प्रभुदयाल नहीं चाहते थे बेटी मायावती जाए राजनीति में, यह बनाना चाहते थे उन्हें, जानें अनसुनी बातें
- बेटी मायावती के लिए उनके अलग ख्वाब थे
- राजनीति में जाने के फैसले से थे नाराज

लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के पिता प्रभु दयाल (Prabhu Dayal) का आज स्वर्ग वास हो गया। किसी भी बेटी के लिए अपने पिता को खोना जिंदगी की बड़ी क्षति होती है। मायावती भी आज उस दौर से गुजर रही हैं। अपने पिता से उनका गहरा रिश्ता रहा है। दस सदस्यों के कुनबे वाले परिवार का पिता प्रभु दयाल ने अपने मेहनत से भरण पोषण किया। किसी की भी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। अपनी बेटी मायावती के लिए उनके अलग ख्वाब थे। वह उन्हें आईएएस अफसर बनाना चाहते थे, लेकिन मायावती ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के साथ जुड़कर समाजसेवा का रुख किया और राजनीति में आईं। इससे पिता इतना नाखुश व नाराज हुए कि उन्होंने वर्षों तक मायावती से बात नहीं की। लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने बेटी के समाजसेवी के प्रति जुनून को सराहा व लोगों में लड्डू बांटकर खुशियों का इजहार भी किया।
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पढ़ाने-लिखाने में नहीं छोड़ी कोई कोर कसर-
मायावती मूलरूप से गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर गांव की निवासी हैं। उनके पिता प्रभु दयाल दिल्ली में सरकारी नौकरी करते थे। वह दूरसंचार विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात थे। उनकी शादी रामरती देवी से हुई थी। दिल्ली में रहते हुए ही उनके सभी बच्चों का जन्म हुआ। प्रभु दयाल की पत्नी पढ़ी लिखी नहीं थीं, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद बच्चों को पढ़ाने में उन दोनों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसी दम पर मायावती सरकारी स्कूल में टीचर बनीं। आईएएस बनने का सपना देखा।
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पहले थे नाराज, फिर हुआ गर्व-
बीएड की पढ़ाई करने के बाद मायावती को दिल्ली के स्कूल में अध्यापक की नौकरी मिली। इससे पिता काफी खुश हुए। धीरे-धीरे मायावती सामाजिक विचारधारा के प्रति काफी सजग रहने लगीं। बाबा साहेब अम्बेडकर की विचारधारा की ओर उनका रुझान और फिर राजनीति में आना पिता को मंजूर नहीं था। उन्हें बेटी के अजीवन आविवाहित रहने के फैसले से भी असहमत थे। हालांकि बेटी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें गर्व महसूस हुआ।
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