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रामभद्राचार्य के बयान से नाराज मायावती ने साधु-संतों को दी नसीहत, गलतबयानी कर सुर्खियां न बटोरें सुर्खियां

स्वामी रामभद्राचार्य के मनुस्मृति और बाबासाहेब अंबेडकर पर दिए गए बयान पर राजनीति गरमा गई है। इसे लेकर बसपा मुखिया मायावती ने कड़ा एतराज जताया है।

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लखनऊ

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Aman Pandey

Sep 13, 2025

PC: IANS

रामभद्राचार्य के मनुस्मृति बयान पर मायावती का पलटवार किया है। PC: IANS

बसपा मुखिया मायावती ने बिना नाम लिए हुए सलाह दी है कि भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में रहे उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं है। इसलिए उनके बारे में कोई भी गलत बयानबाजी से बचे और चुप रहें तो यह उचित होगा।

'अंबेडकर पर टिप्पणी से बचें'

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि आए दिन सुर्खियों में बने रहने हेतु विवादित बयानबाजी करने वाले कुछ साधु-संतों को परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में रहे उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण, इनको इस बारे में कोई भी गलत बयानबाजी आदि करने की बजाय, यदि वे चुप रहें तो यह उचित होगा।

'अंबेडकर की विद्वता के सामने साधु-संत कुछ भी नहीं'

मायावती ने आगे कहा कि बाबा साहेब के अनुयायी मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं? उसे भी इनको अपनी जातिवादी द्वेष की भावना को त्याग कर जरूर समझना चाहिये। इसके साथ-साथ इन्हें यह भी मालूम होना चाहिये कि बाबा साहेब महान विद्वान व्यक्तित्व थे। इस मामले में कोई भी टीका-टिप्पणी करने वाले साधु-संत इनकी विद्वता के मामले में कुछ भी नहीं हैं। अतः इस बारे में भी कुछ कहने से पहले इनको जरूर बचना चाहिये, यही नेक सलाह है।

वायरल बयान पर बवाल

बता दें कि एक निजी चैनल के कार्यक्रम में तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने वायरल में कहा कि स्मृति देश का पहला संविधान है। उन्होंने यहां तक दावा किया कि मनु मनुस्मृति में ऐसी एक भी लाइन नहीं है जो कि भारतीय संविधान के खिलाफ हो। अंबेडकर साहब अगर संस्कृत जानते तो मनुस्मृति को जलाने की गलती नहीं करते। उनके इस बयान के बाद देश की राजनीति में उबाल आ गया। राजद, बसपा और अंबेडकर के पोते उन्हें घेरने में जुटे हैं।