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Draupadi Murmu: क्लर्क से NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार तक बनने का सफर, जानें कौन हैं द्रौपदी मुर्मू

Who is Droupadi Murmu: एनडीए की तरफ से आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है। यदि वे राष्ट्रपति चुनाव में जीत जाती हैं, तो वह देश की पहली आदिवासी होंगी जो देश के इस सर्वोच्च पद तक पहुंचेगी।

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लखनऊ

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Jyoti Singh

Jun 22, 2022

Draupadi Murmu: क्लर्क से NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार तक बनने का सफर, जानें कौन हैं द्रौपदी मुर्मू

झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। बीजपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने मंगलवार को भाजपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगा दी है। इसके बाद अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बना जाती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी होंगी जो देश के इस सर्वोच्च पद तक पहुंचेगी। आपको बता दें कि द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। ऐसे में उनका राष्ट्रपति बनना आजाद भारत के इतिहास में एक बड़ा कदम साबित होगा। हालांकि उनका यहां तक पहुंचना बहुत आसान नहीं रहा है। द्रौपदी मुर्मू के इस पड़ाव तक पहुंचने की पीछे उनके संघर्ष की कहानी भी रही है। तो आइए जानते हैं, द्रौपदी मुर्मू के बारे में...

अपने दोनों बेटों को खो चुकी थीं द्रौपदी मुर्मू

बता दें कि आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक आदिवासी संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। द्रौपदी मुर्मू के जन्म के साथ ही उनके संघर्ष की कहानी भी शुरू हो गई। जानकारी के मुताबिक, द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। दोनों के तीन बच्चे (दो बेटे और एक बेटी) हुए। लेकिन, द्रौपदी मुर्मू का व्यक्तिगत जीवन त्रासदियों से भरा रहा है और उन्होंने अपने पति व दोनो बेटों को खो दिया। उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम से हुई है।

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पार्षद के रूप में राजनीतिक करियर शुरू किया

द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन में बहुत कठनाइयों का सामना किया। लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और सभी बाधाओं को पार करते हुए उन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला कॉलेज से आर्ट्स में ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्हें ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक जूनियर असिस्टेंट यानी कलर्क के रूप में नौकरी मिली। इसके बाद में, उन्होंने रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में मानद सहायक शिक्षक के रूप में भी काम किया। हालांकि यहां के बाद से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और फिर साल 2000 में वह ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं।

नीलकंठ पुरस्कार से हो चुकी हैं सम्मानित

आपको बता दें कि द्रौपदी मुर्मू रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं। साल 2009 में भी उन्होंने अपनी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की, जब बीजु जनता दल (BJD) ने ओडिशा के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था। उस चुनाव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने जीत दर्ज की थी। द्रौपदी मुर्मू को साल 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा साल के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके पास ओडिशा सरकार में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का अनुभव है।

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झारखंड की 9वीं राज्यपाल के पद पर भी रहीं

इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू भाजपा की की ओडिशा इकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उन्हें 2013 में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था। इसके साथ ही वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का भी गौरव हासिल कर चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू 18 मई 2015 को झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं और 12 जुलाई 2021 तक इस पद पर अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।