
शरद पूर्णिमा : सुनिए सुनिए, आज रात बरसेगा अमृत, पढ़िए कैसे मिलेगा आपको
लखनऊ. Sharad Purnima सुनिए..सुनिए, आज रात बरसेगा अमृत। बुधवार को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इसलिए आज रात स्वादिष्ट खीर बनाकर शीतल चांदनी में रखी जाएगी। कहा जाता है कि रात में आसमान से चंद्रमा, अमृत की बूंदें बरसाता है। चांदनी की रोशनी में रखी खीर को सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। यह खीर तमाम रोगों के लिए औषिधि के रूप में रामबाण की तरह से काम करती है। इस दौरान चंद्रमा धरती के सबसे करीब रहता है।
शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु शुरू :- अश्वनी मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि बुधवार को कुमार योग में शरद पूर्णिमा को पूरे यूपी में श्रद्धा पूर्वक मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस दिन को 'कोजागर पूर्णिमा' (Kojagara Purnima) और 'रास पूर्णिमा' (Raas Purnima) के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को 'कौमुदी व्रत' (Kamudi Vrat) भी कहा जाता है।
जानें शरद पूर्णिमा कब है ? :- शरद पूर्णिमा की तिथि के बारे में लखनऊ के राजजीपुरम निवासी ज्योतिषाचार्य अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि, शरद पूर्णिमा की तिथि मंगलवार (19 अक्टूबर) शाम 07.04 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर बुधवार रात 08.27 बजे तक रहेगी।
देवी लक्ष्मी का प्राकट्य व श्रीकृष्ण का महारास आज ही :- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। माना जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा के दिन ही महा रास रचाया था।
लक्ष्मी विष्णु पूजा का विशेष महत्व :- ज्योतिषाचार्य अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि,इस दिन लक्ष्मी विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस पूजा को करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होगी। विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में कभी भी आर्थिक दिक्कत नहीं आएंगी। सुख समृद्धि में वृद्धि होगी।
आयुर्वेद में चंद्रमा की रोशनी को अमृत बताया गया :- आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की रोशनी को अमृत से समान बताया गया है। मान्यता है इस रात चंद्र दर्शन नेत्र विकार दूर करता है और इस रात चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर को खाने से रोग प्रतिरोधकता और आरोग्य में वृद्धि होती है।
शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का वैज्ञानिक तर्क :- शरद पूर्णिमा की रात्रि में चावल—दूध से बनी खीर को चांदी, तांबे के अतिरिक्त किसी भी धातु के पात्र में रख कर उपर से साफ कपड़े से बांध देना चाहिए। रात भर चंद्रमा की रोशनी में रखने और सुबह प्रसाद के रूप में खाने से रोग प्रतिरोधकता में वृद्धि होती है। वैज्ञानिक तर्क है कि दूध में लैक्टिक अम्ल होता है जो कि चंद्रमा की किरणों से रोगाणुनाशक शक्ति अर्जित करता है। चावल के स्टार्च के मिश्रण से ये प्रक्रिया और तेज हो जाती है। इस खीर को खाने से दमा, त्वचा रोग और श्वांस रोग में विशेष लाभ मिलता है।
खीर खाने का धार्मिक महत्व :- ज्योतिषाचार्य अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि, मां लक्ष्मी और चंद्रमा दोनों को ही दूध और चावल की बनी खीर विशेष रूप से प्रिय है। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाने से धन-संपन्नता में वृद्धि होती है।
note :- यह जानकारी सिर्फ सूचना के लिए है, विश्वास करना है या नहीं यह आप निर्भर करता है।
Published on:
19 Oct 2021 10:41 am
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