
Lucknow Nagar Nigam Outsourcing Scam (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)
Lucknow में नगर निगम के आउटसोर्सिंग सिस्टम के माध्यम से बड़ी संख्या में बाहरी और संदिग्ध पहचान वाले व्यक्तियों के सफाई कर्मी के रूप में तैनात होने के इनपुट ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। खुफिया विभाग की ओर से मिले प्राथमिक संकेतों के अनुसार नगर निगम के तकरीबन 15,000 सफाई कर्मियों में से बड़ी संख्या में ऐसे लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी पहचान और दस्तावेजों की सत्यता अभी स्पष्ट नहीं है। यह मामला सामने आने के बाद नगर आयुक्त गौरव कुमार ने सभी आउटसोर्सिंग एजेंसियों के कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन और दस्तावेज़ जांच अनिवार्य रूप से करने का निर्देश जारी किया है।
खुफिया विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी में बताया गया कि शहर में सफाई व्यवस्था में लगे कई लोग अपने दस्तावेजों में उत्तर भारत के राज्यों के मूल निवासी के रूप में दर्ज हैं, लेकिन उनकी भाषा, पृष्ठभूमि और व्यक्त किए गए तथ्यों के आधार पर यह संदेह उत्पन्न हुआ कि उनके दस्तावेज वास्तविक हो भी सकते हैं या नहीं। रिपोर्ट में यह चिंता भी व्यक्त की गई कि कुछ आउटसोर्सिंग एजेंसिया इन लोगों की पहचान का पर्याप्त सत्यापन किए बिना ही उन्हें संवेदनशील कार्यों में लगा रही हैं।
नगर निगम का कहना है कि यह मामला सुरक्षा, दस्तावेज़ सत्यता, और भर्ती प्रणाली की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है।
प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ ठेकेदार और आउटसोर्सिंग कंपनियां बेहद कम वेतन पर श्रमिकों को काम पर लगाने के लिए बाहरी मजदूरों को प्राथमिकता दे रही हैं। निगम अधिकारियों का कहना है कि कई स्थानीय कर्मी निर्धारित वेतन सीमा से कम पर काम नहीं करना चाहते, जिसके कारण ठेकेदार कम वेतन वाले श्रमिकों पर निर्भर हो जाते हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुछ श्रमिक अस्थायी झोपड़ियों और बस्तियों में रहते हैं और उन्हें प्रतिमाह मिलने वाले वेतन का एक हिस्सा कथित रूप से ठेकेदारों को कमीशन के रूप में देना पड़ता है। नगर निगम अधिकारियों ने कहा कि यह श्रम अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, और इसकी अलग से जांच की जाएगी।
नगर निगम की पुरानी रिपोर्ट में भी उल्लेख किया गया था कि लखनऊ के कई हिस्सों में अस्थायी झोपड़ियाँ और अनियंत्रित बस्तियाँ तेजी से विकसित हुई हैं, जिनमें रहने वालों के पहचान दस्तावेज, मूल निवासी प्रमाण और किरायेदारी विवरण स्पष्ट नहीं है।
ऐसे क्षेत्र मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं:
नगर निगम के अनुसार इन क्षेत्रों में कई परिवार बिजली-पानी तक के कनेक्शन ले चुके हैं, और कई निवासियों के पास पहचान दस्तावेज भी हैं। प्रशासन अब इन दस्तावेजों की वैधता की जांच कर रहा है।
खुफिया इनपुट के अनुसार उत्तर प्रदेश के कई बड़े नगर निगम क्षेत्रों-कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, आगरा, बरेली, अयोध्या, गाजियाबाद और नोएडा में भी आउटसोर्स सफाईकर्मियों के बीच संदिग्ध पहचान वाले व्यक्तियों के होने की आशंका जताई गई है। हालांकि यह सभी रिपोर्ट अभी प्राथमिक हैं, और शासन स्तर से व्यापक सत्यापन शुरू किया गया है।
नगर आयुक्त गौरव कुमार ने सभी आउटसोर्सिंग एजेंसियों को निर्देशित किया है कि सभी मौजूदा सफाई कर्मियों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य रूप से कराया जाए। मूल दस्तावेजों की जांच की जाए। किसी भी एजेंसी के द्वारा दस्तावेज़ सत्यता में लापरवाही पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नए नियुक्त किए जाने वाले हर सफाईकर्मी की पहचान पूर्ण रूप से सत्यापित हो। नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी और स्थानीय थाना स्तर पर टीमें इस जांच में लगी हुई हैं।
नगर निगम की प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि पिछले कुछ वर्षों में शहर के कई क्षेत्रों में चलाए गए पहचान पत्र शिविरों में कुछ लोगों के दस्तावेज स्थानीय प्रतिनिधियों के पत्रों के आधार पर जारी किए गए थे। नगर निगम का कहना है कि यह मामला अत्यंत संवेदनशील है और यदि किसी स्तर पर अनियमितता पाई गई तो जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई तय है।
महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि नगर निगम ने पिछले वर्ष ऐसे मामलों की पहचान शुरू की थी, लेकिन पुलिस स्तर से पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने के कारण अभियान पूरे स्तर पर आगे नहीं बढ़ पाया। यदि हमें अब पूरा सहयोग मिलता है तो हर व्यक्ति की पहचान सत्यापित की जाएगी। यह मामला शहर की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वर्तमान जांच से आने वाले दिनों में पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
शहर में सफाई व्यवस्था एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील कार्य है, जिसमें लगे हर कर्मचारी का सत्यापन आवश्यक माना जाता है। प्रशासन का कहना है कि यह मामला केवल रोजगार से नहीं, बल्कि शहरी सुरक्षा, दस्तावेज़ सत्यता, और संगठित नेटवर्क की संभावनाओं से जुड़ा हुआ है। इसलिए जांच व्यापक स्तर पर की जाएगी। लखनऊ में प्रारंभिक जांच के दौरान जिन श्रमिकों के दस्तावेज संदिग्ध पाए गए हैं, उनके मामले पुलिस और खुफिया एजेंसियों को सौंपे जा रहे हैं। सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों से कहा गया है कि कोई भी कर्मचारी बिना पहचान सत्यापन के तैनात न किया जाए।
Published on:
07 Nov 2025 12:11 pm
