
एक चुटकी हल्दी बढ़ाएगी बीस गुना ताकत, बशर्ते होनी चाहिए असली
लखनऊ. हल्दी के बिना भारतीय जीवन अकल्पनीय है। हल्दी में पाए जाने वाला करक्यूमिन जबर्दस्त इम्युनिटी बूस्टर है, इसी की वजह से भारतीय मसाले देसी सुपरफूड की कैटेगरी में शामिल हो जाते हैं। लखनऊ स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) ने हल्दी का एक दोष को खत्म कर एक कमाल का शोध करने में सफलता हासिल की है। अब हल्दी में मिलने वाला करक्यूमिन पानी में आसानी से घुलनशील हो सकेगा। अधिक अघुलनशील होने की वजह से करक्यूमिन के लाभकारी गुणों का पूरा फायदा नहीं मिल पाता था। अब एनबीआरआइ की हर्बल नैनो बायोटेक्नोलॉजी लैब में तैयार यह उत्पाद पानी में आसानी से घुल सकेगा। मतलब यदि हल्दी के गुणों वाला दूध पीना चाहते हैं तो सिर्फ कुछ बूंदे डालें और अपनी इम्युनिटी को बढ़ लें। करक्यूमिन कैंसररोधी, दर्द-सूजन नाशक रसायन है।
करक्यूमिन वसा में अघुलनशील :- हल्दी अपने गुणों की वजह से पूरी दुनिया में आजकल सबकी चहेती है। भारत में तो घर-घर में हल्दी वाला दूध यानी गोल्डन मिल्क पीने का प्रचलन सदियों पुराना है। कोरोना काल में तो हल्दी ने अपने गुणों की वजह से पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई है। हल्दी के ड्रिक्स, शॉट्स का चलन बढ़ गया है। पर लोकप्रिय होने के बावजूद हल्दी की एक कमी भी है। हल्दी की जितनी मात्रा का सेवन हम करते हैं, उस मात्र का एक फीसद ही शरीर में अवशोषित होता है। ऐसा करक्यूमिन के वसा में अघुलनशील होने की वजह से होता है।
हल्दी का 'सत' अब 20 गुना करेगी अवशोषित :- करक्यूमिन के गुध की इस कमी को दूर करने के लिए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) के फार्मोकोलॉजी डिवीजन कमर कसी। और शोध शुरू कर दिया। फार्मोकोलॉजी डिवीजन के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. बीएन सिंह ने काफी कड़ी मेहनत के बाद, बायोअवेलेबिल करक्यूमिन तैयार किया है, यह पानी में काफी आसानी से घुलनशील है। संस्थान के हल्दी से तैयार 'सत' 15 से 20 गुना ज्यादा अवशोषित होता है, जिससे करक्यूमिन का पर्याप्त लाभ शरीर को मिलता है।
कैप्सूल, पाउडर और ड्रॉप्स में है उत्पाद तैयार :- वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. बीएन सिंह ने बताया कि, यह उत्पाद फार्मा, न्यूट्रास्यूटिकल उद्योग व फूड इंडस्ट्री के लिए उपयोगी है। हर घर में इसका प्रयोग किया जा सकता है। संस्थान के करक्यूमिन से तैयार उत्पाद के कैप्सूल, पाउडर और ड्रॉप्स आदि तैयार किए जा सकते हैं। यदि आप हल्दी के गुणों वाला दूध पीना चाहते हैं तो केवल कुछ बूंदे ही काफी होंगी। पानी में भी इसकी कुछ बूंदे लेकर लाभ लिया जा सकता है।
प्रौद्योगिकी का पेटेंट फाइल :- एनबीआरआइ निदेशक डॉ. एसके बारिक ने बताया कि, फार्मा व न्यूट्रास्यूटिकल उद्योगों के आगे हल्दी से बने उत्पाद जैसे इम्यूनोएनहांसर, औषधियां आदि तैयार करने में सबसे बड़ी मुश्किल करक्यूमिन के घुलनशील न होने की थी। पर अब राह आसान हो गई है। कई इंडस्ट्री इस उत्पाद को लेने में इच्छुक हैं। जल्द ही इसकी टेक्नोलॉजी हस्तांतरित की जाएगी। संस्थान ने इसे तैयार करने की प्रौद्योगिकी का पेटेंट भी फाइल कर दिया है।
Published on:
11 Mar 2021 03:51 pm
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