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Lucknow में बनेगा 13 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर: जाम से मुक्ति, एक घंटे की दूरी होगी 20 मिनट में तय

Lucknow में 13 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनने जा रहा है, जिससे शहर के प्रमुख क्षेत्रों में जाम से राहत मिलेगी। ₹2270 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना की DPR तैयार हो चुकी है और दो वर्षों में निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। यात्रा समय 1 घंटे से घटकर 20 मिनट हो जाएगा।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jul 24, 2025

Traffic Free Lucknow फोटो सोर्स :Social Media x

Traffic Free Lucknow फोटो सोर्स :Social Media x

Lucknow  में ट्रैफिक जाम की perennial समस्या से निजात दिलाने के लिए अब सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। शहरवासियों को राहत देने के उद्देश्य से एक 13 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। परियोजना की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार कर ली गई है और इसकी अनुमानित लागत ₹2270 करोड़ आंकी गई है। सरकार का लक्ष्य है कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना दो वर्षों के भीतर पूरी कर ली जाए।

यह कॉरिडोर न केवल लखनऊ के प्रमुख इलाकों को जोड़ेगा बल्कि व्यस्त चौराहों और यातायात के बोझ से जूझ रहे मार्गों को जाम मुक्त बनाएगा। परियोजना को उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा और इसे केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद तेजी से जमीन पर उतारा जाएगा।

कॉरिडोर कहां से कहां तक बनेगा

इस एलिवेटेड कॉरिडोर की योजना आशियाना से लेकर आईआईएम रोड तक बनाई गई है। इस रूट पर अभी रोज़ाना हजारों वाहन चलते हैं और पिक आवर्स के दौरान घंटों लंबा जाम आम बात है। पूरे मार्ग में चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, अलीगंज, कैंट, हजरतगंज, चारबाग, आईआईएम, और सड़क से जुड़े उपनगरों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा। कॉरिडोर के बन जाने से इन क्षेत्रों के बीच सफर मात्र 15-20 मिनट में तय किया जा सकेगा, जो अभी 40 से 60 मिनट तक लगते हैं।

परियोजना की खास बातें

  • लंबाई: 13 किलोमीटर
  • लागत: ₹2270 करोड़
  • निर्माण एजेंसी: उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम
  • निर्माण समय: 24 महीने (2 वर्ष)
  • डिजाइन: चार लेन एलिवेटेड स्ट्रक्चर
  • प्रमुख संपर्क बिंदु: आशियाना, आलमबाग, चारबाग, हजरतगंज, कपूरथला, अलीगंज, आईआईएम रोड
  • फंडिंग: केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से

क्यों जरूरी है यह कॉरिडोर

लखनऊ का लगातार बढ़ता शहरीकरण और वाहनों की संख्या में हो रही तेजी ने शहर की सड़क व्यवस्था को चुनौती में डाल दिया है। वर्तमान में शहर की प्रमुख सड़कों पर यातायात का भार अपनी क्षमता से कई गुना अधिक हो चुका है। इससे जाम की स्थिति नियमित बनी रहती है। ईंधन और समय की भारी बर्बादी होती है। प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। आपात सेवाएं (एम्बुलेंस, दमकल आदि) प्रभावित होती हैं ,एलिवेटेड कॉरिडोर इन सभी समस्याओं को एक झटके में हल कर सकता है।

DPR में क्या है खास

परियोजना की DPR में तकनीकी, पर्यावरणीय, सामाजिक प्रभाव, भूमि अधिग्रहण की स्थिति, वित्तीय मॉडल और चरणबद्ध निर्माण योजना को समाहित किया गया है। DPR में स्पष्ट किया गया है कि:

  • कॉरिडोर के लिए बहुत कम भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी
  • अधिकतर संरचना मौजूदा सड़कों के ऊपर बनाई जाएगी
  • हर 2 किमी पर रैंप (चढ़ाई-उतराई के लिए) होंगे
  • कॉरिडोर के नीचे की जगह को स्मार्ट स्ट्रीट, पार्किंग या सेवा मार्ग के रूप में उपयोग किया जा सकेगा
  • निर्माण के दौरान ट्रैफिक को डायवर्ट करने की पूर्व योजना भी तैयार की गई है

क्या कह रहे हैं अधिकारी

परियोजना से जुड़े एक वरिष्ठ अभियंता ने बताया कि "एलिवेटेड कॉरिडोर लखनऊ शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को पूरी तरह बदल देगा। यात्रा का समय कम होगा, शहर का प्रदूषण घटेगा और आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी। DPR पूरी हो चुकी है और जल्द ही फंडिंग की प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी।"राज्य सेतु निगम के एक अधिकारी ने बताया कि निर्माण की प्रक्रिया इस वर्ष के अंत तक शुरू होने की संभावना है। सभी टेंडरिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और ऑनलाइन मोड में किया जाएगा।

लखनऊ को मिलेंगे ये लाभ

  • यातायात का तीव्र प्रवाह – जाम से निजात मिलेगी
  • प्रदूषण में कमी – वाहन लंबे समय तक स्टार्ट नहीं रहेंगे
  • ईंधन की बचत – रोजाना हजारों लीटर डीजल/पेट्रोल की बचत
  • समय की बचत – 1 घंटे की दूरी 20 मिनट में तय होगी
  • रियल एस्टेट को बढ़ावा – कॉरिडोर से लगे क्षेत्रों की कीमत बढ़ेगी
  • व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी – आसान पहुंच से छोटे और मझोले व्यवसायों को लाभ
  • आकस्मिक सेवाओं की तेजी – एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस को बेहतर मूवमेंट

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

कॉरिडोर के प्रस्ताव की खबर सुनकर स्थानीय लोगों में उत्साह है। चारबाग निवासी रविशंकर मिश्रा कहते हैं कि "हमें रोज़ एक ही रास्ते में घंटा भर लग जाता है। अगर एलिवेटेड कॉरिडोर बनता है तो पूरा जीवन आसान हो जाएगा। यह शहर की सबसे बड़ी जरूरत है।" वहीं, आशियाना क्षेत्र की व्यवसायी सुरभि गुप्ता कहती हैं कि "बिजनेस के लिए ग्राहकों की पहुंच आसान हो जाएगी। अभी तो ट्रैफिक देखकर ही ग्राहक सोचते हैं कि न जाएं।"

आर्थिक दृष्टिकोण से बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश

₹2270 करोड़ की इस परियोजना से न केवल यातायात बेहतर होगा, बल्कि यह श्रम रोजगार, निर्माण क्षेत्र की ग्रोथ, और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने वाला कदम भी साबित होगा। इसके तहत हजारों मजदूरों, इंजीनियरों, टेक्निकल स्टाफ और सर्विस प्रोवाइडर्स को काम मिलेगा।

पर्यावरणीय सावधानी

  • DPR में यह भी ध्यान रखा गया है कि परियोजना पर्यावरण के अनुकूल हो। निर्माण के दौरान:
  • धूल और शोर को नियंत्रित करने के उपाय
  • निर्माण सामग्री का सुरक्षित प्रबंधन
  • सड़क किनारे हरियाली यथासंभव संरक्षित रखने
  • ऊर्जा कुशल स्ट्रीट लाइट्स और सौर ऊर्जा का प्रयोग भी शामिल है।