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मायावती लड़ेंगी 2019 का चुनाव, आक्रामक अंदाज में भाजपा को चुनौती देने की तैयारी

पदाधिकारी यह मानते हैं कि बसपा सुप्रीमो के चुनावी मैदान में उतरने से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह जगेगा और बेहतर नतीजे आएंगे।

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Mayawati

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लखनऊ. गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में सपा-बसपा गठजोड़ से आये नतीजों ने दोनों ही पार्टियों को संजीवनी देने का काम किया है। दोनों ही पार्टियां आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को आक्रामक रूप में चुनौती देने की तैयारी में है। इस बात की चर्चा है कि बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती 2019 के चुनावी जंग में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए खुद चुनाव के मैदान में उतरेंगी। पिछले कई चुनावों में लगातार हार का सामना कर रही बहुजन समाज पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में आक्रामक चुनावी रणनीति अख्तियार करने की तैयारी में है।

पार्टी में चल रही है चर्चा

दलित वोटों में अपनी गहरी पैठ रखने वाली बहुजन समाज पार्टी को अब समाजवादी पार्टी के साथ हुए गठबंधन के बाद से उम्मीद है कि नए सियासी समीकरणों ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर दी जा सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मायावती चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। पार्टी संगठन में इस बात की चर्चा है कि मायावती आम्बेडकर नगर या बिजनौर लोकसभा सीटों में से किसी एक सीट पर चुनाव लड़ सकती हैं। पार्टी के पदाधिकारी यह मानते हैं कि बसपा सुप्रीमो के चुनावी मैदान में उतरने से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह जगेगा और बेहतर नतीजे आएंगे।

चार बात जीत चुकी हैं लोकसभा का चुनाव

बहुजन समाज पार्टी 2012 और 2017 के विधान सभा चुनावों के साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव में भी हार का सामना कर चुकी है। मायावती ने पहला लोकसभा चुनाव कैराना से लड़ा था जिसमें उन्हें हार मिली थी। इसके बाद मायावती बिजनौर और हरिद्वार सीटों से चुनाव लड़ा था, जिनमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 1989 में वे पहली बार बिजनौर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं। इसके बाद 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल कर चुकी हैं। वे उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के साथ ही राज्यसभा की भी सदस्य रह चुकी हैं।

सीट बंटवारे के फार्मूले पर चर्चा

बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में बने सपा-बसपा गठबंधन ने जिस तरह से भाजपा की परेशानी बढ़ाई है, उसके बाद से बसपा लगातार उत्साहित है। बसपा और सपा के बीच जहाँ तालमेल को और मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है तो दूसरी ओर सीटों के बंटवारे पर भी फार्मूला खोजने की कोशिश चल रही है। इस बात पर सहमति बनने के आसार हैं कि जिन सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों में से जो दूसरे नंबर पर रहा था, वह वहां के लिए दावेदारी करेगा। हालाँकि इस फार्मूले को अंतिम रूप देने में अभी कई और पेचीदगियों का सामना भी करना है। अभी कांग्रेस सहित अन्य क्षेत्रीय दलों की इस गठबंधन में भूमिका और उनकी सीटों को लेकर फार्मूला तय होना भी एक चुनौती है।