
लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने मुसलमानों में बहुविवाह के कानूनी प्रावधान की वैधता को चुनौती देने के मामले में केंद्र और यूपी सरकार को पक्ष रखने का आदेश दिया है। इसके लिए दोनों सरकारों के वकीलों को दो हफ्तों का वक्त दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश हिंदू पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव पवन कुमार दास शास्त्री की जनहित याचिका पर दिया।
कई कई बीबियां रखने को हाईकोर्ट में चुनौती
याचिका में देश के मुसलमानों को बहुविवाह की इजाजत देने संबंधी मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट 1937 की धारा 2 को संविधान में दिए गए धर्म आदि के आधार पर भेदभाव की मनाही के मूल अधिकार का उल्लंघन करने वाली करार देने का आग्रह किया गया है। साथ ही द्विविवाह (पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह) की मनाही संबंधी भारतीय दंड संहिता की धारा 494 को भी या तो सबके लिए बगैर किसी धार्मिक भेदभाव के समान रूप से लागू करने या फिर इसे असंवैधानिक करार देकर खत्म किए जाने के निर्देश सरकार को देने की गुजारिश की है।
Updated on:
20 Aug 2021 01:42 pm
Published on:
20 Aug 2021 01:40 pm
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