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70 प्रतिशत मेड इन इंडिया है हमारी Lucknow Metro

आने वाले समय में Lucknow Metro को ड्राइवर लेस भी किया जा सकता है।

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लखनऊ

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Dikshant Sharma

Sep 05, 2017

Lucknow Metro

Lucknow Metro

लखनऊ।लखनऊ मेट्रो यूँही नहीं ख़ास है। लखनऊ मेट्रो 70 प्रतिशत तक मेड इन इंडिया है। ये दावा है लखनऊ मेट्रो का निर्माण कर रही कंपनी अल्सटॉर्म का। इन मेट्रो डिब्बों को बंगलौर में डिज़ाइन किया गया है और और इसका निर्माण अलस्टॉम ने श्री सिटी में किया है। कुछ भाग इसका कोयम्बतूर में बना है।

लखनऊ मेट्रो देश की दूसरी ऐसी मेट्रो है जो सीटीबीसी कमिशनड कंप्यूटर बेस्ड कण्ट्रोल सिस्टम पर आधारित है। इससे पहले जून 2017 में कोच्चि मेट्रो इस पर आधारित थी। ये भी अल्स्टॉम द्वारा बनाई गयी थी। अल्स्टॉम के वाईस प्रेजिडेंट सेल्स भारत सल्होत्रा ने बताया कि सरल भाषा में कहें तो ये सिस्टम मेट्रो को और " बुद्धिमान "बना देती है। इससे दो ट्रेनों के बीच कम समय लगता है। दिल्ली मेट्रो की तुलना में लखनऊ मेट्रो का ये सिस्टम बिना गलती के मेट्रो का सञ्चालन छोटे अंतराल में कर सकता है। दिल्ली मेट्रो में फिलहाल डीटीजी (डिस्टेंस टू गो) तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इसमें दोनों ट्रैन के बीच 2.5 मिनट का अंतर होता है। जबकि सीटीबीसी सिस्टम से दोनों ट्रेनों में कुल 90 सेकंड का अंतराल होगा। इस सिस्टम का सिग्नलिंग सिस्टम इतना मजबूत है कि आने वाले समय में इसे ड्राइवर लेस भी किया जा सकता है।

मेट्रो चलने से पैदा होगी बिजली
मेट्रो के चलने पर एनर्जी री-जनरेट होगी। खर्च हुई बिजली में से 30 फीसदी बिजली फिर से बनेगी। इसके अलावा मेट्रो स्टेशनों के रूफ टॉप पर सोलर पैनल्स लगेंगे और एस्केलेटर्स, कूलिंग सिस्टम भी हाई रेटिंग के होंगे। मेट्रो का वजन भी हल्का है। स्टेनलेस स्टील से बनी मेट्रो में एलईडी लाइट लगी हैं।

अगले साल तक मिलेंगी 20 मेट्रो
प्रायोरिटी कॉरिडोर के लिए चार मेट्रो ट्रेनें की डिमांड थी। लेकिन मौजूदा समय में छह ट्रेनें शहर में है जबकि 7 वी भी लखनऊ के लिए रवाना हो चुकी हैं। 20 ट्रेन सेट के लिए एल्स्टॉम से 1069 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया है। ट्रेनों की डिलीवरी ज़रूरत के हिसाब से की जा रही है। अल्स्टॉम अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले साल तक सभी 20 ट्रेनें शहर पहुँच जाएगी।

मेट्रो हाई लाइट
-एल्स्ट्रॉम ने खास बनाई मेट्रो
-भारत की अन्य मेट्रो से सबसे अलग लखनऊ मेट्रो
-पहली बार रिकार्ड 63 सप्ताह में मेट्रो की डिलीवरी
-यात्रियों के लिए प्रत्येक ट्रेन में 48 एलसीडी डिस्प्ले
-80 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चलसकती है मेट्रो
-ड्राइवर स्पीड बढ़ाता है तो अपने आप लगेगा ब्रेक
-हर कोच में चार स्मोक डिटेक्टर्स भी लगाए गए है।