
संविदा कर्मियों की बड़ी मांगें और विरोध प्रदर्शन
Contract Workers Protest: लखनऊ के गोखले मार्ग स्थित मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय के बाहर बिजली विभाग के संविदा कर्मियों का प्रदर्शन जोर पकड़ चुका है। प्रदर्शनकारी निजीकरण के फैसले को वापस लेने, वेतन वृद्धि, और दुर्घटनाओं के दौरान आर्थिक सहायता जैसी प्रमुख मांगों के साथ धरने पर बैठे हैं। हजारों की संख्या में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से पहुंचे ये संविदा कर्मी अपनी समस्याओं को लेकर मुखर हैं। प्रदर्शन के चलते मुख्यालय के आसपास का क्षेत्र पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है।
1. 18,000 रुपये प्रतिमाह वेतन की मांग
संविदा कर्मियों का कहना है कि मौजूदा वेतन उनकी जरूरतों को पूरा करने में विफल है। वे 18,000 रुपये प्रतिमाह वेतन की मांग कर रहे हैं, जो बढ़ती महंगाई के बीच उन्हें वित्तीय स्थिरता प्रदान कर सके।
2. निजीकरण का विरोध
बिजली विभाग में निजीकरण को लेकर संविदा कर्मियों में जबरदस्त असंतोष है। उनका मानना है कि निजीकरण से उनकी नौकरी असुरक्षित हो जाएगी और कामकाजी परिस्थितियां और अधिक कठिन हो जाएंगी।
3. दुर्घटना और हादसों के दौरान आर्थिक सहायता
बिजली विभाग में काम के दौरान संविदा कर्मियों को कई बार जानलेवा दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि ऐसी घटनाओं में उनके परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाए।
संविदा कर्मियों ने धरने के दौरान "निजीकरण वापस लो" और "हमारा हक हमें दो" जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि विभाग उनकी समस्याओं को अनदेखा कर रहा है। प्रदर्शनकारियों के नेता ने मीडिया से कहा, "हमारे साथ अन्याय हो रहा है। सरकार को हमारी मांगे माननी होंगी।"
हजरतगंज के गोखले मार्ग पर प्रदर्शन के चलते यातायात बाधित हो गया है। स्थानीय दुकानदार और निवासी भी इस प्रदर्शन से प्रभावित हुए हैं। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने की अपील की है, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने संविदा कर्मियों की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान जल्द ही निकाला जाएगा। हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे तब तक नहीं हटेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं।
संविदा कर्मियों का समर्थन
कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने भी संविदा कर्मियों का समर्थन किया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार संविदा कर्मियों की अनदेखी कर रही है और उनकी समस्याओं का समाधान करने में विफल रही है।
संविदा कर्मियों की मांगों पर विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि संविदा कर्मियों की मांगें जायज हैं। निजीकरण का फैसला जहां एक ओर दक्षता बढ़ा सकता है, वहीं दूसरी ओर इससे संविदा कर्मियों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है।
संविदा कर्मियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपनी हड़ताल को और तेज करेंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी होगी।
Published on:
17 Jan 2025 08:20 pm
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