
CM Yogi Adityanath
लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश के बावजूद देश में मॉब लिंचिंग (mob lynching) का सिलसिला जारी है। लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिससे इस बात को प्रमाण मिलता है कि भीड़ किसी भी घटना को लेकर कानून हाथ में लेने से पीछे नहीं हट रही है। इसका नतीजा ये हो रहा है कि अफवाह और शक के नाम पर भी लोगों की हत्या कर दी जा रही है। ऐसी घटनाओं पर काबू पाने के लिए राज्य विधि आयोग ने सलाह दी है कि एक विशेष कानून बनाया जाये। आयोग ने एक प्रस्तावित विधेयक का मसौदा भी तैयार किया है। राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) एएन मित्तल ने मॉब लिंचिंग पर अपनी रिपोर्ट और प्रस्तावित विधेयक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा।
सीएम योगी को सौंपी गई रिपोर्ट
आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने कहा कि 'ऐसी घटनाओं के मद्देनजर आयोग ने स्वत:संज्ञान लेते हुये भीड़ तंत्र की हिंसा को रोकने के लिये राज्य सरकार को विशेष कानून बनाने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री को सौंपी गई 128 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में राज्य में भीड़ तंत्र द्वारा की जाने वाले हिंसा की घटनाओं का हवाला देते हुये जोर दिया है कि उच्चतम न्यायालय के 2018 के निर्णय को ध्यान में रखते हुये विशेष कानून बनाया जाये।
कॉबेटिंग ऑफ मॉब लिचिंग एक्ट रखा जा सकता है नाम
आयोग का मानना है कि भीड़ तंत्र की हिंसा को रोकने के लिये वर्तमान कानून प्रभावी नहीं है, इसलिये अलग से सख्त कानून बनाया जाये। आयोग ने सुझाव दिया है कि इस कानून का नाम उत्तर प्रदेश कॉबेटिंग ऑफ मॉब लिचिंग एक्ट रखा जाये तथा अपनी डयूटी में लापरवाही बरतने पर पुलिस अधिकारियों और जिलाधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाये और दोषी पाये जाने पर सजा का प्राविधान भी किया जाए। मॉब लिंचिंग के जिम्मेदार लोगों को सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का भी सुझाव दिया गया है।
हिंसा के शिकार को मुआवजा की मांग
रिपोर्ट में कहा गया कि हिंसा के शिकार व्यक्ति के परिवार और गंभीर रूप से घायलों को भी पर्याप्त मुआवजा मिलें। इसके अलावा संपत्ति को नुकसान के लिए भी मुआवजा मिले। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार के पुर्नवास और संपूर्ण सुरक्षा का भी इंतजाम किया जाए।
Published on:
12 Jul 2019 02:04 pm
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