
कानपुर आईआईटी में किसानों के बच्चों का दिखा दमखम, उच्च शिक्षण संस्थान में पढ़ने की दिलचस्पी
लखनऊ. आईआईटी में एडमिशन लेने के इच्छुक छात्रों की काउंसलिंग का पहला चरण सोमवार 2 जुलाई को खत्म हो रहा। 3 जुलाई को सीटों का आवंटन होगा। हालांकि, सीटों का आवंटन बाकी है लेकिन काउंसलिंग में दिलचस्प बात सामने आई। इसमें किसानों के बच्चों का दमखम देखने को मिला। काउंसलिंग के दौरान लगभग 40 फीसदी बच्चे ऐसे थे, जिनका बैकग्राउंड खेती बाड़ी हो। ज्यादातर बच्चों ने बताया कि या तो उनके अभिभावक खुद खेती करते हैं या फिर इससे जुड़े किसी कारोबार में शामिल हैं।
उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने की दिलचस्पी
आईआईटी कानपुर काउंसलिंग में लगभग 650 स्टूडेंट्स ने पिता के व्यवसाय कॉलम के आगे खेती बा़ड़ी का काम करना लिखा। हालांकि, यह सिर्फ कानपुर सेंटर का ही ट्रेंड है। लेकिन अभिभावक इसे लेकर उत्साहित हैं। उनका मानना है कि पहले नौकरी पेशा लोगों को बच्चों की संख्या इस मामले में ज्यादा रहती थी, लेकिन अब वे दूसरे पायदान पर हैं। पहले जहां किसान अपने बच्चों को खेती बाड़ी में ही लगा देते थे, तो वहीं अब उनमें बदलाव आ रहा है और वे उच्च शिक्षण संस्थानों में खुद के बच्चों को पढ़ाने की रुची दिखा रहे हैं। जेईई एडवांस्ड के प्रोफेसर डॉ. शलभ श्रीवास्तव के मुताबिक 3 जुलाई को ये साफ हो जाएगा कि किस आईआईटी में कितनी सीटें खाली हैं।
सरकारी नौकरी वालों की संख्या भी ज्यादा
आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर छात्रों ने अपने परिवार की आय सामान्य बताई है। इसके अलावा उन छात्रों की संख्या भी ज्यादा है, जिनके माता-पिता सरकारी नौकरी में हों। इनकी संख्या 35 फीसदी के आसपास है। कानपुर नोडल रिपोर्टिंग सेंटर में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आए स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा है।
Published on:
02 Jul 2018 02:05 pm
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