 1960 के दशक में उन्होंने लखनऊ नगर निगम के पार्षद का चुनाव जीता। इसके बाद लगातार दो बार पार्षद रहे। इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। जेल से रिहा होने के बाद वह तेजी से राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ते गए।

मायावती बांधती थीं चांदी की राखी-
लालजी टंडन की विपक्षी दलों के बीच भी अपनी एक अलग छवि थी। बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें अपना भाई मानती थीं और राखी बांधती थीं। 22 अगस्त 2002 को मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने बीजेपी नेता लालजी टंडन को राखी बांधी थी। वो राखी भी कोई आम राखी नहीं बल्कि चांदी की राखी थी। मायावती और लालजी टंडन का बहन-भाई का रिश्ता काफी चर्चा में रहा।

ये भी पढ़ें- अस्पताल के वॉर्ड में झरने की तरह घुसा पानी, अखिलेश-प्रियंका ने दिया बड़ा बयान

सियासी दुनिया के सिंकदर
यूपी में टंडन को सियासी दुनिया का सिकंदर माना जाता था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने के कारण इनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हुई। इसके बाद वह वाजपेयी के काफी करीब आ गए। वह खुद कहा करते थे कि वाजपेयी जी का उनके जीवन पर काफी असर रहा है। वे कहते थे अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके दोस्त और पिता की भूमिका अदा की। अटल के साथ उनका करीब 5 दशकों का साथ रहा। यही वजह रही कि अटल बिहारी वाजपेयी के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को लखनऊ में टंडन ने ही संभाला था और 2009 में सांसद चुने गए थे। लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और फिर कुछ दिनों के बाद मध्यप्रेदश का राज्यपाल बनाया गया था।

राजनीति में कई प्रयोग
लालजी टंडन विपक्षी दलों में भी अपनी सियासी छवि के लिए जाने जाते थे। उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। 90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान था। बसपा सुप्रीमो मायावती को उन्होंने किसी तरह मनाकर सरकार बनाने के लिए राजी किया था। यह उनके व्यक्तित्व का ही प्रभाव है कि मायावती उन्हें अपने बड़े भाई की तरह मानती थीं।