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अभिमन्यु का एनकाउंटर बना पुलिस की मुसीबत, सीएम योगी भी नहीं कर पा रहे मदद

बात जब एनकाउंटर की हो तो विवाद खुद-ब-खुद पुलिस के पास चलकर आते हैं...

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लखनऊ

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Nitin Srivastva

Feb 28, 2018

Leopard Abhimanyu killed by police in Lucknow conflict news

अभिमन्यु का एनकाउंटर बना पुलिस की मुसीबत, सीएम योगी भी नहीं कर पा रहे मदद

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की पुलिस आए दिन अपने एक न एक कारनामे की वजह से चर्चा में रहती है और बात जब एनकाउंटर की हो तो विवाद खुद-ब-खुद पुलिस के पास चलकर आते हैं। लेकिन इस बार एक एनकाउंटर यूपी पुलिस के लिए गले की हड्डी बन गया। क्योंकि ये एनकाउंटर किसी अपराधी का नहीं बल्की एक अभिमन्यु (तेंदुए) का था। हालांकि उस समय तेंदुए को गोली लगने और पकड़े जाने के बाद इलाके के लोग पुलिस वालों की जयकार करने लगे थे, लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं रह पाई। क्योंकि तेंदुए की गोली से मौत हो गई और उसके बाद वन विभाग ने इसके लिए पुलिस महकमे को जिम्मेदार ठहरा दिया। जिसके बाद वन विभाग और वन्य जीव प्रेमियों ने पुलिस पर सवाल उठाकर विवाद खड़ा कर दिया है। विवाद ऐसा कि शायद सीएम योगी आदित्यनाथ भी इस मामले में कोई मदद न कर सकें।

पुलिस की गोली का शिकार हुआ तेंदुआ

दरअसल लखनऊ के आशियाना इलाके की औरंगाबाद खालसा कॉलोनी में तेंदुए एक तेंदुआ आ गया था। जब तक वन विभाग की टीम को पता चलता उससे पहले ही वहां के लोगों ने तेंदुए को लाठी-डंडों के साथ दौड़ाना शुरू कर दिया। जिससे घबराकर तेंदुआ अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगा। दो दिन तक वन विभाग की रेस्क्यू टीम तेंदुए को पकड़ने के लिए मशक्कत करती रही, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिल सकी। तेंदुआ जब अपनी जान बचाकर भाग रहा था तो उस दौरान कई लोग घायल भी हुए। इस दौरान वन विभाग और पुलिस की काफी लापरवाही भी सामने आई। क्योंकि अगर समय रहते वन विभाग और पुलिस टीम ने सूझबूझ से काम लिया होता तो शायद तेंदुआ जिंदा पकड़ा जा सकता था। लेकिन आखिरकार तेंदुए को पुलिस की गोलियों का शिकार होना पड़ा।

तेंदुए को मारकर बुरी फंसी पुलिस

तेंदुए को गोली मारकर जब हीरो बनने की बात आई तो आशियाना थाने के एसएचओ त्रिलोकी सिंह सामने आए। भीड़ ने त्रिलोकी सिंह की खूब वाहवाही की। लेकिन त्रिलोकी सिंह को क्या पता था कि जिसे वे अपनी बड़ी कामयाबी मान रहे हैं वह उनके लिए मुसीबत बनने वाला है। कुछ देर बाद ही वन विभाग ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने उनकी रेस्क्यू टीम का कोई सहयोग नहीं किया। जिसकी वजह से हम तेंदुए को जिंदा नहीं पकड़ सके। तेंदुए के पोस्टमार्टम से भी ये बात सामने आई है कि उसे दो गोलियां मारी गई थीं लेकिन दोनों ही उसके शरीर के पार निकल गईं।

दोषियों पर कार्रवाई की मांग

वहीं तेंदुए के मारे जाने के खिलाफ वन्य जीव प्रेमियों और वन्य जीव संरक्षण से जुड़े संगठनों ने आवाज उठानी शुरू कर दी। इस मामले में अब हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की जा रही है। आपको बता दें कि तेंदुए को बुरी तरह घेर कर मारा गया था इसलिए वन्य जीव प्रेमियों ने उसे अभिमन्यु का नाम दे दिया है। वन्य जीव प्रेमी इस मामले की जांच और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की बात कर रहे हैं। वाइल्ड लाइफ एक्ट के अनुसार शेड्यूल-एक के संरक्षित वन्य जीवों की हत्या के अपराध में 7 साल तक की सजा हो सकती है और वन विभाग ऐसे आरोपियों की गिरफ्तारी भी कर सकता है। विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। वह इस रिपोर्ट को शासन और राज्य के डीजीपी को भेजेगा। पिछले दिनों लखनऊ के चार अलग-अलग इलाकों में तेंदुए देखे गए हैं। तराई में ग्रामीण और नगरीय इलाकों में तो तेंदुओं के दिखने और पालतू पशुओं तथा इंसानों पर उनके हमलों की घटनाएं आम हो चुकी हैं। फिर भी इस तरह की घटनाओं में रेस्क्यू टीम के नाम पर लखनऊ जू के कर्मियों के अलावा यूपी के वन विभाग के पास कोई इंतजा