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यूपी में बीजेपी का ब्राह्मण कार्ड, महेंद्र पांडेय नए प्रदेश अध्यक्ष

चंदौली से सांसद व केंद्रीय मंत्री हैं पांडेय, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की घोषणा

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लखनऊ

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sanjiv mishra

Aug 31, 2017

mahendra nath pandey

mahendra nath pandey

लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण कार्ड खेला है। चंदौली से सांसद व केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के नए अध्यक्ष होंगे। वे केशव प्रसाद मौर्य की जगह लेंगे, जो अब तक राज्य के उपमुख्यमंत्री के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी का निर्वहन भी कर रहे थे।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को महेंद्र नाथ पांडेय को भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई की कमान सौंपने का फैसला किया। उत्तर प्रदेश के चंदौली संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए महेंद्र नाथ पांडेय इससे पहले 1997 से 2002 तक उत्तर प्रदेश सरकार में शहरी विकास मंत्री रह चुके हैं। उन्हें पिछले वर्ष जुलाई में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया था। पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण वोट बैंक को बचाए रखने की रणनीति पर फोकस किया है। दरअसल दलित राष्ट्रपति व अन्य पिछड़ा वर्ग से उपमुख्यमंत्री के बाद मुख्यमंत्री के रूप में क्षत्रिय चेहरा दिये जाने से प्रदेश की सोशल इंजीनियरिंग के मद्देनजर ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। कलराज मिश्र के बाद प्रदेश में मजबूत ब्राह्मण चेहरे के रूप में भी महेंद्र नाथ पांडेय का नाम लिया जा रहा था।

बना था दस नामों का पैनल

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर काफी समय से असमंजस कि स्थिति बनी हुई थी। इस पद के लिए दस नामों पर विचार हुआ, जिनमें से छह नाम तो बुधवार को दिल्ली में हुई केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में हट गए थे। इनमें सांसद प्रियंका रावत व रामशंकर कठेरिया शामिल थे। इसके बाद तय अंतिम चार चेहरों में महेंद्र नाथ पांडेय का नाम सबसे ऊपर था। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान, प्रदेश के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह व भाजपा की प्रदेश इकाई के मौजूदा महामंत्री अशोक कटारिया का नाम भी इस सूची में शामिल था। चार नामों की इस मशक्कत के बाद स्वतंत्र देव सिंह को विधान परिषद भेजकर उन्हें प्रदेश सरकार का हिस्सा बनाए रखने पर सहमति बनी और कटारिया का नाम भी कट गया। फाइनल में दो केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय व संजीव बालियान बचे, जिसमें सामाजिक समीकरणों के चलते महेंद्र नाथ पांडेय बाजी मार ले गए।