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गोमती नदी में खत्म होने वाली है आक्सीजन, यूपी की इन दो नदियों में आक्सीजन की मात्रा शून्य

- गोमती नदी में गिर रहे 33 नालों ने बढ़ाई मुसीबत

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चौक लखनऊ, गोमती का पानी। फोटो :- Sanjay Kumar Srivastava

लखनऊ. World Environment Day 2021 पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए जल की अहम भूमिका होती है। यूपी में इस वक्त 15 बड़ी नदियां है। जिन में से तीन बड़ी नदियों का जल बेहद प्रदूषित है। इनमें राजधानी लखनऊ गोमती (Gomti river) के साथ पश्चिम यूपी की हिण्डन और काली नदी भी शामिल है। यह जानकर ताज्जबु होगा हिण्डन (Hindon river) और काली नदी (kali river) में घुलित आक्सीजन (oxygen finish) है ही नहीं। गोमती नदी में अभी 0.9 मिलीग्राम आक्सीजन मौजूद है। अगर किसी नदी में चार मिलीग्राम से कम आक्सीजन होगी तो जलीय जीवों का जीवित रह बेहद मुश्किल हो जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन तीनों नदियों को ‘सी श्रेणी में रखा है।

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गोमती में खत्म होने वाली है आक्सीजन :- राजधानी लखनऊ में आदि गंगा गोमती की बेहद मान्यता है। पर सभी प्रयास के बाद भी गोमती लगातार प्रदूषित होती जा रही है। वैज्ञानिकों को कहना है, गोमती नदी में 33 नालों का गंदा पानी गिर रहा है। अगर गोमती के उद्गम स्थल से इसमें आक्सीन की मात्रा का अध्ययन किया जाए तो बेहद आश्चर्यचकित करने वाले आंकड़ें सामने आते हैं। सीतापुर में आक्सीजन 8.7 मिलीग्राम है। शहर से बाहर गऊ घाट के पास आक्सीजन की मौजूदगी 7.1 मिलीग्राम है। लेकिन शहर में प्रवेश करते ही आक्सीजन घटने का क्रम शुरू हो जाता है। गोमती बैराज तक पहुंचते ही आक्सीजन घटकर 0.9 मिलीग्राम हो जा रही है।

लखनऊ में सिर्फ 400 400 एमएलडी गंदा पानी हो रहा साफ:- सरकारी आकड़ों के अनुसार, नालों से हर दिन 700 एमएलडी पानी गोमती में गिर रहा है। 400 एमएलडी एसटीपी से शोधित कर साफ किया जाता है। लगभग 300 एमएलडी सीवर नदी में सीधे गिर रहा है। महज दो एसटीपी ही संचालित हैं। इसमें दौलतगंज की क्षमता 56 एमएलडी और भरवारा की क्षमता 345 एमएलडी है।

हिण्डन में फीकल कोलीफार्म (fecal coliform) की अधिक मात्रा :- अब अगर बाकी दोनों नदियों की बात करें तो हिण्डन नदी और काली नदी दोनों पश्चिमी यूपी की नदियां हैं। हिण्डन नदी सहारनपुर, नोएडा, बागपत और मेरठ से होकर निकलती है। चार स्थानों पर मार्च माह में हुई मानीटरिंग का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डाटा जारी किया है। चारों ही स्थानों पर आक्सीजन शून्य मिली है। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों का रसायनयुक्त पानी पहुंचने से बायोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड भी 46 से 68 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है। इसकी मात्रा तीन मिलीग्राम से ज्यादा होना ठीक नहीं है। नोएडा में तो सीवर भी बड़ी मात्रा में पहुंच रहा है। यहां पर फीकल कोलीफार्म 11 लाख एमपीएन प्रति 100 एमएल मिला है। इसकी मात्रा 2500 से ज्यादा होना पानी के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

काली नदी आक्सीजन नहीं :- काली नदी में कन्नौज में घुलित आक्सीजन 7.8 मिलीग्राम पाई गई लेकिन मुजफ्फरनगर में यह घटकर 2 मिलीग्राम पहुंच गई। यहां से आगे बढ़ते ही मुजफ्फरनगर के डाउन स्ट्रीम में आक्सीजन शून्य हो गई। बुलंदशहर में भी आक्सीजन की मात्रा नहीं पाई गई।

क्या है फीकल कोलीफार्म :- मानव और मवेशियों के मल में बैक्टीरिया के एक समूह को फीकल कोलीफार्म कहते हैं। नदी में इसकी अधिकतम सीमा 2500 एमपीएन (मैक्सिमम प्राबेबल नम्बर) प्रति 100 मिली लीटर होनी चाहिए। फीकल कोलीफार्म की अधिकता से संक्रामक रोग हो सकता है। फीकल कोलीफार्म प्रति 100 मिलीलीटर 500 के अंदर होना चाहिए। इस स्तर पर होने के बाद यह सिर्फ नहाने योग्य होगा। जब तक फीकल कोलीफार्म का स्तर शून्य नहीं हो जाता, तब तक वह पानी पीया नहीं जा सकता।

एसटीपी से शोधित करना बेहद जरूरी : वेंकटेश दत्ता

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. वेंकटेश दत्ता का कहना है कि, नालों को टैप कर, एसटीपी से शोधित करना बेहद जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होगा तो गोमती प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकती है। विभाग इस मामले पर अपनी गंभीरता नहीं दिखा रहा है। आने वाले समय में गोमती का हाल भी हिण्डन और काली नदी जैसा होना तय है।